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एक बार फिर रोमांचक जंग के लिए मैदान में उतरेंगे भारत – अफ्रीका

डरबन : ड्रॉ हुए पहले टेस्ट में रोमांचक प्रतिस्पर्धा के बाद भारत और दक्षिण अफ्रीका कल से यहां शुरु हो रहे दूसरे और अंतिम क्रिकेट टेस्ट में बार फिर श्रेष्ठता की जंग जीतने के इरादे से उतरेंगे. दुनिया की नंबर एक टीम दक्षिण अफ्रीका और दूसरे नंबर की टीम भारत के बीच पहले टेस्ट के […]

डरबन : ड्रॉ हुए पहले टेस्ट में रोमांचक प्रतिस्पर्धा के बाद भारत और दक्षिण अफ्रीका कल से यहां शुरु हो रहे दूसरे और अंतिम क्रिकेट टेस्ट में बार फिर श्रेष्ठता की जंग जीतने के इरादे से उतरेंगे.

दुनिया की नंबर एक टीम दक्षिण अफ्रीका और दूसरे नंबर की टीम भारत के बीच पहले टेस्ट के पांचों दिन रोमांचक संघर्ष देखने को मिला और इसे अब तक के ड्रॉ हुए सर्वकालिक बेहतरीन टेस्ट में से एक माना जा रहा है. टेस्ट इतिहास के सबसे बड़े लक्ष्य का पीछा करते हुए दक्षिण अफ्रीका की टीम सिर्फ आठ रन से जीत से दूर रह गई. दूसरी तरफ भारत हैरान था कि कैसे चार दिन के दबदबे के बाद सिर्फ एक सत्र ने उसकी किस्मत बदल दी. अब दोनों टीमें किंग्समीड में बाक्सिंग डे पर निर्णायक टेस्ट खेलने उतरेंगी.

इस दौरे से पहले ही भारत और मेजबान टीम के बोर्ड के बीच इसके आयोजन को लेकर खींचतान देखने को मिली और अंतत: इस दौरे को छोटा कर दिया गया. दक्षिण अफ्रीका की टीम हालांकि पहला वार करने में सफल रही. तीन वनडे की श्रृंखला से पहले कोई अभ्यास मैच नहीं था और मेजबान टीम ने इसका फायदा उठाते हुए भारत के खिलाफ कुछ बड़ी जीत दर्ज की.

भारतीय टीम लंबे घरेलू सत्र के बाद यहां आई थी और उसे अधिक जानकारी नही थी कि यहां के हालात से कैसे निपटना है. पिछले कुछ समय में सचिन तेंदुलकर, राहुल द्रविड़ और वीवीएस लक्ष्मण जैसे दिग्गज खिलाड़ियों के संन्यास के बाद युवा टीम को काफी कुछ साबित करना था.

वनडे श्रृंखला में हालांकि दुनिया की पांचवें नंबर की टीम दक्षिण अफ्रीका ने 2.0 की जीत दर्ज करते नंबर एक टीम भारत को बैकफुट पर भेज दिया. मेजबान टीम ने जोहानिसबर्ग में 141 रन और डरबन में 136 रन से जीत दर्ज की.

भयभीत करना जैसे शब्द क्रिकेट के शब्दकोश का हिस्सा बने. दुनिया भर में विराट कोहली की वीडियो प्रसारित की गई जिसमें वह अपनी पसलियों पर बर्फ की थैली लगा रहे थे. भारतीय टीम को झटका लगा था लेकिन टीम इंडिया हार नहीं मानने वाली थी. मेजबान टीम को तब हैरानी हुई जब भारत ने उसे मुंहतोड़ जवाब दिया. कोहली ने जिम्मेदारी संभाली और वांडर्स में पहली पारी में शतक जड़ दिया जो दक्षिण अफ्रीका में उनका पहला शतक है.

दक्षिण अफ्रीका की गेंदबाजी पहले टेस्ट में काफी प्रभावी नहीं रही और टीम इंडिया ने टेस्ट के पहले चार दिन दबदबा बनाए रखा. दुनिया की नंबर एक टीम दक्षिण अफ्रीका ने भी हालांकि हार नहीं मानी. टीम ने वापसी की और मैच के अंतिम दिन तीन सत्र में लगभग हार की हालत से लगभग जीत की हालत में पहुंच गई लेकिन अंतत: यह मैच ड्रॉ रहा और अब सभी की नजरें डरबन पर टिकी हैं.

