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सुप्रीम कोर्ट की गुगली: चार वर्ष पहले शुरू हुई लड़ाई, पढें किन मुद्दों पर फंसी थी पेंच

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के कड़े फैसले के बाद क्रिकेट में जो भी बदलाव होगा, उसका सबसे बड़ा असर उत्तर-पूर्व के राज्यों पर पड़ेगा, जो राज्य बीसीसीआइ के भेदभाव के शिकार हैं. बिहार, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय सहित अन्य राज्यों को बीसीसीआइ ने एसोसिएट का दर्जा दे रखा है, लेकिन सिफारिशों को मानने के […]

नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट के कड़े फैसले के बाद क्रिकेट में जो भी बदलाव होगा, उसका सबसे बड़ा असर उत्तर-पूर्व के राज्यों पर पड़ेगा, जो राज्य बीसीसीआइ के भेदभाव के शिकार हैं. बिहार, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय सहित अन्य राज्यों को बीसीसीआइ ने एसोसिएट का दर्जा दे रखा है, लेकिन सिफारिशों को मानने के बाद इन राज्यों को अब पूर्ण राज्यों का दर्जा मिल जायेगा. ये राज्य भी बीसीसीआइ के बड़े टूर्नामेंटों में हिस्सा ले सकेंगे. खास कर फंड को लेकर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड इन राज्यों के साथ भेदभाव करते आ रहा है. पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के बाद मुंबई-गुजरात की तरह इन राज्यों को भी करोड़ों रुपये के फंड मिलेंगे, जिससे यहां पर क्रिकेट तेजी से पैर पसारेगा.

आंध्रप्रदेश सिफारिशें लागू करने को तैयार

उच्चतम न्यायालय द्वारा बीसीसीआइ अध्यक्ष और सचिव को हटाये जाने के बाद बोर्ड के सीनियर उपाध्यक्ष गोकाराजू गंगराजू ने सोमवार को साफ तौर पर कहा कि उनका आंध्र क्रिकेट संघ तुरंत प्रभाव से लोढ़ा समिति के सुझाव लागू करेगा. गंगराजू ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं कि यह उच्चतम न्यायालय का फैसला है. आंध्र क्रिकेट संघ का अध्यक्ष होने के नाते हम तुरंत प्रभाव से सारे सुझाव लागू करेंगे. यदि हमें विश्राम की अवधि (कूलिंग ऑफ पीरियड) में जाना पड़े, तो हम जायेंगे. भारतीय क्रिकेट को आगे बढना चाहिए. ऐसी अटकलें हैं कि वह अंतरिम अध्यक्ष पद की दौड़ में है. मैं ईमानदारी से पद का निर्वाह करूंगा.

केरल के अधिकारियों ने पद छोड़ा

कोच्चि : उच्चतम न्यायालय के बीसीसीआइ को लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को लागू करने के आदेश के बाद केरल क्रिकेट संघ (केसीए) के अध्यक्ष टीसी मैथ्यू, सचिव अनंतनारायणन और अन्य अधिकारियों ने अपने पदों से हटने का फैसला किया, जिन्होंने ‘कार्यालय में संचित अवधि तक या अलग से नौ साल पूरे कर लिये’ हैं. केसीए के सूत्रों ने कहा कि संघ की यहां एक बैठक हुई, जिसमें बी विनोद को नया अध्यक्ष और जयेश जॉर्ज को सचिव नियुक्त किया गया.

मेरे पास बहुत काम है, फैसले से कोई दिक्कत नहीं है : शिर्के

बीसीसीआइ के बरखास्त सचिव अजय शिर्के ने सोमवार को कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा उन्हें पद से हटाये जाने के फैसले से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन उन्होंने उम्मीद जतायी कि यहां प्रशासनिक बदलाव का असर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बीसीसीआइ की स्थिति पर नहीं पड़ेगा. शिर्के ने न्यायालय के फैसले के बाद कहा कि इस फैसले पर मेरी कोई प्रतिक्रिया नहीं है. यदि यह उच्चतम न्यायालय का फैसला है कि मैं सचिव नहीं रहूं, तो इससे सरल क्या हो सकता है. बीसीसीआइ में मेरा काम खत्म हो गया है. यह पूछने पर कि बोर्ड अगर लोढ़ा समिति के सुझावों को लागू कर देता, तो क्या इस स्थिति से बचा जा सकता था, शिर्के ने कहा कि इस मसले से दूसरी तरह से निपटने का कोई सवाल ही नहीं था. उन्होंने कहा कि आखिर में बीसीसीआइ सदस्यों से ही बनती है. यह मेरे या अध्यक्ष की बात नहीं थी बल्कि यह सदस्यों की बात थी. शिर्के ने ब्रिटेन से कहा कि इतिहास में जाने की कोई वजह नहीं है. लोग अलग-अलग तरीके से अतीत का आकलन कर सकते हैं. मेरा पद से कोई निजी लगाव नहीं है. पहले भी मैने इस्तीफा दिया है. मेरे पास करने के लिए बहुत कुछ है.

