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Putrada Ekadashi 2022 : इस दिन मनाई जाएगी पुत्रदा एकादशी, ऐसे करें विष्णु जी के इन मंत्रों का जाप

Putrada Ekadashi 2022: पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्‍णु की विध‍िवत पूजा करने और व्रत करने से जातक को संतान का वरदान प्राप्‍त होता है. इस साल ये एकादशी 13 जनवरी, गुरुवार को है.

Putrada Ekadashi 2022: धर्म ग्रंथों के अनुसार, पौष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. इसे पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi 2022) कहते हैं. इस साल ये एकादशी 13 जनवरी, गुरुवार को है. ज्योतिषों की मानें तो 12 जनवरी को शाम में 04 बजकर 49 मिनट पर पौष पुत्रदा एकादशी शुरू होकर 13 जनवरी को शाम में 7 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी. व्रती दिन में किसी समय भगवान श्रीहरि और माता लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं.

एकादशी पूजा विधि-

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं.

  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें.

  • भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें.

  • भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें.

  • अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें.

  • भगवान की आरती करें.

  • भगवान को भोग लगाएं. इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है. भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें. ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं.

  • इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें.

  • इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें.

Putrada Ekadashi 2022: इन मंत्र का करें जप

1. ॐ क्लीं देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते,

देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम् गता.

2. वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी.

पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी..

एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम.

यः पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता..

3. शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं

विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्.

लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्

वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

4. ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान.

यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते..

5. विष्णु जी के बीज मंत्र

ॐ बृं बृहस्पतये नम:.

ॐ क्लीं बृहस्पतये नम:.

ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:.

ॐ ऐं श्रीं बृहस्पतये नम:.

ॐ गुं गुरवे नम:.

6. या रक्ताम्बुजवासिनी विलासिनी चण्डांशु तेजस्विनी.

या रक्ता रुधिराम्बरा हरिसखी या श्री मनोल्हादिनी॥

या रत्नाकरमन्थनात्प्रगटिता विष्णोस्वया गेहिनी.

सा मां पातु मनोरमा भगवती लक्ष्मीश्च पद्मावती॥

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