नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने क्रिकेट विश्वकप के प्रसारण के अधिकार रखने वाले स्टार स्पोर्ट्स चैनल के सुझाव पर आज प्रसार भारती से जवाब मांगा. स्टार स्पोर्ट्स चाहता है कि दूरदर्शन यह सुनिश्चित करे कि वह मैचों की लाइव फीड निजी केबल के साथ साझा नहीं करेगा.
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोस की खंडपीठ ने इस बीच दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले पर लगी अंतरिम रोक की अवधि 19 फरवरी तक बढा दी है. उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि प्रसार भारती इन मैचों की लाइव फीड निजी दूरदर्शन चैनल दिखाने वाले केबल ऑपरेटरों के साथ साझा नहीं कर सकता है.
न्यायालय ने स्टार इंडिया लि को प्रसार भारती द्वारा लाइव फीड निजी केबल ऑपरेटरों के साथ साझा करने पर उसे होने वाले राजस्व के नुकसान का विवरण पेश करने का भी निर्देश दिया है. न्यायालय ने प्रसार भारती से कहा कि वह स्टार इंडिया लि की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम के इस सुझाव पर भी जवाब दे कि विश्वकप के मैच दिखाने के लिये प्रसार भारती राष्ट्रमंडल खेलों की तरह ही एक नया चैनल शुरु कर सकता है ताकि निजी केबल ऑपरेटरों को मैचों की लाइव फीड न मिल सके.
केंद्र और प्रसार भारती की ओर से अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि खेल कानून और केबल टीवी नेटवर्क कानून के तहत निजी चैनल के लिये राष्ट्रीय महत्व के मैचों की फीड दूरदर्शन के मुफ्त प्रसारण वाले चैनलों के लिये उपलब्ध कराने हेतु उन्हें प्रसार भारती के साथ साझा करना अनिवार्य है.
इस प्रावधान का हवाला देते हुये रोहतगी ने कहा कि निजी चैनल का यह दायित्व है कि वह अपने उपभोक्ताओं को दूरदर्शन के कुछ चैनल दिखायें और विश्व कप मैचों को दिखाने के लिये नया चैनल शुरु करना व्यावहारिक नहीं है. न्यायालय ने स्टार स्पोर्ट्स इंडिया के सुझावों पर 19 फरवरी तक प्रसार भारती से जवाब मांगा है.