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Chandra Grahan 2021: चंद्र ग्रहण में राहु-केतु की क्या रहती है भूमिका, जानिए इससे जुड़ी पौराणिक कथा और सूतक काल का महत्व

Chandra Grahan 2021 In India: चंद्र ग्रहण को लेकर अलग-अलग मत है. ज्योतिशास्त्र में चंद्र ग्रहण को एक घटना मानी जाती है. इसके पीछे राहु-केतु का कारण बताया जाता है. वहीं, विज्ञान के अनुसार जब पृथ्वी, चन्द्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है तो ग्रहण लगता है. वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब ग्रहण लगता है तो चंद्रमा पीड़ित हो जाते है.

Chandra Grahan 2021 In India: चंद्र ग्रहण को लेकर अलग-अलग मत है. ज्योतिशास्त्र में चंद्र ग्रहण को एक घटना मानी जाती है. इसके पीछे राहु-केतु का कारण बताया जाता है. वहीं, विज्ञान के अनुसार जब पृथ्वी, चन्द्रमा और सूर्य के बीच आ जाती है तो ग्रहण लगता है. वहीं ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब ग्रहण लगता है तो चंद्रमा पीड़ित हो जाते है. मान्यता है कि समुद्र मंथन के दौरान भगवान विष्ष्णु जब देवताओं को अमृतपान करा रहे थे, तो देवताओं की लाइन में एक दैत्य भी छिपकर बैठ गया था. जिसे चंद्रमा और सूर्य ने देख लिया था. आइए जानते है चंद्र ग्रहण से जुड़ी पौराणिक कथाएं…

चंद्र ग्रहण और राहु- केतु से जुड़ी पौराणिक कथा

समुद्र मंथन के दौरान स्वर्भानु नामक एक दैत्य ने छल से अमृत पान करने की कोशिश की थी. तब चंद्रमा और सूर्य ने देख लिया था. इसके बाद दैत्य की हरकत के बारे में चंद्रमा और सूर्य ने भगवान विष्णु को जानकारी दे दी. इसकी जानकारी मिलते है भगवान विष्णु ने अपने सुर्दशन चक्र से इस दैत्य का सिर धड़ से अलग कर दिया. अमृत की कुछ बंदू गले से नीचे उतरने के कारण ये दो दैत्य बन गए और अमर हो गए.

सिर वाला हिस्सा राहु और धड़ केतु के नाम से जाना गया. ऐसा माना जाता है कि राहु और केतु इसी बात का बदला लेने के लिए समय-समय पर चंद्रमा और सूर्य पर हमला करते हैं. जब ये दोनों पाप ग्रह चंद्रमा और सूर्य को जकड़ते लेते है तो ग्रहण लग जाता है. ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है और दोनों ही ग्रह कमजोर पड़ जाते हैं. इसीलिए सूतक काल में शुभ कार्यों को न करने की सलाह दी जाती है.

सूतक काल

चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल का विशेष महत्व माना गया है. चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के दौरान लगने वाले सूतक काल के समय में विभिन्नता है. चंद्र ग्रहण जब लगता है तो सूतक काल ग्रहण से 9 घंटे पूर्व लगता है. वहीं जब सूर्य ग्रहण लगता है तो सूतक काल 12 घंटे पहले लग जाता है.

सूतक काल में क्या नहीं करना चाहिए

मान्यता है कि सूतक काल के दौरान मांगलिक कार्य नहीं करते हैं. मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं. भोजन आदि नहीं किया जाता है. सूतक काल में कुछ विशेष नियमों का पालन करने की पंरपरा है. सूतक काल में गर्भवती महिलाओं और छोटे बच्चों को विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है. ग्रहण के दौरान घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए. इस दौरान भोजन करने से भी बचना चाहिए. जब चंद्र ग्रहण लगता है तो चंद्रमा पर नकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न होती है जो ग्रहण के दौरान संपर्क में आने वाले लोगों को प्रभावित कर सकती है.

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इस साल लगेगा दो बार चंद्र ग्रहण

2021 में इस बार मात्र दो चंद्र ग्रहण लगने जा रहे हैं. जिसमें से साल का पहला चंद्र ग्रहण महत्वपूर्ण माना जा रहा है. साल का प्रथम चंद्र ग्रहण 26 मई को लगने जा रहा है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार का चंद्र ग्रहण पूर्ण है. लेकिन भारत में इसका प्रभाव नहीं होगा, क्योंकि यह ग्रहण उपच्छाया होगा. जिस कारण यह चंद्र ग्रहण भारत में कुछ हिस्सों में ही दिखाई देगा, वर्ष 2021 का दूसरा ग्रहण 19 नवंबर को लगेगा.

साल के पहले चंद्र ग्रहण में सूतक काल का महत्व

2021 में लगने जा रहे हैं पहले चंद्र ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं होगा. क्योंकि यह चंद्र ग्रहण उपच्छाया ग्रहण है. इसलिए सूतक काल के नियम लागू नहीं होंगे. लेकिन फिर भी कुछ मामलो में नियमों का पालन करना चाहिए. गर्भवती महिलाओं को सावधानी बरतनी चाहिए.

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Posted by: Radheshyam Kushawaha

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