ज्योतिषीय समाधान: हथेली में विवाह रेखा कौन सी होती है ? जानें क्या कहते हैं सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी

सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्‌गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 12, 2019 7:38 AM

सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी एक आधुनिक सन्यासी हैं, जो पाखंड के धुरविरोधी हैं और संपूर्ण विश्व में भारतीय आध्यात्म व दर्शन के तार्किक तथा वैज्ञानिक पक्ष को उजागर कर रहे हैं. सद्‌गुरुश्री के नाम से प्रख्यात कार्पोरेट सेक्टर से अध्यात्म में क़दम रखने वाले यह आध्यात्मिक गुरु नक्षत्रीय गणनाओं तथा गूढ़ विधाओं में पारंगत हैं तथा मनुष्य के आध्यात्मिक, सामाजिक एवं मनोवैज्ञानिक व्यवहार की गहरी पकड़ रखते हैं. आप भी इनसे अपनी समस्याओं को लेकर सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आप इन समस्याओं के संबंध में लोगों के द्वारा किये गये सवाल के अंत में पता देख सकते हैं…

सवाल- मेरी मां के क़रीबी दोस्त से मुझे लगाव हो गया है, जो मुझसे 21 साल बड़े हैं. मुझे लगता है कि वो भी मुझे बहुत प्यार करते हैं. पर शायद मां भी उन्हें बहुत पसंद करती हैं. क्या मुझे शादी के लिए इज़हार करना चाहिए? ज्योतिष के नज़रिए से सही क्या है? उम्र के अंतर पर आपकी क्या राय है?
जन्मतिथि -23.03.1996, समय: 18.51, स्थान-हाजीपुर
– अनुष्का कुशवाहा

जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि वृष और लग्न कन्या है. पति भाव में सूर्यदेव बैठकर जहां आपकी भावनात्मक क्षति का संकेत दे रहे हैं, वहीं साथ में शनि,केतु और मंगल की मौजूदगी बेमेल संबंधों के प्रति झुकाव की कथा रच रही है. रिश्तों के मिलान के लिए पार्टनर का भी जन्म विवरण ज़रूरी है. मैं आपको विवाह से पहले अपने करियर पर ध्यान केंद्रित करने की अनुशंसा करता हूं. इस समय आप शनि की अढैय्या के अधीन हैं, और लग्न में बैठे वृश्चिक के राहू की महादशा को भी भोग रही हैं, जो निश्चित रूप से श्रेष्ठ काल नहीं है. उम्र का फ़ासला ज्योतिषिय परिधि से परे है.

सवाल- हथेली में विवाह रेखा कौन सी होती है? अगर हृदय रेखा में यदि विवाह रेखा मिल जाए तो इसका क्या मतलब है?
-विधि सक्सेना

जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि विवाह रेखा, यानि बुध पर्वत से निकलने वाली छोटी सी बेड़ी रेखा और ह्रदय रेखा अर्थात कनिष्ठा ऊँगली के कुछ नीचे से निकल कर तर्जनी की ओर जाती हुई लम्बी सी बेड़ी रेखा. विवाह रेखा अगर नीचे की ओर यानी ह्रदय रेखा पर झुक रही हो, तो यह दांपत्य जीवन में तनाव को को इंगित करता है, परन्तु विवाह रेखा यदि नीचे झुककर हृदय रेखा में मिल जाए, तो यह दांपत्य जीवन में तनाव को परिलक्षित करता है. विवाह रेखा यदि झुक कर हृदय रेखा में समाहित हो जाए अथवा ह्रदय रेखा को काटकर नीचे चली जाए, तो यह योग जीवनसाथी के विछोह या संबंध विच्छेद का संकेत देता है. पर सनद रहे कि हाथों की लकीरें कर्मानुसार बदलती रहती हैं.

