Pitru Paksha Shradh 2021 : आज है पितृपक्ष का पहला दिन, पिंडदान और तर्पण से करें पितरों के मोक्ष की कामना

Pitru Paksha Shradh 2021 : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि आज है. आज से पितृपक्ष आरंभ हो गया. हिंदू धर्म में आज पूर्वजों को याद कर उन्हें आभार व्यक्त करने की परंपरा है, पितृ पक्ष में पितरों को याद कर उन्हें सम्मान प्रदान किया जाता है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 20, 2021 9:03 AM

Pitru Paksha Shradh 2021 : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि आज है. आज से पितृपक्ष आरंभ हो गया. हिंदू धर्म में आज पूर्वजों को याद कर उन्हें आभार व्यक्त करने की परंपरा है, पितृ पक्ष में पितरों को याद कर उन्हें सम्मान प्रदान किया जाता है, पितृ पक्ष यानि श्राद्ध का समापन अमावस्या की तिथि में किया जाता है, इस दिन को किया जाने वाला श्राद्ध सर्वपित्रू अमावस्या या महालय अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है, पितृ पक्ष में महालय अमावस्या सबसे महत्वपूर्ण माना गया है ….

मोक्षधाम गयाजी बिहार की विशेषता

श्राद्ध कर्म या तर्पण करने के भारत में कई स्थान है, लेकिन पवित्र फल्गु नदी के तट पर बसे प्राचीन गया शहर की देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी पिंडदान को लेकर अलग पहचान है. पुराणों के अनुसार पितरो के लिए खास मोक्षधाम गयाजी आकर पिंडदान एवं तर्पण करने से पितरो को मोक्ष की प्राप्ति होती है और माता -पिता समेत सात पीढ़ियों का उद्धार होता है. पितृ श्रेणी में मृत पूर्वजों माता -पिता दादा -दादी नाना -नानी सहित सभी पूर्वज शामिल होते है व्यापक दृष्टि से मृत गुरु और आचार्य भी पितृ की श्रेणी में आते है.

गयाजी में कूल 54 स्थान है, जहां पर पिंडदान करें श्रद्धालु जिसमे विष्णुपद मंदिर, फल्गु नदी के किनारे और अक्षयवट पर पिंडदान करना जरूरी माना जाता है, इसके अतिरिक्त प्रेतशिला ब्रह्मकुंड, रामशिला, रामकुंड, कागबलि तीर्थ, सीताकुंड, रामगया और बैतरणी सरोवर आदि भी पिंडदान के प्रमुख स्थान है. यही कारण है कि देश में श्राद्ध के लिए 55 स्थानों को महत्वपूर्ण माना गया है, जिसमे बिहार के गयाजी का स्थान सर्वोपरि है.

पितृ पक्ष का महत्व

शास्त्र अनुसार बताया जाता है कि मान्यता के अनुसार जो हमारे पूर्वज अपनी देह का त्याग कर देते है, उनकी आत्मा की शांति के लिए पितृ पक्ष में तर्पण किया जाता है, इस क्रिया को श्राद्ध भी कहा जाता है, श्राद्ध का अर्थ होता है, श्रद्धा पूर्वक, माना जाता है कि पितृ पक्ष यानि श्राद्ध के दिनों में मृत्युलोक के देवता यमराज पूर्वजों की आत्मा को मुक्त देते हैं, ताकि वे अपने परिजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें.

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करने से पितृ दोष दूर होता है, जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में पितृ दोष होता है उसे जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ता है, मान सम्मान प्राप्त नहीं होता है, धन की बचत नहीं होती है, रोग और बाधाएं उसका पीछा नहीं छोड़ती हैं, इसलिए पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण और मोक्षनगरी गयाजी में पिंडदान करने से पितृ दोष दूर होता है और परेशानियों से मुक्ति मिलती है.

पितर पक्ष में अपने पितरों के लिए श्रीमद्भागवत कथा का पाठ भी कराये. भागवत जी के पाठ से भी पितर प्रशन्न होते है धनधान्य, सुख शांति का आशीर्वाद देते हैं. पितर पक्ष में पितर गायत्री, त्रिपिंडी श्राद,नारायणबलि श्राद्ध गयाजी में पित्रदोष पूजा दान यह कार्य शुभ रहते है.

क्या है तर्पण

पितरों के लिए श्रद्धा से किए गए मुक्ति कर्म को श्राद्ध कहते हैं. वहीं, तृप्त करने की क्रिया और देवताओं, ऋषियों या पितरों को तंडुल या तिल मिश्रित जल अर्पित करने की क्रिया को तर्पण कहते हैं. श्राद्ध पक्ष का माहात्म्य उत्तर व उत्तर-पूर्व भारत में ज्यादा है. तमिलनाडु में आदि अमावसाई, केरल में करिकडा वावुबली और महाराष्ट्र में इसे पितृ पंधरवडा नाम से जानते हैं.

Posted by: Radheshyam Kushwaha

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