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Navratri 2020: 9 दिनों तक मां के अलग-अलग नौ स्वरूपों की होती है पूजा, यहां जानिए नवरात्रि में कन्याओं का पूजन करने का विशेष महत्व…

Navratri 2020, puja vidh, Samagri, Aarti, katha, puja kaise kare, kalash sthapana vidhi, mantra, shubh muhurt: नवरात्रि हिन्दुओं का एक पवित्र पर्व है, जिसमें मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा और आराधना की जाती है. नवरात्रि में भक्त सच्ची श्रद्धा से पूरे 9 दिनों तक मां के अलग-अलग नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं. नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. नवमी के दिन नौ कन्याओं का पूजन करने से नवरात्रि का संकल्प पूर्ण होता है. नवरात्रि में प्रमुख रूप से दो साल से लेकर दस साल तक की कन्याओं का पूजन करने का विशेष महत्व होता है.

Navratri 2020: नवरात्रि हिन्दुओं का एक पवित्र पर्व है, जिसमें मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा और आराधना की जाती है. नवरात्रि में भक्त सच्ची श्रद्धा से पूरे 9 दिनों तक मां के अलग-अलग नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं. नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व होता है. नवमी के दिन नौ कन्याओं का पूजन करने से नवरात्रि का संकल्प पूर्ण होता है. नवरात्रि में प्रमुख रूप से दो साल से लेकर दस साल तक की कन्याओं का पूजन करने का विशेष महत्व होता है.

जानिए नवरात्रि में कन्या पूजन करने की विधि

2 वर्ष की कन्या को कुमारी और 3 वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति कहते है, इनकी पूजन से धन, सुख-समृद्धि, आयु में वृद्धि होती है. साथ ही परिवार में परेशानियां खत्म हो जाती है.

नवरात्रि में कन्याओं की पूजा करने का विशेष महत्व है. हिन्दू धर्म में मान्यता है कि तीन साल की कन्या को त्रिमूर्ति कहते है और इनकी पूजन करने से घर में कभी भी पैसे की कमी नहीं होती है. नवरात्रि के तीसरे दिन तीन साल की कन्या पूजन की परंपरा है. वहीं, 4 वर्ष की कन्या को कल्याणी कहते है इनके पूजन से घर में सुख समृद्धि आती है.

नवरात्रि के पांचवे दिन 5 वर्ष की कन्या का पूजन करना चाहिए. इस उम्र की कन्या को रोहिणी कहते है. रोहिणी कन्या का पूजन करने से भक्त की सेहत अच्छी रहती है. वहीं, छह वर्ष की कन्या को कालिका का रूप माना जाता है. कन्या के इस रूप से यश और गौरव की प्राप्ति होती है और शत्रुओं का नाश होता है.

नवरात्रि के पांचवे दिन 5 वर्ष की कन्या का पूजन करना चाहिए. इस उम्र की कन्या को रोहिणी कहते है. रोहिणी कन्या का पूजन करने से भक्त की सेहत अच्छी रहती है. वहीं, छह वर्ष की कन्या को कालिका का रूप माना जाता है. कन्या के इस रूप से यश और गौरव की प्राप्ति होती है और शत्रुओं का नाश होता है.

7 वर्ष की कन्या को चण्डिका कहते है, इनकी पूजन से घर में संपन्नता आती है. वहीं, आठ वर्ष की कन्या को शाम्भवी कहते है. इनका पूजन करने से दरिद्रता का नाश होता है.

9 वर्ष की कन्या को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है, इनके पूजन से कठिन से कठिन कार्य आसानी से हल हो जाता है. वहीं, दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहते है. इस कन्या की पूजा करने से सभी तरह के सुख और वैभव की प्राप्ति होती है.

9 वर्ष की कन्या को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है. इनके पूजन से कठिन से कठिन कार्य आसानी से हल हो जाता है. वहीं, दस वर्ष की कन्या को सुभद्रा कहते है. इस कन्या की पूजा करने से सभी तरह के सुख और वैभव की प्राप्ति होती है.

News Posted by: Radheshyam Kushwaha

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