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Durga Ashtami 2020: महागौरी की पूजा आज,जानें पूजा विधि,देवी श्लोक,मंत्र व शुभ मुहूर्त

Chaitra Ashtami 2020 : चैत्र नवरात्र की अष्टमी पूजा आज 1 अप्रैल को मनाई जाएगी. इस दिन पर दुर्गा मां के महागौरी mahagauri स्‍वरूप की पूजा की जाती है. मां महागौरी भक्तों की हर मनोकामना पूरी करने वाली हैं. आज बिना कन्या पूजन किए बिना नवरात्रि का व्रत अधूरा माना जाता है.माता महागौरी का विधि- विधान से पूजन करेंगे तो माता लाभकारी फल देंगी.माँ दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है. इसलिए दुर्गापूजा durga ashtami के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है. इनकी शक्ति अमोघ और फलदायिनी है. इनकी उपासना से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं. वह पूण्य का भागी हो जाता है.इनका वर्ण पूर्णतः गौर है.इस गौरता की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है. इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है- 'अष्टवर्षा भवेद् गौरी. इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि भी श्वेत हैं.महागौरी की चार भुजाएं हैं. इनका वाहन वृषभ है जिसपर मां विराजमान रहती है.इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है. ऊपरवाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा हैं. मां की मुद्रा अत्यंत शांत है.

Chaitra Ashtami 2020 : चैत्र नवरात्र की अष्टमी पूजा आज 1 अप्रैल को मनाई जाएगी. इस दिन पर दुर्गा मां के महागौरी स्‍वरूप की पूजा की जाती है. मां महागौरी भक्तों की हर मनोकामना पूरी करने वाली हैं. आज बिना कन्या पूजन किए बिना नवरात्रि का व्रत अधूरा माना जाता है.माता महागौरी का विधि- विधान से पूजन करेंगे तो माता लाभकारी फल देंगी.माँ दुर्गाजी की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है. इसलिए दुर्गापूजा के आठवें दिन महागौरी की उपासना का विधान है. इनकी शक्ति अमोघ और फलदायिनी है. इनकी उपासना से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं. वह पूण्य का भागी हो जाता है.इनका वर्ण पूर्णतः गौर है.इस गौरता की उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है. इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है- ‘अष्टवर्षा भवेद् गौरी. इनके समस्त वस्त्र एवं आभूषण आदि भी श्वेत हैं.महागौरी की चार भुजाएं हैं. इनका वाहन वृषभ है जिसपर मां विराजमान रहती है.इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है. ऊपरवाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा हैं. मां की मुद्रा अत्यंत शांत है.

अष्टमी Durga astami 2020 के दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए मां को चुनरी भेंट करती हैं. और विधि-विधान से मां की पूजा करते हैं.माँ महागौरी का ध्यान, स्मरण, पूजन-आराधना भक्तों के लिए कल्याणकारी है. भक्तों को सदैव इनका ध्यान करना चाहिए. इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है. महागौरी Mahagauri भक्तों का कष्ट अवश्य ही दूर करती हैं. इनकी उपासना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं.

महागौरी की कथा-

एक कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है। देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा. महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं. देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं :-

“सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके.

शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते..”.

महागौरी जी से संबंधित एक अन्य कथा भी प्रचलित है इसके जिसके अनुसार, एक सिंह काफी भूखा था, वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी उमा तपस्या कर रही होती हैं. देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गयी परंतु वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया. इस इंतजार में वह काफी कमज़ोर हो गया. देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आती है और मां उसे अपना सवारी बना लेती हैं क्योंकि एक प्रकार से उसने भी तपस्या की थी. इसलिए देवी गौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों ही हैं.

पुराणों में माँ महागौरी की महिमा को बताया गया है. आज भक्तों को मां के शरण में रहकर इनकी उपासना करनी चाहिए और इस उपासना मंत्र का जाप जरुर करना चाहिए-

उपासना मंत्र :

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

अर्थ : हे माँ! सर्वत्र विराजमान और माँ गौरी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे,आपको मेरा बार-बार प्रणाम है. हे माँ, मुझे सुख-समृद्धि प्रदान करो.

महागौरी को इस श्लोक के जाप से प्रसन्न करें-

श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बरधरा शुचिः

महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा.

ऐसे करें महागौरी की पूजा…

* स्नान कर माता की पूजा शुरु करें.

*पूजास्थल पर मां महागाैरी की मूर्ति स्थापित करें.

*माता की मूर्ति को जल से स्नान करायें.

*वस्त्रादि पहनाकर मां को भोग लगाएं.

* आज नारियल का भोग जरुर लगाएं.

*पुष्प व माला माता को अर्पण करें.

*पूजा में मां को लाल रंग का पुष्‍प जरूर अर्पण करे.

*गंगाजल छिड़कर घर के हर कोने को पवित्र करें

*मंत्रोच्चार करते हुए व्रत का संकल्प पढ़ें.

*माता की कथा कर मां को प्रसन्न करें.

*माता की आरती जरुर पढें.

महागौरी की आरती :

जय महागौरी जगत की माया।

जया उमा भवानी जय महामाया॥

हरिद्वार कनखल के पासा।

महागौरी तेरी वहां निवासा॥

चंद्रकली ओर ममता अंबे।

जय शक्ति जय जय माँ जगंदबे॥

भीमा देवी विमला माता।

कौशिकी देवी जग विख्यता॥

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा।

महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा॥

सती सत हवन कुंड में था जलाया।

उसी धुएं ने रूप काली बनाया॥

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया।

तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया॥

तभी माँ ने महागौरी नाम पाया।

शरण आनेवाले का संकट मिटाया॥

शनिवार को तेरी पूजा जो करता।

माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता॥

भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो।

महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो॥

महागौरी पूजा शुभ मुहूर्त :

चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि यानी महाष्टमी का मुहूर्त आज 01 अप्रैल 2020 दिन बुधवार को सुबह 03 बजकर 49 मिनट से शुरु हो रही है. महाष्टमी तिथि का अगले दिन यानी कल 02 अप्रैल दिन बुधवार को सुबह 03 बजकर 40 मिनट को समापन होगा.

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