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लोढा समिति सीलबंद लिफाफा खोलने के बारे में विचार करेगी

नयी दिल्ली :उच्चतम न्यायालय ने आईपीएल में स्पाट फिक्सिंग के आरोपों में संलिप्त कुछ खिलाडियों के नामों से संबंधित सीलबंद लिफाफे खोलने और उस पर गौर करने की व्यावहारिकता का मामला आज पूर्व प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली समिति पर छोड़ दिया. न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल समिति ने अपनी अंतिम रिपोर्ट के साथ […]

नयी दिल्ली :उच्चतम न्यायालय ने आईपीएल में स्पाट फिक्सिंग के आरोपों में संलिप्त कुछ खिलाडियों के नामों से संबंधित सीलबंद लिफाफे खोलने और उस पर गौर करने की व्यावहारिकता का मामला आज पूर्व प्रधान न्यायाधीश आर एम लोढा की अध्यक्षता वाली समिति पर छोड़ दिया. न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल समिति ने अपनी अंतिम रिपोर्ट के साथ आईपीएल स्पाट फिक्सिंग में कथित रुप से शामिल कुछ खिलाडियों के नाम सीलबंद लिफाफे में सौंपे थे.

शीर्ष अदालत ने कहा कि बीसीसीआई में प्रशासनिक सुधार के पहलुओं पर विचार कर रही न्यायमूर्ति लोढा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय समिति उन व्यक्तियों की छवि और प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुये इस मसले पर गौर करेगी जिनके नाम सीलबंद लिफाफे में हैं.

न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्ला की पीठ ने क्रिकेट एसोसिएशन आफ बिहार के सचिव आदित्य वर्मा के अनुरोध पर खुद ही ऐसा करने से इंकार करते हुये कहा, यदि समिति कुछ व्यक्तियों की छवि और प्रतिष्ठा को प्रभावित किये बगैर ही इस पर गौर करना चाहती है तो वह इस पर विचार कर सकती है. क्रिकेट एसोसिएशन आफ बिहार के सचिव न्यायमूर्ति मुदगल समिति की रिपोर्ट चाहते थे जिसमें इस प्रकरण में कथित रुप से संलिप्त कुछ खिलाडियों के नामों का उल्लेख है.

न्यायालय ने कहा कि क्रिकेट एसोसिएशन आफ बिहार समिति के समक्ष इस बारे में अर्जी दायर कर सकती है. इस समिति में न्यायमूर्ति अशोक भान और न्यायमूर्ति आर वी रवीन्द्रन भी शामिल है. न्यायालय ने कहा कि यह समिति इस मामले के रिकार्ड की परख करके आवेदक के अनुरोध पर विचार कर सकती है.

न्यायालय ने कहा, अभी तक न्यायमूर्ति लोढा समिति से कोई अनुरोध प्राप्त नहीं हुआ है, इसलिए कोई आदेश देने की जरुरत नहीं है. न्यायाधीशों ने जब यह पूछा कि क्या न्यायमूर्ति लोढा समिति वकीलों और दूसरे लोगों से मिल रही है, क्रिकेट एसोसिएशन आफ बिहार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नलिनी चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने तमाम लोगों को सुना है.

इसके बाद न्यायालय ने सवाल किया, क्या आपको लगता है कि यह बीसीसीआई में सुधार लाने में मददगार होगा? क्या आप समझते हैं कि इसका कोई असर होगा और कोई सामने आयेगा जो बीसीसीआई को मौजूदा स्थिति से बाहर निकलने में मददगार होगा. न्यायालय ने न्यायमूर्ति लोढा समिति का कार्यकाल पांच महीने और बढाने का अनुरोध भी स्वीकार कर लिया और उससे कहा कि वह अपनी कार्यवाही 31 दिसंबर तक पूरी कर ले.

क्रिकेट एसोसिएशन आफ बिहार ने दावा किया था यदि न्यायमूर्ति लोढा समिति को तीसरी रिपोर्ट का सारा विवरण नहीं उपलब्ध कराया गया तो न्यायमूर्ति मुद्गल समिति द्वारा लगाया गया समय और उसके सारे प्रयास व्यर्थ हो जायेंगे. उसका यह भी कहना था कि संबंधित सरकारों द्वारा इस पर किया गया भारी खर्च भी पूरी तरह व्यर्थ हो जायेगा.

इस संगठन ने अनुरोध किया था कि शीर्ष अदालत की रजिस्टरी को निर्देश दिया जाये कि वह लोढा समिति को मुद्गल समिति की पहली और तीसरी रिपोर्ट का संपूर्ण विवरण उपलब्ध कराये. तीसरी रिपोर्ट पिछले साल एक नवंबर को शीर्ष अदालत में पेश की गयी थी.

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