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Dhanteras-Diwali 2020 Date: आज है धनतेरस का पर्व, यहां जानें नरक चतुर्दशी, दिवाली, भैयादूज, गोवर्द्धन पूजा और छठ का सही समय…

Dhanteras 2020 Date, Diwali, Govardhan Puja, Narak Chaturdashi, Bhaiya Dooj, Chhath Puja: आने वाले 10 दिनों में कई त्योहार एकसाथ पड़ रहे हैं. आज रात में त्रयोदशी तिथि भी शुरू हो जाएगी. दिवाली का पर्व धनतेरस से शुरू होकर भाई दूज को समाप्त होता है. धनतेरस (Dhanteras), दिवाली (Diwali), गोवर्द्धन पूजा (Govardhan Puja), नरक चतुदर्शी (Narak Chaturdashi), भैयादूज (Bhaiya Dooj) और छठ पूजा (Chhath Puja) शामिल है. ये सभी त्योहार हिंदू धर्म में बेहद महत्वपूर्ण होते हैं. इन सभी त्योहारों का अलग-अलग महत्व है. धनतेरस से दीपावली पर्व का शुरुआत होता है. धनतेरस पांच दिन तक चलने वाले दीपावली (Deepawali) पर्व का पहला दिन है. इसे धनत्रयोदशी (Dhantrayodashi), धन्‍वंतरि त्रियोदशी (Dhanwantari Triodasi) या धन्‍वंतरि जयंती (Dhanvantri Jayanti) भी कहा जाता है. पहले धनतेरस का पर्व मनाया जाता है. इस दिन भगवान धनवंतरी, कुबेर की पूजा की जाती है. वहीं, इसके बाद दीपो का उत्सव दिवाली मनाया जाता है. इसके अगले दिन गोवर्द्धन पूजा की जाती है. फिर आता है भाई-बहन के अपार प्रेम और समर्पण का प्रतीक का पर्व भैया दूज. इसके बाद छठ पूजा का पर्व आजा है. आइए यहां जानते है इन सभी पर्वों के तिथि, सही तारीख और पूरी डिटेल्स...

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यहां जानें सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त

धनतेरस के दिन सोना खरीदने का शुभ मुहूर्त होता है. इस साल आप धनतेरस के दिन सुबह 06:42 बजे से शाम के 05:59 बजे तक सोना खरीद सकते है. इस बार सोना और चांदी खरीदने के लिए कुल 11 घंटे 16 मिनट का समय है. इस समय पर सोना खरीदने से पूरे साल घर में शुभ कार्य संपन्न होते हैं. साथ ही घर में सुख-शांति और समृद्धि भी आती है.

धनतेरस पूजा सामग्री

- लक्ष्मी-गणेश जी के चांदी के सिक्के

- 5 सुपारी

- मां लक्ष्मी को अर्पित करने के लिए 21 कमलगट्टे

- प्रसाद के लिए पीले और सफेद रंग की मिठाई

- 5 पान के पत्ते, कटे-फटे न हो

- लौंग

- कपूर

- रोली और अक्षत

- फूल-माला

- फलों में शरीफा सबसे उत्तम रहता है

- नारियल और मां लक्ष्मी को अर्पित करने के लिए गंगा जल

- कुछ पैसों के सिक्के

- धूप-दीप

- चंदन, हल्दी, शहद इत्यादि.

गोवर्धन पूजा विधि

- प्रातः काल शरीर पर तेल मलकर स्नान करें.
- घर के मुख्य द्वार पर गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाएं.
- गोबर का गोवर्धन पर्वत बनाएं, पास में ग्वाल बाल, पेड़ पौधों की आकृति बनाएं.
- मध्य में भगवान कृष्ण की मूर्ति रख दें.
- इसके बाद भगवान कृष्ण, ग्वाल-बाल और गोवर्धन पर्वत का षोडशोपचार पूजन करें.
- पकवान और पंचामृत का भोग लगाएं.
- गोवर्धन पूजा की कथा सुनें, प्रसाद वितरण करें.

