वैश्विक शांति सुनिश्चित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के ध्वज तले बलिदान हुए 103 सैन्य और असैन्य स्वयंसेवकों को मरणोपरांत प्रतिष्ठित मेडल से सम्मानित किया जायेगा. इनमें तीन भारतीय- सीमा सुरक्षा बल के शिशुपाल सिंह और सांवला राम विश्नोई तथा असैन्य कर्मी शबीर ताहिर अली- भी शामिल हैं. सीमा सुरक्षा बल के दोनों दिवंगत योद्धा कॉन्गो में स्थिरता बहाली के मिशन पर थे, तो अली इराक में सहयोग प्रक्रिया से संबद्ध थे.
भारत दशकों से संयुक्त राष्ट्र की शांति सेना में उल्लेखनीय योगदान करता रहा है और इन गतिविधियों में कई भारतीयों ने अपनी जान दी है. वर्तमान में हमारे छह हजार से अधिक सैनिक और पुलिसकर्मी इस विश्व संस्था के विभिन्न अभियानों से संबद्ध हैं. ये अभियान मुख्य रूप से ऐसी जगहों पर चलाये जा रहे हैं, जो दशकों से युद्ध, गृहयुद्ध और आतंकवाद की चपेट में हैं. इन अभियानों का उद्देश्य शांति स्थापित करना और समझौतों को लागू कराना होता है.
संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिक नागरिकों के जान-माल की रक्षा कर प्रभावित क्षेत्र में स्थिरता लाने का प्रयास करते हैं तथा वे पूरी तरह से निष्पक्ष होते हैं. इसके बावजूद उन पर हमले होते रहते हैं. वर्ष 1948 से अब तक 42 सौ से अधिक शांति सैनिक अपना बलिदान दे चुके हैं, जिनमें 178 भारतीय सैनिक भी शामिल हैं. बीते 75 वर्षों में 125 देशों के 20 लाख से अधिक शांति सैनिक दुनियाभर में 71 अभियानों में भागीदारी कर चुके हैं. आज अफ्रीका, एशिया, यूरोप और मध्य-पूर्व में 12 युद्ध प्रभावित क्षेत्रों में लगभग 87 हजार शांति सैनिक तैनात हैं.
संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के महत्वपूर्ण योगदान और सर्वोच्च बलिदान के प्रति सम्मान में 1949 से हर वर्ष 29 मई को अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है. वैश्विक भू-राजनीति के जटिल होते जाने, क्षेत्रीय संघर्ष बढ़ते जाने तथा आतंक में बढ़ोतरी के साथ-साथ शांति अभियानों की आवश्यकता भी बढ़ती गयी है और उनके ऊपर खतरों में भी बढ़ोतरी हुई है. भारतीय सैनिकों ने अब तक 50 से अधिक अभियानों में भागीदारी की है.
सैनिकों के अलावा भारत ने समय-समय पर अपने उत्कृष्ट सैन्य एवं पुलिस अधिकारियों को संयुक्त राष्ट्र में सलाहकार के रूप में भी भेजा है. भारतीय महिला सैनिकों की भूमिका भी उल्लेखनीय रही है. वर्ष 2007 में लाइबेरिया में भारत ने जो टुकड़ी भेजी थी, उसकी सभी सदस्य महिलाएं थीं. इस वर्ष के प्रारंभ में सूडान में तैनाती के लिए महिला सैनिकों का एक बड़ा दस्ता भेजा गया है. वैश्विक शांति में भारतीयों का यह योगदान हम सभी के लिए गौरव का विषय है.