कंप्यूटरों पर हमला

फ्रांसीसी क्रांति के दौर के विरोधाभास को रेखांकित करते हुए मशहूर उपन्यासकार चार्ल्स डिकेंस ने ‘ए टेल ऑफ टू सिटीज’ में लिखा है – ‘यह सबसे बेहतर वक्त था और सबसे खराब भी. यह ज्ञान का युग था और मूर्खताओं का भी. यह आशाओं का वसंत था और निराशाओं का पतझड़ भी.’ डिकेंस की इन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 16, 2017 6:13 AM
फ्रांसीसी क्रांति के दौर के विरोधाभास को रेखांकित करते हुए मशहूर उपन्यासकार चार्ल्स डिकेंस ने ‘ए टेल ऑफ टू सिटीज’ में लिखा है – ‘यह सबसे बेहतर वक्त था और सबसे खराब भी. यह ज्ञान का युग था और मूर्खताओं का भी. यह आशाओं का वसंत था और निराशाओं का पतझड़ भी.’ डिकेंस की इन पंक्तियों की उम्र करीब 160 साल हो रही है और आधुनिकता का नवयुग अब उत्तर-आधुनिक हो चला है, लेकिन युग का विरोधाभास ज्यों-का-त्यों कायम है.
वैश्वीकरण के हमारे युग में जब राष्ट्र-राज्य, उद्योग, वाणिज्य, वित्त और सैन्य शक्ति को पहले से कहीं ज्यादा ताकतवर बनाने की जुगत की जा रही है, ठीक उसी समय इस ताकत में कहीं ज्यादा तेजी और चतुराई से सेंधमारी हो रही है. दुनियाभर के कंप्यूटर सिस्टम पर वानाक्राई इन्फेक्शन के मौजूदा खतरे को देखते हुए कहा जा सकता है कि हम एक ही साथ सबसे सुरक्षित और सबसे असुरक्षित हैं. खबरों के मुताबिक, दुनिया के 150 देशों के दो लाख कंप्यूटर अब तक वानाक्राई से संक्रमित हो चुके हैं और खतरा टला नहीं है. ब्रिटिश खुफिया एजेंसी ने चेतावनी जारी की है कि कंप्यूटरों के कामकाज को भ्रष्ट करनेवाला वानाक्राई फिलहाल बेकाबू है और लाखों नये कंप्यूटर को अपनी चपेट में ले सकता है.
विशेषज्ञों के मुताबिक फिलहाल 13 लाख नये कंप्यूटर सिस्टम वानाक्राई की चपेट में आ सकते हैं. वानाक्राई की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इसने अपना पहला निशाना अस्पतालों के कंप्यूटर सिस्टम को बनाया, जबकि आज कृत्रिम अंग-प्रत्यारोपण सहित तमाम जटिल ऑपरेशन कंप्यूटर की कार्यप्रणाली पर आधारित हैं. वानाक्राई पहले कंप्यूटर के डेटा पर कब्जा करता है और फिरौती की रकम वसूल हो जाने के बाद ही डेटा को अपने चंगुल से मुक्त करता है.
विडंबना देखिये कि अस्पतालों के साथ-साथ परिवहन, वित्त और सैन्य-संचालन से जुड़े कंप्यूटरों को चंगुल में लेनेवाले वानाक्राई के बारे में कहा जा रहा है कि यह अमेरिकी सैन्य संगठन एनएसए की ईजाद है, और ‘लीक’ होकर हैकर्स के हाथ लगा. यह घर के चिराग से घर में आग लगने जैसी बात है.
वानाक्राई के संक्रमण के आगे विकसित देशों की बेबसी को देखते हुए यह भारत के लिए सबक लेने का समय है. एक तो देश में साइबर सुरक्षा में सेंधमारी की घटनाएं बढ़ी हैं, दूसरे भारत डिजिटल इंडिया के अपने मिशन के साथ एक नये युग में प्रवेश करने जा रहा है. ध्यान रखना होगा कि साइबर सुरक्षा के मोर्चे पर अत्याधुनिक ढांचा खड़ा किये बगैर डिजिटल इंडिया बनने की राह पर चलना कहीं दुःस्वप्न में न बदल जाये!

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