Shani Pradosh Vrat March 2020 : शनि प्रदोष व्रत कल,जानें व्रत के फायदे और पूजन विधि

21 मार्च 2020 को त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाएगा.हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है.एक महीने में दो प्रदोष तिथि आती है जो क्रमशः शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की होती है. इसी तरह 1 साल में कुल 24 प्रदोष व्रत आती है.इस दिन शिव पूजा व आराधना का काफी अधिक महत्व है.इस व्रत को करने से व्रती पर शिव जी की कृपा बरसती है.

By ThakurShaktilochan Sandilya | March 20, 2020 9:23 AM

Pradosh vrat in march 2020 : व्रत का हिन्दू धर्म मे एक अलग महत्व है और एकादशी व द्वादशी के ठीक बाद 21 मार्च 2020 को त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाएगा.हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है.एक महीने में दो प्रदोष तिथि आती है जो क्रमशः शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की होती है. इसी तरह 1 साल में कुल 24 प्रदोष व्रत आती है.इस दिन शिव पूजा व आराधना का काफी अधिक महत्व है.इस व्रत को करने से व्रती पर शिव जी की कृपा बरसती है.

तिथि के हिसाब से तय होती है देवता की उपासना –

प्रदोष व्रत pradosh vrat 2020 के दिन तिथि के हिसाब से तय किया जाता है की कौन से देवता की उपासना की जाएगी.जैसे इस साल 2020 में प्रदोष व्रत 21 मार्च शनिवार के दिन पड़ रहा है shani pradosh vrat in march 2020 तो इस व्रत को शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा.शास्त्रों में शनि प्रदोष का काफी महत्व बताया गया है.इस दिन भगवान शनि की पूजा की जाती है.जिन जातकों की कुंडली मे शनि का दोष रहता है उनके लिए यह दिन काफी लाभदायक सिद्ध होता है अगर वो इस दिन शनि प्रदोष व्रत रखें .उनके शनि से जुड़े दोष दूर हो सकते हैं.हालांकि यह प्रदोष व्रत भगवान शिव व पार्वती से जुड़ा हुआ है लेकिन संबंधित तिथि के देवताओं की उपासना से यह और अधिक लाभदायक सिद्ध होता है.

आइये जानते हैं किस तिथि पर पड़ने वाले प्रदोष को क्या कहा जाता है और इसका क्या महत्व है-

मान्यता के अनुसार प्रदोष व्रत भगवान शिव और पार्वती की पूजा से जुड़ा व्रत का फल प्रत्येक तिथि के हिसाब से अलग-अलग मिलता है –

pradosh vrat pujan vidhi

प्रदोष व्रत की पूजा विधि :

प्रदोष व्रत करने के लिए शनिवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें

स्नान-ध्यान से निवृत होकर सबसे पहले पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं.

इसके बाद सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें.

इसके बाद शनि देवता को पंच अमृत से स्नान कराएं

अब कलश स्थापित करें और फिर शनिदेव की पूजा फल, फूल, धूप-दीप, काले तिल, काले वस्त्र चढ़ाकर करें

पूजा के समय शनि चालीसा का पाठ जरूर करें

साथ ही शनि मंत्र का जाप कम से कम 11 बार जरूर करें

जल्दी सुबह उठकर सबसे पहले स्नान करें और भगवान शिव को जल चढ़ाकर भगवान शिव का मंत्र जपें.

विधि-विधान से शिवलिंग की पूजा करें

इसके बाद पूरे दिन निराहार रहते हुए प्रदोषकाल में भगवान शिव को शमी, बेल पत्र, कनेर, धतूरा, चावल, फूल, धूप, दीप, फल, पान, सुपारी आदि चढ़ाएं

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