Gama Pehlwan Birthday: 6 देसी मुर्गे और 10 लीटर दूध, ऐसी थी गामा पहलवान की खुराक, अंग्रेजों को ललकारा

22 मई 1878 को अमृतसर के जब्बोवाल गांव में जन्में गामा पहलवान की डायट ऐसी थी कि कोई भी जानता था, तो दंग रह जाता था. बताया जाता है कि गामा पहलवान एक दिन में 10 लीटर दूध और 6 देसी मुर्गा खा जाते थे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 22, 2022 5:40 PM

भारत में एक से बढ़कर एक पहलवान हुए. जिसने अपनी प्रतिभा से देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी अपना डंका बजाया. भारत में गामा पहलवान (The Great Gama) भी उन्हीं महान पहलवानों में गिने जाते हैं. जिसने अपने समय में देश के सभी पहलवान को हराकर लंदन का रुख किया था. द ग्रेट गामा, रुस्तम-ए-हिंद के नाम से मशहूर गामा पहलवान ने कुछ ही समय में पहलवानी के क्षेत्र में ऐसा नाम कमा लिया था कि बच्चे से लेकर बुढ़े तक की जुबां पर गामा पहलवान का ही नाम हुआ करता था. गामा पहलवान का आज 144वां जन्म दिन है. उनके बर्थडे को गूगल ने डूडल बनाकर और भी खास बना दिया है. गामा पहलवान का पूरा नाम गुलाम मोहम्मद बख्श बट था.

10 लीटर दूध और 6 देसी मुर्गे एक दिन में खा जाते थे गामा पहलवान

22 मई 1878 को अमृतसर के जब्बोवाल गांव में जन्में गामा पहलवान की डायट ऐसी थी कि कोई भी जानता था, तो दंग रह जाता था. बताया जाता है कि गामा पहलवान एक दिन में 10 लीटर दूध और 6 देसी मुर्गा खा जाते थे. यही नहीं बताया जाता है कि गामा पहलवान एक खास ड्रिंक्स खुद के लिए तैयार करते थे, जिसमें 200 ग्राम बादाम मिलाया करते थे. यही डायट उनकी सफलता का बड़ा राज है. यही कारण है कि 50 से अधिक चैंपियनशिप में उन्होंने बड़े से बड़े पहलवानों को धूल चटाया था.

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पिता ने गामा को पहलवानी के शुरुआती गुर सिखाये

गामा पहलवान को पहलवानी के शुरुआती गुर उनके पिता मुहम्मद अजीज बक्श ने सिखाये थे. बचपन से ही उन्हें पहलवान बनने और कुश्ती करने का शौक था. छोटी उम्र में ही उन्होंने बड़े से बड़े पहलवानों की अपने दांव से चित कर देते थे. बहुत कम समय में ही उन्होंने अपना नाम कुश्ती के क्षेत्र में बना लिया था. भारत के सभी पहलवानों को हराने के बाद 1910 में लंदन का रुख किया था. हालांकि केवल 5 फीट और 7 इंच की हाइट होने की वजह से उन्हें इंटरनेशनल चैंपियनशिप से बाहर कर दिया. गुस्से में गामा ने सभी पहलवानों को चुनौती दी कि किसी भी पहलवान को 30 मिनट में हरा सकते हैं. हालांकि गामा पहलवान की चुनौती को किसी ने भी स्वीकार नहीं किया.

आर्थिक तंगी में गुजरा गामा पहलवान का आखिरी समय

दुनियाभर के पहलवानों को हराने वाले गामा पहलवान का आखिरी वक्त बेहद तंगहाली में गुजरी. उन्हें अपना पेट पालने के लिए मेडल तक बेचना पड़ा. कुश्ती छोड़ने के बाद गामा पहलवान कई रोगों से ग्रसित हो गये थे उन्हें अस्थमा और हार्ट की बीमारी हो गयी थी. लंबी बीमारी के बाद 1960 में 82 साल की उम्र में उन्होंने आखिरी सांस ली. गामा पहलवान अमृतसर में ही रहा करते थे, लेकिन विभाजन के बाद जब सांप्रदायिक हिंसा चरम पर थी, तब गामा लाहौर लौट गये.

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