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यह धौनी का दुर्भाग्य है कि उनके पास फ्लेचर जैसा कोच है : वेंगसरकर

मुंबई : पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने कहा कि बीसीसीआई टेस्ट मैचों को लेकर अधिक गंभीर नहीं है तथा टेस्ट मैचों के बीच कोई अभ्यास मैच नहीं रखने के कारण भारत को इंग्लैंड के हाथों श्रृंखला में 1-3 से हार झेलनी पड़ी. वेंगसरकर ने कोच डंकन फ्लैचर की कडी आलोचना करते हुए कहा कि […]

मुंबई : पूर्व भारतीय कप्तान दिलीप वेंगसरकर ने कहा कि बीसीसीआई टेस्ट मैचों को लेकर अधिक गंभीर नहीं है तथा टेस्ट मैचों के बीच कोई अभ्यास मैच नहीं रखने के कारण भारत को इंग्लैंड के हाथों श्रृंखला में 1-3 से हार झेलनी पड़ी.

वेंगसरकर ने कोच डंकन फ्लैचर की कडी आलोचना करते हुए कहा कि पूरे कोचिंग स्टॉफ को तुरंत बर्खास्त कर देना चाहिए. उन्होंने कप्तान महेंद्र सिंह धौनी की नेतृत्वक्षमता की भी आलोचना की. अपने करियर में 116 टेस्ट मैच खेलने वाले वेंगसरकर ने संदीप पाटिल की अगुवाई वाली चयन समिति के बारे में कहा कि वह दूरदृष्टा नहीं है.

वेंगसरकर ने कहा कि बीसीसीआई टेस्ट क्रिकेट को बहुत अधिक महत्व नहीं दे रहा है और इसका सबूत यह है कि पांच टेस्ट मैचों के लिए कोई खास तैयारी नहीं की गयी. इसके अलावा कार्यक्रम भी गलत तैयार किया गया. टेस्ट मैचों के बीच में कोई अभ्यास मैच नहीं रखा गया जिससे कि खराब फार्म में चल रहे खिलाड़ी फार्म में लौट सकें और बाहर बैठे सात रिजर्व खिलाडियों को मैच अभ्यास का मौका मिले.

हम 18 खिलाडि़यों को लेकर गये और लगभग इतने ही तथाकथित सहयोगी स्टाफ के कर्मचारी थे. गेंदबाजी 20 विकेट लेने में सक्षम नहीं दिख रही थी और बल्लेबाज फार्म में नहीं थे. उनके पास मूव करती गेंद को खेलने के तकनीक ही नहीं प्रतिबद्धता और जुझारुपन की कमी भी थी. वे बलि के बकरे की तरह दिख रहे थे और उन्होंने लगातार एक जैसी गलतियां की. मुझे हैरानी है कि बल्लेबाजी, गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण कोच क्या कर रहे थे? चयनकर्ताओं का काम आसान था क्योंकि उन्होंने सर्वश्रेष्ठ संभावित 18 खिलाडियों की टीम का चयन कर दिया. उन्होंने विकल्प तैयार करने के बारे में नहीं सोचा. उनमें विजन की कमी और कड़े फैसले करने का साहस नहीं था. उन्होंने सबसे सरल रास्ता चुना.

हार के लिए धौनी को जिम्मेदार ठहराते हुए वेंगसरकर ने कहा कि धौनी ने टीम की अगुवाई अच्छी तरह से नहीं की. उसकी चयन नीति, रणनीति, क्षेत्ररक्षण की सजावट और गेंदबाजी में बदलाव में व्यावहारिक समझ की कमी दिखी. उसने मैच दर मैच कुछ बडी गलतियां की जिसका खामियाजा भारत को भुगतना पडा. यह उसका और भारत का दुर्भाग्य है कि उसके पास डंकन फ्लैचर जैसा कोच है जिसके पास कोई आइडिया नहीं है और वह नहीं जानता कि चीजों को कैसे बदलना है. लगता है कि वह युवा टीम को प्रेरित नहीं कर पा रहा है. सच्चाई यह है कि सहयोगी स्टाफ और थिंक टैंक ने टीम को बुरी तरह से नीचा दिखाया. उम्मीद है कि बीसीसीआई उन्हें तुरंत प्रभाव से बर्खास्त करेगी.

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