Holi 2023: हर वर्ष फाल्गुन शुक्ल चतुर्दशी की शाम को होली का दहन होता है और पूर्णिमा को धुलंडी मनाई जाती है. होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल की प्रदोष व्यापीनी पूर्णिमा को भद्रा रहित करना शास्त्रों में उचित माना गया है. यानी होलिका दहन में केवल भद्रा पक्ष को टालना होता है. जानते हैं कि होली कब है? होलिका दहन कब है और होलिका दहन का समय क्या है?
सुबह में भ्रदा, होलिका दहन के लिए मिलेगा केवल इतना समय
होलिका दहन के दिन सात मार्च को भद्रा सुबह 5.15 बजे तक है. ऐसे में प्रदोष काल में होलिका दहन के समय भद्रा का साया नहीं रहेगा. सात मार्च को होलिका दहन का मुहूर्त शाम को 6.24 बजे से रात 8.51 बजे तक है. इस दिन होलिका दहन का कुल समय दो घंटे 27 मिनट का है. होलिका दहन की अवधि 2 घंटे 27 मिनट फाल्गुन पूर्णिमा तिथि प्रारंभ (Falgun Purnima Date Start) 6 मार्च 2023 को 04:17 अपराह्न फाल्गुन पूर्णिमा तिथि समाप्त (Falgun Purnima Date End) 7 मार्च 2023 को 06:09 अपराह्न.
होलिका दहन महत्व (Holika Dahan Significance)
होलिका दहन की लपटें बहुत लाभकारी होती है, माना जाता है कि होलिका की पूजा करने से साधक की हर चिंता दूर हो जाती है. होलिक दहन की अग्नि नकारात्मकता का नाश करती है वहीं वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो इसकी लपटों से वातावरण में मौजूद बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं. होलिका पूजा और दहन में परिक्रमा बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. कहते हैं परिक्रमा करते हुए अपनी मनोकामनाए कहने से वो जल्द पूरी हो जाती है.
होली का महत्व
भगवान विष्णु के परम भक्त प्रह्लाद को आग में जलाकर मारने के लिए उसके पिता हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को तैयार किया. होलिका के पास एक चादर थी, जिसको ओढ़ लेने से उस पर आग का प्रभाव नहीं होता था. इस वजह से वह फाल्गुन पूर्णिमा को प्रह्लाद को आग में लेकर बैठ गई. भगवान विष्णु की कृपा से भक्त प्रह्लाद बच गए और होलिका जलकर मर गई. इस वजह से हर साल होलिका दहन किया जाता है और अगले दिन रंगों की होली मनाई जाती है. होली बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक के रूप में मनाया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. prabhatkhabar.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.)