आदि शंकराचार्य जयंती 2025 पर जानिए वे विचार जो बदल सकते हैं आपका जीवन
Adi Shankaracharya Jayanti 2025 motivational Quotes: आज, 2 मई 2024 को आदि शंकराचार्य की जयंती मनाई जा रही है. आदि शंकराचार्य के विचार आज भी व्यक्तियों के लिए सफलता की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। उनके अमूल्य विचार जीवन जीने की कला को सिखाते हैं.
Adi Shankaracharya Jayanti 2025 Quotes in Hindi: हिंदू महीने के वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आदि शंकराचार्य की जयंती मनाई जाती है. आज का दिन आदि शंकराचार्य की जयंती है, जिन्हें जगतगुरु शंकराचार्य के नाम से भी जाना जाता है. ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह दिन हर साल अप्रैल या मई में आता है. इस वर्ष यह जयंती 2 मई, 2025 को मनाई जा रही है. यह दिन हिंदुओं के लिए एक धार्मिक और पवित्र त्योहार है, क्योंकि वे आदि शंकराचार्य के जन्म का उत्सव मनाते हैं, जिन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है. इस दिन भगवान शिव की पूजा विधिपूर्वक की जाती है और सत्संग का आयोजन किया जाता है. आइए, आदि शंकराचार्य से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें और उनके अनमोल विचार जानें.
“ब्रह्म सत्यं, जगन्मिथ्या”
अर्थ: ब्रह्म (परम सत्य) ही सत्य है, यह संसार (माया) एक भ्रम है.
यह विचार अद्वैत वेदांत का मूल है, जो आत्मा और परमात्मा की एकता को दर्शाता है.
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“अहं ब्रह्मास्मि”
अर्थ: मैं ब्रह्म हूं.
इसका अर्थ है कि प्रत्येक जीवात्मा, परमात्मा का ही अंश है – चेतना और शक्ति से भरपूर.
“ज्ञान ही मोक्ष का मार्ग है”
शंकराचार्य जी मानते थे कि सच्चे ज्ञान के बिना मोक्ष संभव नहीं है. आत्मा का बोध ही मुक्ति का द्वार है.
“मन ही बंधन और मुक्ति का कारण है”
यदि मन विषयों में फंसा है, तो यह बंधन का कारण बनता है, और यदि ईश्वर में लीन है, तो मुक्ति मिलती है.
“अपने कर्तव्यों का पालन ही धर्म है”
उन्होंने यह संदेश दिया कि आत्मज्ञान के साथ-साथ अपने जीवन के कर्तव्यों का पालन भी जरूरी है.
“शरीर नश्वर है, आत्मा अमर है”
उन्होंने सिखाया कि हमें अपने शरीर से नहीं, आत्मा से पहचान बनानी चाहिए.
“वैराग्य ही सच्चे ज्ञान की पहली सीढ़ी है”
भौतिक सुखों से दूरी और आत्मा में रुचि ही सच्चे ज्ञान की शुरुआत है.
“ईश्वर सर्वत्र है, उसे बाहर मत खोजो, अपने भीतर देखो”
यह विचार आत्म-अन्वेषण और ध्यान के महत्व को दर्शाता है.
“जो अपनी आत्मा को जान लेता है, वह सभी को जान लेता है”
आत्म-साक्षात्कार के बाद ही विश्व का सच्चा ज्ञान प्राप्त होता है.
“मौन भी एक प्रकार की पूजा है”
आत्मनिरीक्षण और अंतर्मुखी जीवन को उन्होंने अत्यधिक महत्व दिया.
