Holika Dahan 2023 Exact Date and Time: फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि में होलिका दहन होता है ,इस वर्ष फाल्गुन शुक्ल पक्ष पूर्णिमा दिनांक - 06/03/2023 दिन सोमवार को अपराह्न 4:00 बजे से लग रही है,जो 07/03/2023 को सायंकाल 5:44 बजे तक रहेगी पूर्णिमा और प्रदोष काल के संयोग से होलिका दहन होता है .इस वर्ष 06 मार्च को ही प्रदोषकाल में पूर्णिमा तिथि प्राप्त हो रही है, अगले दिन अर्थात् 07 मार्च को प्रदोष काल से पहले ही पूर्णिमा तिथि समाप्त हो जाएगी .
धर्मसिंधु के निर्णयानुसार होलिका दहन कब होना चाहिए
ऐसी परिस्थिति धर्मसिंधु के निर्णयानुसार 06 मार्च को ही होलिका दहन होना चाहिए यहां भद्रा भी विचारणीय है क्योंकि भद्रा में होलिका दहन का निषेध प्राप्त होता है भद्रा 06 मार्च को अपराह्न 04:00 बजे से 07 मार्च की प्रातः काल 05:02 बजे तक है.ऐसी परिस्थिति में धर्म सिन्धु के इस वाक्य का अनुसरण हम सबका मार्ग प्रशस्त करता है ---
परदिने प्रदोष स्पर्शाभावे पूर्वदिने यदि (यदि निशीथात्प्राक् भद्रा समाप्तिस्तदा भद्रावसानोत्तरमेव होलिका दीपनम्)निशीथोत्तरं भद्रा समाप्तौ भद्रामुखं त्यक्त्वा भद्रायामेव प्रदोषे भद्रामुखव्याप्ते भद्रोत्तरं प्रदोषोत्तरं वा .
अर्थात् दूसरे दिन पूर्णिमा का स्पर्श यदि प्रदोष काल में न हो रहा है तो पहले दिन यदि भद्रा की समाप्ति निशीथकाल के बाद हो रही है तो भद्रा के मुख को त्याग करके भद्रा में ही होलिका दहन किया जाना चाहिए . प्रदोष काल में यदि भद्रा की व्याप्ति हो तो भद्रा बीतने के बाद अथवा प्रदोषकाल बीत जाने के बाद होलिका दहन होना चाहिए. ऐसी ही परिस्थिति इस वर्ष बन रही है .अतः 06 मार्च को ही भद्रा मुखकाल छोड़कर भद्रापुच्छभाग के समय में (जो भद्रा का परिहार स्वरूप प्रशस्त समय होता है) अर्थात् रात्रि 12:25 से रात्रि 1:39 तक के मध्य समयान्तराल में होलिका दहन करना शुभ एवं सर्वोत्तम होगा , था अगले दिन 07 मार्च दिन मंगलवार को चूंकि सायंकाल के समीप तक पूर्णिमा तिथि हो रही है इसलिए इस दिन न तो होलिका विभूतिधारण करना चाहिए और न ही रंगोत्सव मनाना चाहिए.
इसके लिए सूर्योदय व्यापिनी प्रतिपदा 08 मार्च को है अतः 08 मार्च बुधवार को ही होलिका विभूति धारण करना तथा रंगोत्सव मनाना शुभदायक एवं मंगलमय होगा. शुभ समय में होलिका दहन और होलिका विभूतिधारण करने से वर्ष पर्यन्त परिवार में मंगल होता रहता है .इसके विपरीत करने पर अरिष्ट होने की प्रवृत्ति संभव होती है . अतः त्योहारों को समय से और विधिपूर्वक मनाना चाहिए .
नागेन्द्र पाण्डेय
ज्योतिषाचार्य
चंदवारा कोडरमा