यहा जानें पूजा सामग्री की लिस्ट

मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की प्रतिमा, रोली, कुमुकम, अक्षत (चावल), पान, सुपारी, नारियल, लौंग, इलायची, धूप, कपूर, अगरबत्तियां, मिट्टी, दीपक, रूई, कलावा, शहद, दही, गंगाजल, गुड़, धनिया, फल, फूल, जौ, गेहूं, दूर्वा, चंदन, सिंदूर, पंचामृत, दूध, मेवे, खील, बताशे, जनेऊ, श्वेस वस्त्र, इत्र, चौकी, कलश, कमल गट्टे की माला, शंख, आसन, थाली. चांदी का सिक्का, चंदन, बैठने के लिए आसन, हवन कुंड, हवन सामग्री, आम के पत्ते प्रसाद.

दिवाली के दिन ऐसे करें पूजा

दो बड़े दीपक लेकर एक में घी और दूसरे में तेल भरकर रखें. एक को मूर्तियों के चरणों में और दूसरे को चौकी की दाईं तरफ रखें. इसके बाद एक छोटा दीपक गणेशजी के पास भी रखें. फिर शुभ मुहूर्त के समय जल, मौली, अबीर, चंदन, गुलाल, चावल, धूप, बत्ती, गुड़, फूल, धानी, नैवेद्य आदि लेकर सबसे पहले पवित्रीकरण करें. सभी दीपकों (न्यूनतम 26 दियों को जलाना शुभ माना जाता है) को जलाकर उन्हें नमस्कार करें. उन पर चावल छोड़ दें. पहले पुरुष और बाद में स्त्रियां गणेशजी, लक्ष्मीजी व अन्य देवी-देवताओं का विधिवत षोडशोपचार पूजन, श्री सूक्त, लक्ष्मी सूक्त व पुरुष सूक्त का पाठ करें और आरती उतारें.

भैयादूज कब है, तिथि और शुभ मुहूर्त

भैयादूज / यम द्वितीया की तिथि: 16 नवंबर 2020

द्वितीया तिथि प्रारंभ: 16 नवंबर 2020 की सुबह 07 बजकर 06 मिनट पर

द्व‍ितीया तिथि समाप्‍त: 17 नवंबर की सुबह 03 बजकर 56 मिनट तक

गोवर्द्धन पूजा कब है, तिथि और शुभ मुहूर्त

गोवर्द्धन पूजा / अन्‍नकूट की तिथि: 15 नवंबर 2020

प्रतिपदा तिथि प्रारंभ: 15 नवंबर की सुबह 10 बजकर 36 मिनट पर

प्रतिपदा तिथि समाप्‍त: 16 नवंबर की सुबह 07 बजकर 06 मिनट पर

गोवर्द्धन पूजा सांयकाल मुहूर्त: 15 नवंबर 2020 की दोपहर 03 बजकर 19 मिनट से शाम 05 बजकर 27 मिनट तक

कुल अवधि: 02 घंटे 09 मिनट

दीपावली कब है, तिथि और शुभ मुहूर्त

दीपावली / लक्ष्‍मी पूजन की तिथि: 14 नवंबर 2020

अमावस्‍या तिथि प्रारंभ: 14 नवंबर की दोपहर 02 बजकर 17 मिनट पर

अमावस्‍या तिथि समाप्‍त: 15 नवंबर की सुबह 10 बजकर 36 मिनट पर

लक्ष्‍मी पूजा मुहुर्त: 14 नवंबर की रात 5 बजकर 28 मिनट से 7 बजकर 24 मिनट तक होगा

कुल अवधि: 01 घंटे 56 मिनट

नरक चतुदर्शी कब है, तिथि और शुभ मुहूर्त

नरक चतुदर्शी की तिथ: 14 नवंबर 2020

चतुदर्शी तिथि प्रारंभ: 13 नवंबर की शाम 05 बजकर 59 मिनट पर

चतुदर्शी तिथि समाप्‍त: 14 नवंबर की दोपहर 02 बजकर 17 मिनट तक

अभ्यंग स्‍नान मुहूर्त: 14 नवंबर की सुबह 05 बजकर 23 मिनट से सुबह 06 बजकर 43 मिनट तक

