संयुक्त सैन्य कमान

सरकार ने पांच सैन्य थिएटर कमान की स्थापना करने का निर्णय लिया है ताकि सुरक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए सैन्य शक्ति व संसाधन का बेहतर उपयोग हो सके.

By संपादकीय | October 28, 2020 5:55 AM

भारत को लगातार युद्धों, लड़ाइयों, अतिक्रमण और घुसपैठ का सामना करना पड़ता है. आज यह चुनौती पहले से कहीं अधिक गंभीर है. इससे प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सेना के तीनों अंगों के बीच समायोजन, सहकार और सहभागिता को बढ़ाने की आवश्यकता लंबे समय से महसूस की जा रही है. इस वर्ष के प्रारंभ में डिफेंस स्टाफ के प्रमुख के रूप में जनरल बिपिन रावत की नियुक्ति इस दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल थी. दुनिया की ताकतवर सेनाओं में यह व्यवस्था पहले से ही है. अब इस प्रक्रिया को विस्तार देते हुए सरकार ने पांच सैन्य थिएटर कमान की स्थापना करने का निर्णय लिया है.

ऐसे कमान में एक शीर्ष अधिकारी के नेतृत्व में तीनों सेनाओं की शक्ति और उनके संसाधनों का नियंत्रण रहता है ताकि सुरक्षा के उद्देश्यों की प्राप्ति बेहतर ढंग से हो सके. जानकारों की मानें, तो अभी तक ऐसी व्यवस्था केवल अंडमान एवं निकोबार क्षेत्र में है. नयी व्यवस्था में उत्तरी कमान का जिम्मा लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक लगभग साढ़े तीन हजार किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा की सुरक्षा का होगा. चीन के पांच ऐसे कमानों में से एक पूरी तरह भारत को लक्षित है.

पश्चिमी कमान पाकिस्तान से लगती अंतरराष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा की निगरानी करेगी. अन्य तीन कमान द्वीपीय, वायु और सामुद्रिक सुरक्षा से संबद्ध होंगे. चीन और अमेरिका जैसे देशों के पास ऐसे कमानों की शृंखला है. चीन में पांच और अमेरिका में ग्यारह ऐसे कमान हैं. हालांकि युद्ध या संघर्ष की स्थिति में तीनों सेनाएं सम्मिलित रूप से शत्रु का सामना करती हैं, लेकिन एक सुनिश्चित नियंत्रण और सामंजस्य के अभाव में संसाधनों का समुचित उपयोग नहीं हो पाता है तथा संवाद स्थापित करने एवं निर्णय लेने में भी अक्सर मुश्किलें पैदा होती हैं.

सीमावर्ती क्षेत्रों की निगरानी के लिए भी तीनों सेनाएं अलग-अलग तंत्रों का इस्तेमाल करती हैं. केंद्रित नेतृत्व प्रणाली के रूप में कमान बनाने से सूचनाओं को एकत्र करने और संभावित चुनौतियों की तैयारी सम्मिलित रूप से की जा सकेगी तथा इसे नियंत्रित व निर्देशित करने का दायित्व एक अधिकारी पर होगा. वह स्थितियों के हिसाब से रणनीति बनाने और तैयारी करने में सक्षम हो सकेगा. उसके अधीन तमाम संसाधनों के रहने से कार्रवाई के दौरान उसे जरूरत पूरा करने के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा.

उदाहरण के लिए, नौसैनिक लड़ाकू विमान को आवश्यकता होने पर तुरंत पश्चिमी क्षेत्र के रेगिस्तानी इलाकों में तैनात किया जा सकेगा और वायु सेना के युद्धकों को किसी दूसरे मोर्चे पर भेजा जा सकेगा. समुद्र में पहले से चली आ रही वर्तमान व्यवस्था में तीनों सेनाओं के अधिकारी एक कार्रवाई में सम्मिलित रूप से हिस्सा लेने के बावजूद अपनी टुकड़ियों और क्षमताओं को अलग-अलग निर्देशित करते थे. एकल कमान की स्थापना से ऐसी विसंगतियों का समाधान हो सकेगा. उम्मीद है कि तय लक्ष्य के अनुसार 2022 तक भारतीय सेना के ये नये पांच कमान मोर्चा संभाल लेंगे.

Posted by: Pritish Sahay

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