विश्व शांति दिवस: जब कोई संघर्ष होता है, तो सबसे पहले संवाद खत्म होता है और फिर विश्वास टूटता है

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर -समय की आवश्यकता, आंतरिक शांति और बाहरी गतिशीलता कुछ साल पहले, मैं इराक में हमारे राहत और पुनर्वास कार्यों को देखने गया था. हमें सुरक्षित क्षेत्र ( ग्रीन जोन) में रहने के लिए कहा गया था. हमारी सुरक्षा के लिए 12 वाहन और दो टैंकर उपलब्ध कराये गये थे. मैंने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 21, 2018 11:10 AM

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर

-समय की आवश्यकता, आंतरिक शांति और बाहरी गतिशीलता

कुछ साल पहले, मैं इराक में हमारे राहत और पुनर्वास कार्यों को देखने गया था. हमें सुरक्षित क्षेत्र ( ग्रीन जोन) में रहने के लिए कहा गया था. हमारी सुरक्षा के लिए 12 वाहन और दो टैंकर उपलब्ध कराये गये थे. मैंने उनसे कहा कि मैं ‘रेड जोन’ में जाना चाहता हूं, मैं ‘ग्रीन जोन’ में क्या करूं? उन्होंने कहा कि ‘रेड जोन’ काफी जोखिम भरा है और कुछ दिन पहले वहां बम विस्फोट हुए हैं, लेकिन जब मैंने आग्रह किया तो वे चिंतित हुए, चूंकि मैं उनका अतिथि था, इसलिए वे इनकार नहीं कर सके.

वहां, मैं एक गांव गया, जहां केवल शिया थे, क्योंकि सभी सुन्नी वहां से दूर चले गये थे. उन्होंने मेरा स्वागत किया, मैं उनके साथ बैठा, बातचीत की और उनसे कहा कि मैं उस शाम को एक अतिथि लाना चाहता हूं और वे सहमत हो गये. मैं अपने साथ एक सुन्नी इमाम लाया, जो उस गांव से दूर चले गये लोगों में से एक था. जब वे एक-दूसरे से मिले और बातचीत की, तो ग्रामीणों ने फैसला किया कि ‘हम यहां से भगाये गये 8,000 परिवारों का स्वागत करेंगे.’

यह समझदार होने के साथ-साथ, लोगों की संवेदनशीलता को समझने से ही संभव है. यह तभी हो सकता है, जब हम शांतिपूर्ण हों. विश्व शांति उच्च स्तर की नीतियों से नहीं आ सकती. विश्व शांति वहीं से बढ़ेगी, जहां हम हैं. केवल शांतिपूर्ण व्यक्ति ही शांतिपूर्ण दुनिया का निर्माण कर सकते हैं. अक्सर, हम देखते हैं कि जो लोग आंतरिक शांति के बारे में बात करते हैं, वे आत्मसंतुष्ट हो जाते हैं और कहते हैं कि, ‘जो भी हो रहा है, उसे वैसा होने दो’ वे दुनिया की वास्तविकताओं से बेपरवाह, केवल अकेले में ही आनंद लेते हैं. उनके लिए गुफा में एकांकी जीवनयापन ही शांति है. वे हिमालय या किसी शांत कोने में भाग जाना चाहते हैं, जहां कोई भी उन्हें परेशान न कर सके. ऐसी शांति का कोई मूल्य नहीं है! वस्तुत: आज के समय और हर दिन की आवश्यकता है ‘आंतरिक शांति और बाहरी गतिशीलता का उत्तम संयोजन!’

जब कोई संघर्ष होता है, तो सबसे पहले संवाद खत्म होता है और फिर विश्वास टूटता है. इस अंतर को दूर करने व किसी भी संघर्ष को हल करने के लिए,आपको एक संवाद की डोर चाहिए, जो सभी पक्षों को आपस में जोड़ सके. वह ‘कोई दूसरा’ हमेशा एक खतरा है, लेकिन सही बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक, मूल्य-आधारित शिक्षा के साथ यह खतरा या डर समाप्त हो सकता है. आखिरकार जब दृष्टिकोण बदलता है, तो विचार प्रक्रिया बदलती है, जो सहयोग और शांति के लिए मार्ग प्रशस्त करती है. दुनिया में हिंसा है, क्योंकि हमारी प्राथमिकताओं को उलट दिया गया है. इन पहचानों को प्राथमिकता के उचित क्रम में रखने के लिए हमें आंतरिक शांति की आवश्यकता है. हमारी आंतरिक शांति ही हमें दूसरों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील और उचित प्रतिक्रिया देने के लिए समझदार बनाती है.

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