जारी है जंग

पहले के अनुभवों से सीख लेते हुए हमें यह सुनिश्चित करना है कि न तो बचाव में कोई ढील हो और न ही समय पर उपचार कराने में.

By संपादकीय | May 25, 2021 1:59 PM

महामारी की दूसरी लहर पर काबू पाने की कोशिशें जोरों पर हैं. लगातार पांच दिनों से रोजाना 20 लाख से अधिक लोगों की जांच की जा रही है. महामारी की रोकथाम के लिए सबसे जरूरी है कि अधिक-से-अधिक लोगों की जांच हो ताकि संक्रमण का पता चलते ही संक्रमितों को अलग रखा जा सके और उनकी निगरानी हो सके. इसी के साथ संक्रमण दर भी घटकर 11.34 फीसदी रह गयी है. कई दिनों से जारी गिरावट का यह सिलसिला भी संतोषजनक है.

एक सप्ताह से लगातार हर रोज नये मामलों की संख्या तीन लाख से कम है. संक्रमण की वजह से होनेवाली मौतों में भी कमी आ रही है. बीते दिनों में दस राज्यों- महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पंजाब, दिल्ली, केरल, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और आंध्र प्रदेश- में लगभग तीन-चौथाई मौतें हुई हैं. ये राज्य संक्रमण से सबसे अधिक प्रभावित भी हैं, लेकिन ठीक होनेवाले लोगों की बढ़ती संख्या तथा नये मामलों में कमी के रुझान को देखते हुए कहा जा सकता है कि महामारी की दूसरी लहर को रोकने के प्रयास सही दिशा में हो रहे हैं.

लेकिन हमें किसी भी तरह की जल्दबाजी नहीं दिखानी है और न ही इन रुझानों से बहुत संतुष्ट होना है क्योंकि रोजाना हो रही मौतों की तादाद अभी भी चार-पौने चार हजार के स्तर पर है. पर यह भी राहत की एक बात है कि अस्पतालों में अफरातफरी कम हुई है और दवाइयों व ऑक्सीजन की कमी पहले जैसी नहीं है. इससे यह संकेत मिलता है कि संक्रमण से गंभीर रूप से बीमार होनेवाले लोगों की संख्या घटी है तथा केंद्र और राज्य सरकारों की कोशिशों से इंतजाम भी बेहतर हुए हैं. देश के अनेक हिस्सों में पाबंदियां हैं तथा सुरक्षा के उपायों के अमल पर जोर दिया जा रहा है.

यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि निर्देशों का पालन ठीक से हो. हमारे अनुभवों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि मामूली लापरवाही बड़े संकट का कारण बन सकती है. पिछले साल के आखिरी और इस साल के शुरुआती महीनों में अगर सतर्कता और सजगता में लापरवाही नहीं होती, तो दूसरी लहर का हमला इतना भयावह नहीं होता. कोरोना के साथ ब्लैक और व्हाइट फंगस के बढ़ते मामले बेहद चिंताजनक हैं.

पहले के अनुभवों से सीख लेते हुए हमें यह सुनिश्चित करना है कि न तो बचाव में कोई ढील आनी चाहिए और न ही समय पर उपचार कराने में. अंधविश्वास और अफवाह ने भी हमारी चुनौती बढ़ा दी है. ऐसे में जागरूकता के निरंतर प्रसार की आवश्यकता पहले की तरह ही बनी हुई है. विभिन्न कारणों से टीकाकरण अभियान में शिथिलता आयी है. देश में टीकों का उत्पादन बढ़ाने से लेकर बाहर से आयात करने तक अनेक विकल्पों को खंगाला जा रहा है. विदेश मंत्री एस जयशंकर इसी सिलसिले में अमेरिका में हैं. हमें संयम व हौसले से महामारी के खिलाफ जंग जारी रखनी है.

Next Article

Exit mobile version