जूते की इएमआइ

आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार इश्तिहार में जूता 18,000 रुपये का था, साथ में बताया गया था कि यह 2,000 महीने की इएमआइ में भी मिल सकता है.जूता इएमआइ पर क्यों लेंगे, ना होगी रकम तो सस्ता लेंगे, मैं यह सोच कर कटनेवाला था कि इश्तिहार में मैसेज आया-जूता आपका स्टेटस दिखाता है, तो 18,000 की […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 15, 2017 6:02 AM
आलोक पुराणिक
वरिष्ठ व्यंग्यकार
इश्तिहार में जूता 18,000 रुपये का था, साथ में बताया गया था कि यह 2,000 महीने की इएमआइ में भी मिल सकता है.जूता इएमआइ पर क्यों लेंगे, ना होगी रकम तो सस्ता लेंगे, मैं यह सोच कर कटनेवाला था कि इश्तिहार में मैसेज आया-जूता आपका स्टेटस दिखाता है, तो 18,000 की क्या चिंता करना. बात में दम है, महंगा जूता पहन लिया जाये, तो स्टेटस दिख जाता है. इसकी उधारी चुका रहा हूं, यह किसी को नहीं दीखता. स्टेटस तो दिखाई-शुदा जूते से ही बनता है ना.
बहुत घपला हो रहा है, स्टेटस उधारी से थमा दिया जा रहा है. इन दिनों हरेक इमेल में एक दो इमेल जरूर होंगी-जिनमें उनसे वो लोन भी मंजूर कर दिया गया होगा, जो उसने मांगा ही नहीं था. लोन मांगा नहीं था, फिर मंजूर क्यों कर दिया जी. ऐसे सबकी मंजूरी के इंतजार में बैठे रहे, तो फिर लोन कैसे बेचेंगे. नौजवानों की हार्दिक इच्छा है कि काश ऐसे लव भी मंजूर हुआ करता-अभी खत भेजा नहीं कि पहले ही हां का जवाब आ गया. लव भी अगर बैंकों की कमाई का धंधा बन जाये, तो प्री-एप्रूव्ड लव के लैटर इमेल में दिखने लगेंगे.
तकनीक ऐसे ही नहीं छोड़ देती है. आप एक आइटम के इश्तिहार नेट पर देख भर लें, फिर वो आपका पीछा करते हैं. आप जूते का इश्तिहार देखा इंटरनेट पर. फिर जूते आपके पीछा करेंगे.
इंटरनेट पर किसी भी साइट पर जाइये जूतों के इश्तिहार पीछा करते हैं. सिर्फ जूते की नहीं, आगे तक की बात का खयाल करता है इंटरनेट. जूता का लोन, जूता रिपेयर, जूता पहन कर किन स्थानों पर टूर-ट्रेवल करना, टूर में किन किन होटलों में रुकना-यह सब भी इंटरनेट बताने लगता है. हाल यह है कि बंदा लव अफेयर डाट काम को देखने जाता है, तो शादी डाट काम से मैसेज आने लगते हैं कि आपकी शादी का इंतजाम हम करवायेंगे.
शादी डॉटकाॅम से आप डीलिंग करें, तो तलाक डाॅटकाॅम से मैसेज आते हैं कि अगर जरूरत हो, तो हम हाजिर हैं. आप तलाक डाॅटकाॅम को जरा सा देख भर लें, तो दूसरी शादी डाॅटकाॅम से मैसेज आने लगते हैं-हमें भी देखें.
दुनिया गोल है, सिर्फ गोल नहीं हैं, गोलमाल है.
दुनिया इएमआइ प्रधान है. इएमआइ पर आइटम ले लो, तो बंदा जिम्मेवार हो जाता है. जिन दोस्तों ने इएमआइ पर जूते, चश्मे, मलेशिया के टूर खरीदे हैं, वो नौकरी में घणे शोषित होने के बावजूद नौकरी ना छोड़ते, इस तरह शोषित जनित उत्पादकता से राष्ट्र का बहुत भला करते हैं.
इतिसिद्धम, जूते की इएमआइ खुद आपके हित में हो या ना हो, आपकी कंपनी और राष्ट्र के हित में तो है ही.

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