भारत-इंडीज सीरीज : ‘फ्रंट फुट नोबॉल” पर फैसला मैदानी अंपायर नहीं, तीसरा अंपायर करेगा

दुबई : अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने गुरुवार को घोषणा की कि भारत और वेस्टइंडीज के बीच आगामी टी20 और वनडे अंतरराष्ट्रीय शृंखला में ‘फ्रंट फुट नोबॉल’ पर फैसला मैदानी अंपायर नहीं बल्कि तीसरा अंपायर करेगा. शृंखला शुक्रवार से हैदराबाद में टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच से शुरू होगी जिसमें तीन टी20 के अलावा इतने ही वनडे […]

By Prabhat Khabar Print Desk | December 5, 2019 5:00 PM

दुबई : अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) ने गुरुवार को घोषणा की कि भारत और वेस्टइंडीज के बीच आगामी टी20 और वनडे अंतरराष्ट्रीय शृंखला में ‘फ्रंट फुट नोबॉल’ पर फैसला मैदानी अंपायर नहीं बल्कि तीसरा अंपायर करेगा.

शृंखला शुक्रवार से हैदराबाद में टी20 अंतरराष्ट्रीय मैच से शुरू होगी जिसमें तीन टी20 के अलावा इतने ही वनडे खेले जायेंगे. इसके दौरान ही ‘फ्रंट फुट नोबॉल’ पर फैसला करने की तकनीक को ट्रायल पर रखा जायेगा. आईसीसी ने बयान में कहा, पूरे ट्रायल के दौरान प्रत्येक फेंकी गयी गेंद की निगरानी की जिम्मेदारी तीसरे अंपायर पर होगी और उन्हें ही पता करना होगा कि कहीं गेंदबाज का पांव रेखा से आगे तो नहीं पड़ा. उन्होंने कहा, अगर गेंदबाज का पांव रेखा से आगे होता है तो तीसरा अंपायर इसकी सूचना मैदानी अंपायर को देगा जो बाद में नोबॉल का इशारा करेगा. नतीजतन मैदानी अंपायर तीसरे अंपायर की सलाह के बिना ‘फ्रंट फुट नोबॉल’ पर फैसला नहीं करेगा.

आईसीसी ने कहा कि करीबी फैसलों में संदेह का लाभ गेंदबाज को मिलेगा. आईसीसी ने कहा, और अगर नोबॉल पर फैसला बाद में बताया जाता है तो मैदानी अंपायर आउट (अगर लागू होता है) के फैसले को रोक देगा और नोबॉल करार दे देगा. मैच के दौरान के अन्य फैसलों के लिए सामान्य की तरह मैदानी अंपायर जिम्मेदार होगा. इसके अनुसार, ट्रायल के नतीजे का इस्तेमाल यह निर्धारित करने के लिए होगा कि इस प्रणाली का नोबॉल संबंधित फैसलों की सटीकता पर लाभदायक असर होता है या नहीं और क्या इसे खेल के प्रवाह में कम से कम बाधा पहुंचाये बिना लागू किया जा सकता है या नहीं.

तीसरे अंपायर को फ्रंट फुट नोबॉल की जिम्मेदारी देने का फैसला इस साल अगस्त में लिया गया था. इस प्रणाली का ट्रायल सबसे पहले 2016 में इंग्लैंड और पाकिस्तान के बीच वनडे शृंखला के दौरान किया गया था. आईसीसी ने अपनी क्रिकेट समिति के ज्यादा से ज्यादा सीमित ओवर के मैचों में इसके इस्तेमाल की सिफारिश के बाद फिर से इसके परीक्षण का फैसला किया.

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