नयी दिल्ली : टीम इंडिया में कैप्टन कूल के नाम से मशहूर महेंद्र सिंह धौनी इन दिनों काफी परेशानी में चल रहे हैं. उनके हर प्रयोग नाकाम साबित हो रहे हैं. धौनी की अगुवाई में टीम इंडिया ने 2015 में कोई भी श्रृंखला नहीं जीती है. बांग्लादेश से टीम इंडिया नाक कटाकर लौटी. इसके बाद अब घरेलू श्रृंखला में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टी-20 श्रृंखला में पराजय और अब पहले वनडे में पांच रन से मिली पराजय ने धौनी को कटघरे में लाकर खड़ा कर दिया है.
हार के बाद कप्तान महेंद्र सिंह धौनी पर चौतरफा हमले हो रहे हैं. कई पूर्व क्रिकेटरों का मानना है कि धौनी के दिन अब खत्म हो गये हैं. उनमें अब पहले जैसी बात नहीं रही. वहीं विराट कोहली जो धौनी के संन्यास के बाद टेस्ट टीम के कप्तान बनाये गये, उनको पूर्व क्रिकेटरों का समर्थन मिल रहा है. क्रिकेट की दुनिया में अब बहस शुरू हो गयी है कि धौनी को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से विदा ले लेना चाहिए और कोहली को तीनों प्ररुपों में कप्तान बना देना चाहिए.
* क्या कहते हैं आंकड़े
1. 16 मैचों में धौनी का एक भी शतक नहीं
इस साल कप्तान धौनी का बल्ला उनका साथ नहीं दे रहा है. इसका ताजा उदाहरण है कि पिछले 16 वनडे मैचों में धौनी ने कोई भी शतक नहीं लगाया है, साथ ही मात्र तीन अर्धशतक लगाये. हालांकि 16 वनडे में धौनी ने 459 रन बनाये हैं, जो कि वनडे के हिसाब से सम्मानजनक स्कोर माना जाता है. लेकिन धौनी की प्रतिभा के अनुसार यह आंकड़ा संतोषजनक नहीं कहे जा सकते हैं. धौनी को मध्यमक्रम का रीढ़ माना जाता है. साथ ही मैच फिनिशर भी कहा जाता है, लेकिन कुछ दिनों से उनके बल्ले ने खामोशी का चादर ओढ लिया है.
2. टीम में पकड़ ढीली हुई
जब से विराट कोहली को टेस्ट टीम का कमान सौंपा गया तब से कप्तान महेंद्र सिंह धौनी की पकड़ टीम पर से ढीली हो गयी है. टीम में धौनी को अकेला खड़ा देखा जा रहा है. टीम निदेशक रवि शास्त्री के साथ भी धौनी के रिश्ते अच्छे नहीं बताये जाते हैं. वहीं विराट कोहली के साथ उनके विवाद की खबरें हमेशा मीडिया में आते रहे हैं.
3. कप्तानी भी आलोचना के घेरे में
महेंद्र सिंह धौनी को एक ऐसे कप्तान के रूप में देखा जाता रहा है जो कभी भी हार नहीं मान सकता है. धौनी जो करते थे उसमें उनको सफलता मिलता ही था. लेकिन अब उनका जादू काम नहीं आ रहा है. मैदान पर उनके फैसले चौंकाने वाले रहे हैं. उनके फैसलों पर भी सवाल उठने लगे हैं. रायडू,बिन्नी और पटेल जैसे खिलाडियों का समर्थन भी धौनी को कटघरे में खड़ा कर दिया है. इस साल 2015 में धौनी की कप्तानी में कुल 16 मैचों में केवल आठ मैच में जीत मिली है.
4. बोर्ड में धौनी अलग-थलग
बीसीसीआई में भी कप्तान महेंद्र सिंह धौनी अलग-थलग पड़ गये हैं. बीसीसीआई में जब तक एन श्रीनिवासन की पकड़ मजबूत रही, धौनी के भी दिन अच्छे कट रहे थे. लेकिन अब जब श्रीनिवासन की पकड़ बोर्ड में समाप्त हो चुकी है धौनी भी अकेले पड़ गये हैं. बताया जाता है कि धौनी को श्रीनिवासन का समर्थन प्राप्त था. इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया में मिली करारी हार के बाद धौनी की कप्तानी छीन ली गयी थी, लेकिन उस समय श्रीनिवासन ने अपने अधिकार का स्तेमाल करते हुए धौनी की कप्तानी को बचा लिया था.