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जब कपिल ने चार गेंदाें पर चार छक्के लगा कर फाॅलाेअॉन टाला था
II अनुज कुमार सिन्हा II अब आइपीएल का जमाना है. एक-एक आेवर में 20-22 या उससे भी ज्यादा रन बन जा रहे हैं. कुछ ऐसे मैच भी हुए हैं, जब लगता है कि टीम अॉल आउट हाे जायेगी, अंतिम दाे-तीन आेवराें का खेल बचा है, एक या दाे विकेट बचे हैं, 40-50 रन आैर चाहिए, […]
II अनुज कुमार सिन्हा II
अब आइपीएल का जमाना है. एक-एक आेवर में 20-22 या उससे भी ज्यादा रन बन जा रहे हैं. कुछ ऐसे मैच भी हुए हैं, जब लगता है कि टीम अॉल आउट हाे जायेगी, अंतिम दाे-तीन आेवराें का खेल बचा है, एक या दाे विकेट बचे हैं, 40-50 रन आैर चाहिए, फिर भी टीम जीत जाती है.
भारतीय क्रिकेट में ऐसे कई खिलाड़ी हुए हैं, जाे अगर आज आइपीएल (कल्पना है) खेल रहे हाेते, ताे उनका कमाल देखते. बहुत खिलाड़ियाें की बात नहीं भी करें, ताे कम-से-कम एक-दाे ऐसे खिलाड़ी पर बात ताे हाे ही सकती है. इनमें एक नाम है कपिलदेव का. भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान आैर 1983 में वर्ल्ड कप दिलानेवाले अॉलराउंडर. ऐसे ताे कपिल ने टेस्ट आैर वनडे (तब टी-20 मैच नहीं आरंभ हुए थे) में बल्ले आैर गेंद दाेनाें से कमाल दिखाया, लेकिन कुछ ऐसे मैच हैं, जाे आज भी याद किये जाते हैं.
इनमें एक मैच है 1983 वर्ल्ड कप में जिंबाब्वे के खिलाफ खेली गयी कपिल की 175 रन की ऐतिहासिक पारी. 17 रन पर जब भारत के पांच विकेट आउट हाे गये थे, उसके बाद कपिल ने 175 रन की यादगार पारी खेल कर भारत काे जीत दिलायी थी. ऐसे खिलाड़ी थे कपिल.
लेकिन यहां पर हम टेस्ट की पारी का जिक्र करेंगे. टी-20 के वर्ल्ड कप में वेस्टइंडीज के ब्रैथवेट ने चार गेंदाें पर लगातार चार छक्के लगा कर इंग्लैंड की मुंह से जीत छीन ली थी. ऐसा ही करिश्मा कपिल ने 1990 में टेस्ट में किया था. जुलाई 1990 में लॉर्ड्स के मैदान पर भारत आैर इंग्लैंड के बीच टेस्ट मैच खेला जा रहा था.
इंग्लैंड की टीम ने पहली पारी में पहाड़ जैसा स्काेर खड़ा कर लिया था. ग्राहम गूच के तिहरा शतक (333 रन), एलेन लैंब के 139 आैर स्मिथ के 100 रन की बदाैलत इंग्लैंड ने चार विकेट पर 653 रन बना कर पारी घाेषित कर दी थी. भारत के लिए इतना बड़ा स्काेर बनाना ताे संभव नहीं था. सबसे बड़ी चुनाैती थी, फॉलाेअॉन काे टालना. लेकिन इसके लिए कम से कम 454 रन चाहिए था. यह भी काेई छाेटा स्काेर नहीं था. भारतीय बल्लेबाजाें में अजहर 121 आैर रवि शास्त्री (100) टिक कर खेले. कपिल भी बेहतर खेल रहे थे.
जब लग रहा था कि भारत किसी तरह फॉलाेअॉन टाल देगा, ताे अचानक संकट आ गया. एक समय सात विकेट पर भारत के 430 रन बन चुके थे. फॉलाेअॉन टालने के लिए सिर्फ 24 रन आैर चाहिए था, लेकिन इसी स्काेर पर किरण माेरे आैर एसके शर्मा आउट हाे गये. यानी स्काेर हाे गया नाै विकेट पर 430 रन. अभी भी 24 रन आैर चाहिए था. अंतिम विकेट के ताैर पर नरेंद्र हिरवाणी मैदान में उतरे. राहत की बात यह थी कि कपिल जमे हुए थे.