प्रशासन और खेल के विकास में बेहतर काम किया : ठाकुर

नयी दिल्ली : ठाकुर ने कहा कि मेरे लिए यह निजी जंग नहीं थी, यह खेल संस्था की स्वायत्ता की लड़ाई थी. मैं उच्चतम न्यायालय का उतना की सम्मान करता हूं जितना किसी नागरिक को करना चाहिए. अगर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को लगता है कि बीसीसीआइ सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के नेतृत्व में बेहतर कर सकता है, तो मैं उन्हंे शुभकामनाएं देता हूं. उन्होंने सोशल मीडिया पर वीडियो क्लिप जारी करके उच्चतम न्यायालय के आदेश पर प्रतिक्रिया दी. ठाकुर ने कहा कि भारतीय क्रिकेट के सर्वश्रेष्ठ हित और खेलों की स्वायत्ता के लिए मेरी प्रतिबद्धता हमेशा बरकरार रहेगी. मई 2016 में बीसीसीआई अध्यक्ष बनने से पहले ठाकुर बोर्ड के संयुक्त सचिव और सचिव थे. भारतीय जनता पार्टी का यह सांसद एक दशक से अधिक समय तक हिमाचल प्रदेश क्रिकेट संघ का अध्यक्ष भी रहा. ठाकुर ने कहा कि मुझे भारतीय क्रिकेट की सेवा करने का मौका मिला. प्रशासन और खेल के विकास के मामले में पिछले कुछ वर्ष सर्वश्रेष्ठ रहे.

इन सिफारिशों को मान चुका था बोर्ड

कुछ बदलावों के साथ अपेक्स काउंसिल बनाया जायेगा

आइसीसी की गाइडलाइन्स के तहत एसोसिएट मेंबर्स को भी वोटिंग राइट्स मिलेंगे.

प्लेयर्स एसोसिएशन बनाया जायेगा. बोर्ड की कमेटियों में रिप्रेजेंटेशन दिया जायेगा.

क्रिकेट व टीम अधिकारी के लिए कोड ऑफ कंडक्ट, एंटी डोपिंग कोड, एंटी रेसिज्म कोड, एंटी करप्शन कोड और ऑपरेशनल रूल्स को मंजूर किया गया.

विकलांगों और महिलाओं के लिए स्पेशल कमेटियां बनेंगी.

बोर्ड के नेशनल कैलेंडर और आइपीएल के बीच 15 दिन का गैप होगा.

इन चार सिफारिशों पर नहीं बनी बीसीसीआई में सहमति

70 साल से ज्यादा उम्र के पदाधिकारियों की छुट्टी करें

वन पर्सन, वन पोस्ट

मतदान में वन स्टेट, वन वोट

चार वर्ष पहले शुरू हुई लड़ाई

2013 में आइपीएल में स्पॉट फिक्सिंग का मामला सामने आया. फिक्सिंग को लेकर क्रिकेटरों और फ्रेंचाइजी के मालिकों के कुछ नाम उछले.

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान जांच के लिए जस्टिस मुकुल मुद्गल की अध्यक्षता में एक समिति बनायी. समिति ने 2014 में रिपोर्ट कोर्ट को सौंपी.

रिपोर्ट के अध्ययन के बाद जनवरी, 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व प्रधान न्यायाधीश जस्टिस आरएम लोढ़ा के नेतृत्व में तीन सदस्यों की समिति गठित कर दी. इसे लोढ़ा समिति के नाम से जाना जाता है.

14 अप्रैल, 2015 लोढ़ा कमेटी ने 82 सवाल लिख कर बीसीसीआइ से जवाब मांगे कि भारत में क्रिकेट कैसे चलता है.

4 जनवरी, 2016 को लोढ़ा कमेटी ने बीसीसीआइ में सुधारों के लिए अपनी सिफारिशें सुप्रीम कोर्ट में पेश की.

4 फरवरी, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआइ से लोढ़ा की सिफारिशों पर अपना रुख साफ करने को कहा. तीन मार्च, 2016 की डेडलाइन तय की.

2 मई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने बोर्ड व स्टेट संघों को लोढ़ा पैनल की सिफारिशों को मानने का आदेश दिया.

18 जुलाई, 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने लोढ़ा की ज्यादातर सिफारिशों को माना और मंत्रियों, नौकरशाहों व 70 साल से ज्यादा उम्र वालों को अधिकारी बनाने पर रोक लगायी.

07 अक्तूबर, 2016 को लोढ़ा कमेटी की सिफारिशें मंजूर किये बगैर स्टेट को फंड देने से रोका.

15 दिसंबर 2016 को एमिकल क्यूरी सुब्रमण्यम ने आरोप लगाया कि अनुराग ने कोर्ट में झूठा हलफनामा पेश किया है. कोर्ट ने कहा आरोप साबित हुआ तो अनुराग को जेल जाना पड़ सकता है.

दो जनवरी 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला नहीं मानने पर बीससीआइ के अध्यक्ष और सचिव को पद से हटा दिया है.

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