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Anant Chaturdashi 2021: आज अनंत चतुर्दशी पर करें भगवान विष्णु की पूजा, जानें गणेश विसर्जन से जुड़ी जानकारी

अनंत चतुर्दशी आज यानी 19 सितंबर को पड़ रहा है. इस दिन गौरी-गणेश के पूजन के साथ भगवान विष्णु का पूजन भी किया जाता है. पूजन के बाद 14 गांठों वाला अनंत सूत्र बांह में बांधा जाता है. इस दिन पंचक भी है पंचक किसी भी फल को 5 गुणा अधिक देने में सहायक होती है इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र पूरे दिन रहेगा.

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इन बातों का रखें ध्यान

विसर्जन के लिए जाते समय किसी भी तरह का नशा न करें. प्याज और लहसुन जैसी चीजें भी न खाएं. बप्पा के विसर्जन के लिए जाने से पहले व्यक्ति को अपने शुद्धतम रूप में होना चाहिए.

धृति योग में होगा गणेश विसर्जन

गणेश विसर्जन पंचांग के अनुसार शुभ मुहूर्त में विधि पूर्वक करना चाहिए. राहु काल में विसर्जन भूल से भी नहीं करना चाहिए. पंचाग के अनुसार गणपति विसर्जन के 5 शुभ मुहूर्त हैं. आज धृति योग का निर्माण हो रहा है.

इन बातों का रखें ध्यान

  • गणेश विसर्जन नदी, तालाब या किसी कुड़ में ही करना चाहिए.

  • विसर्जन से पहले गणेश जी को स्वच्छ वस्त्र पहनाएं.

  • गणेश जी की इस दिन विधि पूर्वक पूजा और आरती करें.

  • इस दिन किस भी प्रकार का नशा नहीं करना चाहिए.

  • क्रोध, अहंकार और वाणी दोष से बचना चाहिए.

जानें पूजा के लिए शुभ मुहूर्त

आज अनंत चतुर्दशी का पर्व है. इस वर्ष भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तिथि 19 सितंबर दिन रविवार की सुबह 6 बजे से प्रारंभ हो चुकी है. चतुर्दशी तिथि अगले दिन सुबह 5 बजकर 30 मिनट तक रहेगी. रविवार को अनंत चतुर्दशी होने की वजह से शाम 4 बजकर 30 मिनट से 6 बजे तक आज राहुकाल रहेगा. चौघड़िया के अनुसार आज शुभ समय सुबह 7 बजकर 40 मिनट से 12 बजकर 15 मिनट रहेगा, जिसमें अनंत भगवान का पूजन और गणेश विसर्जन करना अत्यंत मंगलकारी रहेगा. इसके बाद दोपहर में 1 बजकर 45 मिनट से 3 बजकर 18 मिनट का समय शुभ चौघड़िया होने से शुभ फलदायी रहेगा. गणेश विसर्जन के लिए शाम में 6 बजकर 20 मिनट से रात 11 बजकर 45 मिनट तक का समय श्रेष्ठ है.

चौघड़िया

प्रात: 6 बजे से 7.30 तक उद्वेग

प्रात: 7.30 बजे से 9 बजे तक चर

प्रात: 9 बजे से 10.30 बजे तक लाभ

प्रात: 10.30 बजे से 12 बजे तक अमृत

दोपहर 12 बजे से 1.30 बजे तक काल

दोपहर. 1.30 बजे से 3 बजे तक शुभ

दोपहर. 3 बजे से 4.30 बजे तक रोग

शाम 4.30 बजे से 6 बजे तक उद्वेग

अनंत चतुर्दशी व्रत करने से मिलता है पुण्य

अनंत चतुर्दशी के दिन शयन कर रहे भगवान विष्णु के अनंत रूप का पूजन किया जाता है. माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से मिलने वाला पुण्य कभी समाप्त नहीं होता. इस व्रत से सभी संकटों से मुक्ति मिल जाती है.

भगवान विष्णु जी की पूजा

ग्रंथों में बताया गया है कि अनंत चतुर्दशी का नाम ये क्यों रखा गया है. कहते हैं कि विष्णु भगवान के प्रिय शेषनाग का नाम अनंत है और उन्हीं के नाम पर अनंत चतुर्दशी का नाम रखा गया है. कहते हैं कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा जरूर करनी चाहिए. इससे भगवान जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है. सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

गणेश प्रतिमा के विसर्जन की विधि

अनंत चतुर्दशी के दिन विसर्जन के पहले सर्वप्रथम भगवान गणेशजी विधिवत पूजन कर हवन व स्वस्तिवाचन करें. अब लकड़ी का बना एक स्वच्छ पाट लें. इस पाट पर स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं. इस पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं और चारों कोनों पर सुपारी रखें. अब गणपति बप्पा मिरिया के जयघोष के साथ भगवान गणेशजी की प्रतिमा को पूजा स्थान से उठा कर पाट पर रखें. ध्यान रहे कि प्रतिमा को कोई क्षति न हो.

कल ही होगा गणेश विसर्जन

इतना ही नहीं, इस दिन गणेश विसर्जन (ganesha visarjan) भी किया जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा होती है. भगवान विष्णु की पूजा के बाद अनंत सूज्ञ बांधने की परंपरा है.कल ही होगा गणेश विसर्जन

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