चिंता की बात यह थी कि हिरवाणी पर भराेसा नहीं किया जा सकता था. दाे-चार गेंद से ज्यादा गेंद खेलने की उम्मीद काेई नहीं करता था. ऐसा इसलिए, क्याेंकि इसके पहले के 10 टेस्ट में हिरवाणी ने सिर्फ 28 रन बनाये थे.
कपिल स्ट्राइक पर थे आैर गेंदबाज थे हेमिंग्स. दाे गेंदाें काे कपिल ने राेक लिया आैर काेई रन नहीं बनाया. अाेवर की चार गेंदें बाकी थी आैर फॉलाेअॉन टालने के लिए इन्हीं चार गेंदाें पर 24 रन चाहिए था. यानी चार छक्के. वनडे मैच नहीं था. टेस्ट मैच था. कपिल जानते थे कि एक भी रन कम बना आैर स्ट्राइक हिरवाणी काे मिला, ताे कहानी खत्म हाे जायेगी. कपिल काे अपने पर भराेसा था.
उन्हाेंने तय कर लिया कि चाहे जाे भी हाे, वे इसी आेवर में अपना काम कर जायेंगे. आेवर की तीसरी गेंद हेमिंग्स ने फेंकी. कपिल ने गेंदबाज के ऊपर से लगाया छक्का. चाैथी गेंद, पांचवीं गेंद आैर छठी गेंद पर भी कपिल ने जाेरदार शॉट लगाया. हर शॉट छक्का. टेस्ट मैच की लगातार चार गेंदाें पर चार छक्के लगा कर कपिल ने फॉलाेअॉन बचा लिया था. हेमिंग्स का आेवर खत्म हाे चुका था. स्ट्राइक बदल चुका था. अब हिरवाणी बैटिंग करने आ गये थे आैर कपिल थे सामनेवाली छाेर पर. गेंदबाज थे फ्रेजर. पहली ही गेंद पर हिरवाणी पगबाधा आउट.
भारत की पारी 454 पर ही समाप्त हाे गयी थी. यानी कपिल ने अगर चार गेंदाें पर 24 रन नहीं बनाये हाेते, एक भी रन कम बनाया हाेता, ताे फॉलाेअॉन तय था. यह बात अलग है कि उसके बाद भी भारत उस मैच काे बचा नहीं सका, क्याेंकि दूसरी पारी में टीम इंडिया ने घटिया गेंदबाजी की. संताेष की बात यह रही कि भारत हारा, लेकिन पारी से नहीं. ऐसे जीवट खिलाड़ी रहे हैं कपिल. आइपीएल में हाल में जैसी बल्लेबाजी हाे रही है, वह देख कर कपिल की वह पारी याद आ जाती है.
एक आैर पारी ऐसी ही खेली गयी थी, लेकिन उसे संदीप पाटील ने खेला था. भारतीय टीम के आक्रामक बल्लेबाज माने जाते थे पाटील. 1982 में मैनचेस्टर में भारत आैर इंग्लैंड के बीच टेस्ट खेला जा रहा था. बॉब विलिस इंग्लैंड के तेज गेंदबाज थे.
विलिस के एक आेवर में पाटील ने छह चाैके लगाये थे. यह बात अलग है कि यह आेवर सात गेंदाें का था, क्याेंकि चाैथी गेंद नाे बॉल थी. उन दिनाें चार गेंदाें पर चार छक्के आैर छह गेंदाें पर छह चाैके काेई साेच नहीं सकता था. टी-20 मैचाें ने इन धारणाआें काे बदल दिया है. खेल में तेजी आ गयी है. ऐसे में एक बात जेहन में आती है. काश, उन दिनाें टी-20 मैच खेला जाता, ताे कपिल, संदीप पाटील जैसे खिलाड़ी जरूर कमाल दिखाते.
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