Mahalaya Amavasya 2025: कब है महालया, धार्मिक दृष्टि से क्यों है यह दिन खास

Mahalaya Amavasya 2025: महालया अमावस्या को पितृपक्ष की समाप्ति और शारदीय नवरात्रि की शुरुआत का प्रतीक माना जाता है. इस दिन आखिरी बार पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है. आइए जानते हैं कि इस वर्ष महालया अमावस्या कब शुरू होगी.

By Neha Kumari | September 20, 2025 5:44 PM

Mahalaya Amavasya 2025: महालया अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है. इस दिन पितृ पक्ष समाप्त होता है और शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती है. इस साल महालया अमावस्या 21 सितंबर 2025 को पड़ रही है. पितरों को श्रद्धांजलि देने के लिए यह दिन बेहद खास है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन मां दुर्गा कैलाश पर्वत से धरती पर अपने परिवार के साथ आगमन करती हैं.

महालया अमावस्या की तिथि और मुहूर्त


महालया अमावस्या की तिथि 21 सितंबर 2025 को सुबह 12:16 बजे शुरू होकर 22 सितंबर 2025 को सुबह 1:23 बजे तक रहेगी.

  • कुतुप मुहूर्त: सुबह 11:50 से दोपहर 12:38 बजे तक
  • रौहिण मुहूर्त: दोपहर 12:38 से दोपहर 1:27 बजे तक
  • अपराह्न काल: दोपहर 1:27 से दोपहर 3:53 बजे तक

महालया अमावस्या के दिन क्या करें

  • इस दिन पूजा के दौरान देवी महालक्ष्मी और दुर्गा की स्तुति का पाठ करना लाभदायक होता है.
  • मान्यता है कि इन दिनों तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है.
  • माना जाता है कि इस दिन गरीबों को भोजन कराने और दान देने से पुण्य की प्राप्ति होती है.
  • इस दिन रात में दीपदान करना शुभ माना जाता है.

महालया अमावस्या पर ऐसे करें पितरों को विदा

  • पितरों की आत्मा की शांति के लिए नदी, तालाब या जलाशय के किनारे जाकर तिल और जौ वाला जल दक्षिण दिशा में चढ़ाएं.
  • ब्राह्मणों को भोजन कराना और जरूरतमंदों को दान देना भी बहुत शुभ माना जाता है.
  • पूर्वजों के लिए भोजन तैयार करने के लिए केले के पत्ते पर पंचभोग रखें, जिसमें गाय, देवी-देवता, कौए, कुत्ते और चींटियों के लिए भी थोड़ा अर्पित करें.
  • रात में नदी या तालाब किनारे दीपक जलाएं, साथ ही घर में पानी वाली जगह या पीपल के पास भी तेल का दीपक रखें.
  • इस दिन पितरों से हुई भूल-चूक के लिए क्षमा याचना करें और उनका आशीर्वाद लेने की प्रार्थना करें.