कुल अवधि: 01 घंटे 20 मिनट

धनतेरस कब है, तिथि और शुभ मुहूर्त

- धनतेरस की तिथि 13 नवंबर 2020

- त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 12 नवंबर की शाम 09 बजकर 30 मिनट पर

- त्रयोदशी तिथि समाप्‍त: 13 नवंबर की शाम 05 बजकर 59 मिनट पर

- धनतेरस पूजा मुहूर्त: 13 नवंबर की शाम 05 बजकर 28 मिनट से रात 05 बजकर 59 मिनट तक

- अवधि: 00 घंटे 30 मिनट

धनतेरस में शुभ माना जाता है इन चीजों की खरीदारी

धनतेरस में कलश,हल्दी की गांठ, झाड़ू खरीदना बहुत शुभ होता है। झाड़ू खरीदने के पीछे कहा जाता है कि धनतेरस के दिन घर की सफाई कर पुरानी झाड़ू की जगह नई झाड़ू लानी चाहिए. इसलिए इस दिन झाड़ू खरीदना शुभ माना जाता है। इस दिन धनिया के बीज, सोना-चांदी, धातु के बर्तन खासकर पीतल के बर्तन खरीदना भी बहुत शुभ होता है. इस दिन कलश खरीदना भी अच्छा रहता है. धनतेरस के दिन अगर आप बर्तन लाते हैं तो उन्हें खाली नहीं रखना चाहिए. पूजा से पहले उनमें जलभरकर रखना चाहिए.

भाईदूज 2020 (Bhaidooj 2020)

14 नवंबर को दिवाली का पर्व मनाया जाएगा. इसके बाद 15 नवंबर 2020 को गोवर्धन पूजा की जाएगी. वहीं, अंतिम दिन 16 नवंबर को भाईदूज या चित्रगुप्त जयंती मनाई जाएगी. इस बार हिंदी पंचांग के अनुसार द्वितीय तिथि नहीं है, जिसके कारण तिथि घट रही हैं.

कब है दिवाली तिथि

इस बार दिवाली 14 नवंबर को मनायी जाएगी. क्योंकि 15 नवंबर की सुबह 10.00 बजे तक ही अमावस्या तिथि रहेगी. अमावस्या तिथि में रात में भगवान गणेश और मां लक्ष्मी का पूजन किया जाता है. इसलिए दिवाली इस साल 14 नवंबर को मनाई जाएगी.

आज रात से धनतेरस की शुरू हो जाएगी खरीदारी

कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. आज रात में ही त्रयोदशी तिथि लग जाएगी. इसलिए आज रात से ही धनतेरस की खरीदारी शुरू हो जाएगी. इस साल धनतेरस 13 नवंबर यानि कल मनाया जाएगा. ज्योतिषाचार्यों के अनुसार त्रयोदशी 12 नवंबर यानि आज रात से लग जाएगी. हालांकि उदया तिथि में त्योहार मनाया जाता है, इसलिए धनतेरस का पर्व 13 नवंबर को मनाया जाएगा.

नरक चतुर्दशी

इस साल छोटी दिवाली या नरक चतुर्दशी 14 नवंबर को मनाई जाएगी. नरक चतुर्दशी पर स्नान का शुभ मुहूर्त सुबह 5 बजकर 23 मिनट से सुबह 6 बजकर 43 मिनट तक रहेगा. चतुर्दशी तिथि 14 नवंबर की दोपहर 1 बजकर 16 मिनट तक ही रहेगी. इसके बाद अमावस्या लगने से दिवाली भी इसी दिन मनाई जाएगी. इस बार छोटी दिवाली और बड़ी दिवाली एक ही मनाई जाएगी.

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