प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में इंफ्रास्ट्रक्चर विकास में गति लाने का आह्वान किया है. उन्होंने इसे अर्थव्यवस्था की अग्रणी शक्ति बताते हुए कहा है कि इससे 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में मदद मिलेगी. वे प्रधानमंत्री गतिशक्ति राष्ट्रीय योजना पर आयोजित एक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. यह योजना एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसे अक्टूबर 2021 में शुरू किया गया था. इसके अंतर्गत केंद्र सरकार के 16 मंत्रालय राज्य सरकारों के साथ मिलकर विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों को जोड़ने वाली इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं की प्रगति की निगरानी करते हैं.
इस योजना में सभी बड़ी परियोजनाओं को वित्त वर्ष 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. वर्ष 2014 से 2019 के बीच केंद्र, राज्य और निजी क्षेत्र ने लगभग 50 लाख करोड़ रुपये का निवेश इंफ्रास्ट्रक्चर में किया था. वर्ष 2025 तक इसे दुगुने से भी अधिक करने का इरादा है. राष्ट्रीय इंफ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने अपने निवेश को लगातार बढ़ाया है.
वित्त वर्ष 2014 में केंद्र सरकार का पूंजी व्यय 1.88 लाख करोड़ रुपये था, जिसके वित्त वर्ष 2024 में 10 लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है. राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण को देखें, तो 2014 की तुलना में निर्माण औसत लगभग दुगुना हुआ है. इसी प्रकार, रेलमार्गों के विद्युतीकरण में भी बड़ी तेजी आयी है. प्रधानमंत्री मोदी ने रेखांकित किया है कि 2014 से पहले हर साल औसतन 600 किलोमीटर रेलमार्ग का विद्युतीकरण होता था, अब यह आंकड़ा लगभग चार हजार किलोमीटर हो चुका है.
इससे यह भी इंगित होता है कि देश में विद्युत उत्पादन में भी बड़ी बढ़ोतरी हुई है. यद्यपि आज भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था है, लेकिन विकसित राष्ट्र बनने की आकांक्षा को पूरा करने के लिए वृद्धि दर को बढ़ाने की जरूरत है. यह जरूरत इसलिए भी है कि महामारी, भू-राजनीतिक संकट और अन्य कारकों के झटके विकास को कभी भी अवरुद्ध कर सकते हैं. इसके लिए सड़क, रेल, लॉजिस्टिक, भंडारण, डिजिटल संसाधन, ऊर्जा, उत्पादन आदि हर क्षेत्र में प्रगति की आवश्यकता है.
कई परियोजनाओं को पूरा होने में देर लगती है और उनकी लागत बढ़ जाती है. ऐसा भी होता है कि ठीक से चिन्हित नहीं होने के कारण कुछ बेहद अहम परियोजनाओं पर अपेक्षित ध्यान नहीं दिया जाता है. ऐसी समस्याओं के समाधान में गतिशक्ति योजना ने बड़ा योगदान दिया है. इस वर्ष प्रस्तुत बजट में सौ सबसे अहम परियोजनाओं को रेखांकित कर उनके लिए 75 हजार करोड़ रुपये आवंटित किये गये हैं, जिनमें 15 हजार करोड़ रुपये निजी क्षेत्र से आयेंगे. इंफ्रा विकास के लिए सार्वजनिक पूंजी के साथ-साथ बड़े निजी निवेश की भी जरूरत है.