सवाल – क्या तांत्रिक उपासना से जीवन में अच्छा भी किया जा सकता है ?
– प्रह्लाद यादव

जवाब- सदगुरुश्री कहते हैं कि हमारा अच्छा-बुरा, लाभ-हानि और सुख-दुख हमारे ही ज्ञात-अज्ञात कर्मों की देन है. कर्म पर नियंत्रण से अवश्य ही जीवन को बदला जा सकता है. रही बात तंत्र और तांत्रिक उपासना की, तो तंत्र जहां तकनीकी विज्ञान है, वहीं साधना एक लक्ष्य पर अनवरत कर्म और श्रम का दूसरा नाम है. तंत्र की साधना के लिए जहां उसकी तकनीकी का पूर्ण ज्ञान अनिवार्य है, वहीं किसी विशेषज्ञ का मार्गदर्शन भी ज़रूरी है. आज तंत्र के अधिकतर शोधकार्य लुप्त हो चुके हैं। अत: मैं आपको अपनी योग्यता बढ़ाने और सतत कर्मशील रहने की सलाह देता हूं.

सवाल- गांव में मेरे घर की दीवार में पीपल उग रहे हैं. किसी ने इसे विनाशकारी बताया है। इससे बचने का कोई उपाय बताइए.

जवाब-सदगुरुश्री कहते हैं कि किसी प्राचीन पुस्तक में इसके सीधे सीधे अशुभ होने या सौभाग्य के नाश के किसी नियम का कोई उल्लेख नही मिलता है, इसलिए मैं इस कहीसुनी अवधारणा को तो साफ साफ खारिज़ करता हूं. हां, मान्यताएं अवश्य इसे शुभ नही मानती. इस कही सुनी अवधारणा के मानने वालों के पास कोई तर्क नहीं है. पर मैं इसे दुर्भाग्य नाशक न मान कर सीधे सीधे घर की दरो दीवार की कमज़ोरी और पर्यावरण की रक्षा से जोड़ कर देखता हूं. मेरी सलाह है कि सुविधानुसार अतिशीघ्र इस छोटे पौधे को वहाँ से निकल कर किसी खुली जगह में पुनर्प्रत्यारोपित कर दें. अनावश्यक सन्देह से बचें.

सवाल-नर देह यानी मनुष्य शरीर के अलावा भी क्या कोई शरीर होता है? इस विषय पर ज्योतिष का क्या विचार है.
-योगेन्द्र श्रीवास्तव

जवाब- सद्‌गुरुश्री कहते हैं कि ज्योतिष ग्रहों की स्थिति का अध्ययन करके उसके परिणामों का आकलन और उस पर चिन्तन करने की विधा है, जहां सौरमंडल के ग्रहों की चाल, उनका हाल और उनसे पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन किया जाता है. ज्योतिष में तो नहीं, पर आध्यात्म में अवश्य इन प्रश्नों के उत्तर मिलते हैं. क्योंकि आध्यात्मिक मान्यताएं पांच तत्वों की स्थूल देह के अलावा सत्रह तत्वों के ‘लिंग शरीर’, जिसमें पांच ज्ञानेंद्रियों, पांच कर्मेंद्रियों के साथ चार अंत:करण अर्थात मन, बुद्धि, चित्त, अहंकार और तीन गुण यानि सतो गुण, रजो गुण और तमों गुण शुमार हैं, का भी उल्लेख करती है. इसके अलावा नौ तत्वों के ‘सूक्ष्म शरीर’ यानि शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गंध सहित सतो गुण, रजो गुण और तमों गुण शामिल है. इससे परे शब्द, स्पर्श, रूप, रस और गंध, इन पांच तत्वों के ‘कारण शरीर’ का भी वर्णन आध्यात्म में प्राप्त होता है. पर विज्ञान इसकी पुष्टि नहीं करता.

(अगर आपके पास भी कोई ऐसी समस्या हो, जिसका आप तार्किक और वैज्ञानिक समाधान चाहते हों, तो कृपया प्रभात खबर के माध्यम से सद्‌गुरु स्वामी आनंद जी से सवाल पूछ सकते हैं. इसके लिए आपको बस इतना ही करना है कि आप अपने सवाल उन्हें सीधे saddgurushri@gmail.com पर भेज सकते हैं. चुनिंदा प्रश्नों के उत्तर प्रकाशित किये जायेंगे. मेल में Subject में प्रभात ख़बर अवश्य लिखें.)

Next Article

Exit mobile version