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Vinayak Chaturthi 2020: विनायक चतुर्थी आज, जानिए पूजा विधि, कथा व शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने में दो चतुर्थी तिथि होती हैं. इस तिथि को भगवान गणेश की तिथि माना जाता है.अमावस्या के बाद आने वाली शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि विनायक चतुर्थी तथा पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्णपक्ष की तिथि संकष्टी चतुर्थी कहलाती है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार इन तिथियों पर भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से सारे संकट टल जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि होने के साथ यश की प्राप्ति होती है. इस बार की विनायक चतुर्थी 27 फरवरी को यानी आज है.

हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने में दो चतुर्थी तिथि होती हैं. इस तिथि को भगवान गणेश की तिथि माना जाता है.अमावस्या के बाद आने वाली शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि विनायक चतुर्थी तथा पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्णपक्ष की तिथि संकष्टी चतुर्थी कहलाती है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार इन तिथियों पर भगवान गणेश की पूजा अर्चना करने से सारे संकट टल जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि होने के साथ यश की प्राप्ति होती है. इस बार की विनायक चतुर्थी 27 फरवरी को यानी आज है.

विनायक चतुर्थी की कथा :

एक बार माता पार्वती ने भोलेनाथ के साथ चौपड़ खेलने की इच्छा जताई. शिवजी ने चौपड़ खेलना शुरू किया लेकिन इस खेल में दोनो के सामने समस्या यह थी कि हार-जीत का फैसला कौन करेगा. इसके लिए घास-फूस से एक बालक बना कर उसमें प्राण प्रतिष्ठा कर दी गई और कहा कि तुम ही हार-जीत का निर्णय करना. इसके बाद तीन बार माता पार्वती जीतीं लेकिन उस बालक ने भोलेनाथ को विजेता घोषित किया. इस पर माता पार्वती क्रोधित हो गईं और उन्होंने उस बालक को कीचड़ में रहने का श्राप दे दिया.बालक के माफी मांगने पर माता पार्वती ने कहा कि एक साल बाद नागकन्याएं यहां आएंगी. उनके कहे अनुसार गणेश चतुर्थी का व्रत करने से तुम्हारे कष्ट दूर होंगे. इसके बाद उस बालक ने गणेश जी की उपासना की और भगवान गणेश प्रसन्न हो गए. गणेशजी ने उसे अपने माता-पिता यानि भगवान शिव-पार्वती के दर्शन के लिए कैलाश जाने का वरदान दिया. वह बालक कैलाश पहुंच गया. वहीं माता पार्वती को मनाने के लिए शिवजी ने भी 21 दिन तक गणेश व्रत किया और माता पार्वती भी मान गईं. इसके बाद माता पार्वती ने भी अपने पुत्र से मिलने के लिए 21 दिन तक व्रत किया और उनकी यह इच्छा पूरी हो गयी. माना जाता है वो बालक ही भगवान कार्तिकेय हैं.

विनायक चतुर्थी की पूजा विधि:

– इस दिन गणेश जी की पूजा एक बार दोपहर में और एक बार मध्याह्न में की जाती है.

– स्नान आदि से निवृत होने के बाद आज लाल वस्त्र धारण करें.

– गणेश भगवान का स्मरण करें.

– दोपहर की पूजा शुरु करें.

– पूजा स्थल पर भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें.

– एक जटा वाला नारियल और मोदक प्रसाद के रूप में रखें.

– चतुर्थी के व्रत का संकल्प करें.

– गणपति को अक्षत्, रोली, पुष्प, गंध, धूप आदि अर्पण करें.

– गुलाब के फूल और दूर्वा अर्पण करें

– ॐ गं गणपतये नमः मन्त्र का 27 बार जाप करें तथा धूप दीप अर्पण करें.

– आज भोग में भगवान गणेश को मोदक जरुर अर्पित करें.

– पूजा संपन्न कर गणेश आरती करें.

शुभ मुहूर्त :

विनायक चतुर्थी – आज 27 अप्रैल 2020 (सोमवार)

मुहूर्त – प्रातः 11:37 से दोपहर 13:01 तक

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