”मान” की कीमत : हानि का ब्यौरा

‘मानहानि’ एक पुराना जुमला है, जो आज की राजनीति में बैर साधने का एक बड़ा राजनीतिक हथकंडा बन गया है. इन दिनों कई न्यायालयों के विद्वान न्यायाधीशों का वक्त माननीयों के मान मूल्यांकन में गुजर रहा है. याद है प्रधानमंत्री ने खुद को प्रधान सेवक के रूप में देश के समक्ष प्रस्तुत किया था. सांसदों-विधायकों […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 26, 2017 6:13 AM
‘मानहानि’ एक पुराना जुमला है, जो आज की राजनीति में बैर साधने का एक बड़ा राजनीतिक हथकंडा बन गया है. इन दिनों कई न्यायालयों के विद्वान न्यायाधीशों का वक्त माननीयों के मान मूल्यांकन में गुजर रहा है. याद है प्रधानमंत्री ने खुद को प्रधान सेवक के रूप में देश के समक्ष प्रस्तुत किया था. सांसदों-विधायकों की लाल बत्तियां भी शायद इसी कड़ी में हटायी गयी. उन्होंने लालबत्ती ही नहीं, दिमाग से ‘वीआइपी’ का भूत हटाने की बात कही है.
हालिया चर्चित मानहानि के मुकदमें ने देश को वित्त मंत्री के ‘मान’ की कीमत तो बतायी, मगर हानि का ब्यौरा नहीं दिया. फिर भी जो अपने मान के लिए इतनी बड़ी रकम मांग सकता है, वह व्यक्ति सामान्य तो नहीं. हमारा देश ऐसे ही महान लोगों से बना है और यह कतई संभव नहीं की चंद वोटों के लिए कोई अपनी मान-मर्यादा की बलि यूं ही देगा.
एमके मिश्रा, रातू, रांची

Next Article

Exit mobile version