भारत की युवा टीम टक्कर देने को तैयार है. टीम ने जल्द ही समझ लिया था कि वनडे में उसकी दाल नहीं गलने वाली और उसने इन मैचों का इस्तेमाल आगामी मैचों के लिए खुद को मजबूत करने के लिए किया. ढाई दिन का प्रतिस्पर्धी क्रिकेट बारिश की भेंट चढ़ने के बावजूद भारतीय बल्लेबाजों को पता था कि किन गेंदों को छोड़ना है और किन पर रन बनाने हैं. गेंदबाजों को पता था कि सही लाइन और लेंथ के साथ कैसे गेंदबाजी करनी है और टीम में वापसी कर रहे तेज गेंदबाज जहीर खान ने अपने साथियों का पूरा मर्गदर्शन किया.

भारतीय टीम को इस बात से मजबूत मिलेगी कि दक्षिण अफ्रीका की टीम ने पहले टेस्ट के अंतिम घंटे में जीत की स्थिति में होने के बावजूद विश्व रिकार्ड लक्ष्य को हासिल करनी की कोशिश नहीं की और सिर्फ आठ रन से इतिहास रचने से चूक गई. डरबन टेस्ट से पहले भारत के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय उसके तेज गेंदबाजी आक्रमण भी थकान है. जहीर, मोहम्मद शमी और इशांत शर्मा ने पहले टेस्ट में अधिकांश समय गेंदबाजी की जबकि आफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने सहयोगी की भूमिका निभाई.

दो टेस्ट के बीच में सिर्फ तीन दिन का अंतर है और यह देखना अहम होगा कि क्या मुख्य गेंदबाज फिट हैं. इसके अलावा एक सवाल यह कि है कि क्या किंग्समीड में स्पिनर की भूमिका अधिक अहम होगी जहां पिच के धीमी होने की संभावना है.

क्यूरेटकर विल्सन गोबीस ने कहा, इस विकेट पर काफी उछाल है जो बल्लेबाजों और गेंदबाजों दोनों के लिए फायदेमंद हो सकता है. उन्होंने कहा, यहां पहली सुबह बल्लेबाजी काफी चुनौतीपूर्ण होगी क्योंकि हवा में कुछ नमी रहती है जिसका फायदा उठाया जा सकता है. बेशक मैच आगे बढ़ने के साथ स्पिन भूमिका निभा सकती है, वांडर्स में जितनी मदद मिली उससे अधिक.

दक्षिण अफ्रीकी टीम हालांकि स्पिनरों की मददगार पिच नहीं चाहेगी. टीम ने यहां पिछला टेस्ट लगभग छह साल पहले जनवरी 2008 में वेस्टइंडीज के खिलाफ पारी और 100 रन से जीता था. तब से मेजबान टीम ने यहां चार टेस्ट गंवाए हैं. इन चारों टेस्ट में टीम कम से कम एक बार 200 रन से कम पर सिमट गई. इससे भी बड़ी चिंता की बात यह है कि टीम ने इन चार मैचों में जो 80 विकेट गंवाए उसमें से 29 विकेट स्पिनरों की झोली में गए.

* शर्मनाक हार भी मिली है यहां

भारत को इस मैदान पर 1996 में शर्मनाक हार का सामना भी करना पड़ा है. भारतीय कप्तान सचिन तेंडुलकर ने टॉस जीतकर दक्षिण अफ्रीका को पहले बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया. मेजबान टीम ने पहली पारी में 235 रन बनाये. जवाब में भारत की पहली पारी महज 235 रन के स्कोर पर सिमट गयी. 16 रन बनानेवाले सौरभ गांगुली टॉप स्कोरर रहे.

दक्षिण अफ्रीका ने दूसरी पारी में 259 रन बनाये. जीत के लिए 395 रन के लक्ष्य के जवाब में भारतीय टीम ने दूसरी पारी में सिर्फ 66 रन पर सिमट गयी. इस तरह भारत को 328 रन से हार झेलनी पड़ी. इसके बाद 2006 में भारत को 174 रन की हार मिली थी. 1992 में मैच ड्रॉ रहा था.

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