नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आज एन श्रीनिवासन को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने की अनुमति दे दी लेकिन साथ ही उनके दामाद और राजस्थान रायल्स के मालिकों के खिलाफ सट्टेबाजी और स्पाट फिक्सिंग के आरोपों की जांच के लिये पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश मुकुल मुदगल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति भी गठित कर दी.
श्रीनिवासन ने अपने दामाद गुरुनाथ मयप्पन की स्पाट फिक्सिंग के आरोपों में गिरफ्तारी के बाद अध्यक्ष पद से खुद को अलग कर लिया था. बाद में बोर्ड के अध्यक्ष पद पर फिर से निर्वाचित होने के बावजूद शीर्ष अदालत ने उन्हें पदभार ग्रहण करने से रोक दिया था. न्यायालय ने करीब चार महीने बाद श्रीनिवासन को बोर्ड की बागडोर अपने हाथ में लेने की इजाजत दे दी.
न्यायमूर्ति ए के पटनायक और न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की खंडपीठ ने इसके साथ ही गुरुनाथ मयप्पन और राज कुन्द्रा सहित राजस्थान रायल्स के मालिकों के खिलाफ आरोपों की जांच के लिये नई समिति गठित कर दी. इस समिति को यथासंभव चार महीने के भीतर न्यायालय को अपनी रिपोर्ट सौंपनी है. इस समिति में वरिष्ठ अधिवक्ता एवं अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एन नागेश्वर राव और असम क्रिकेट एसोसिएशन के सदस्य नीलय दत्त को शामिल किया गया है. यह समिति गड़बड़ी करने वाली फ्रेंचाइजी का करार रद्द करने के बारे में भी अपनी रिपोर्ट न्यायालय को देगी.
शीर्ष अदालत ने श्रीनिवासन और क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड को समिति की जांच में हस्तक्षेप नहीं करने और सारी सूचनाएं मुहैया कराकर जांच में सहयोग करने का निर्देश दिया है. श्रीनिवासन की कंपनी इंडिया सीमेन्ट्स आईपीएल की टीम चेन्नई सुपर किंग्स की मालिक भी है. न्यायालय ने जांच पूरी होने तक श्रीनिवासन को बोर्ड के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करने की अनुमति नहीं देने का क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार का अनुरोध ठुकरा दिया.