संघ, भाजपा और मोदी-योगी

रविभूषण वरिष्ठ साहित्यकार उत्तर प्रदेश में भाजपा की अप्रत्याशित जीत और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद आनेवाली अधिकांश प्रतिक्रियाएं उस मूल को नहीं पकड़ पा रही हैं, जिनसे भाजपा के सभी सांसद, विधायक, पुराने कार्यकर्ता नाभिनालबद्ध हैं. आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कहीं अधिक उत्साह और उमंग में है. वह भाजपा का पितृ संगठन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 27, 2017 7:00 AM
रविभूषण
वरिष्ठ साहित्यकार
उत्तर प्रदेश में भाजपा की अप्रत्याशित जीत और योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद आनेवाली अधिकांश प्रतिक्रियाएं उस मूल को नहीं पकड़ पा रही हैं, जिनसे भाजपा के सभी सांसद, विधायक, पुराने कार्यकर्ता नाभिनालबद्ध हैं. आज राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ कहीं अधिक उत्साह और उमंग में है. वह भाजपा का पितृ संगठन है. स्वतंत्र भारत में तीन बार प्रतिबंधित (1948, 1975-77, 1992) संघ के नेताओं ने द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान खुले कंठ से हिटलर की प्रशंसा की थी. ‘हिंदुत्व’ शब्द खोजने का श्रेय सावरकर को है. उन्होंने संघ की स्थापना (1925) के दो वर्ष पहले ‘हिंदुत्व’ का पहली बार प्रयोग किया था.
वर्ष 1937 में अहमदाबाद में हिंदू महासभा के अपने अध्यक्षीय भाषण में उन्होंने इसे विस्तृत किया. जिन्ना ने इसे बाद में 1940 में प्रतिपादित किया. हिंदू महासभा ने मुसलिम नाम होने के कारण अहमदाबाद को ‘कर्णावती’ कहा था. 25 फरवरी, 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर सावरकर को ‘एक सच्चा राष्ट्रभक्त’ कहा, जिन्होंने एक मजबूत और विकसित भारत की कल्पना की थी. अभी तक किसी अर्थशास्त्री या अन्य किसी ने सावरकर की विकास दृष्टि पर अपने उल्लेखनीय विचार नहीं रखे हैं. सावरकर का विश्वास ‘भारत राष्ट्र ‘ में नहीं ‘हिंदू राष्ट्र’ में था. उनके अनुसार, भारत में हिंदू और मुसलिम दो राष्ट्र हैं. भारत उनके अनुसार ब्रिटिश कंस्ट्रक्ट (निर्माण) है. गोलवलकर के ‘बंच ऑफ थॉट्स’ में भी राष्ट्र संबंधी यही दृष्टि है.
केशव बलिराम हेडगेवार आरएसएस के संस्थापक थे. आज इसकी लगभग 57 हजार शाखाएं हैं और लगभग साठ लाख सदस्य हैं. इसके आनुषांगिक संगठन 50 से अधिक हैं. 1939 में हेडगेवार ने गुरु दक्षिणा उत्सव में गोलवलकर के सर कार्यवाह बनने की घोषणा की. गोलवलकर सर्वाधिक समय तक सर संघचालक रहे. 2008 में नरेंद्र मोदी ने गुजराती में ‘ज्योतिपुंज’ नामक पुस्तक लिखी. इसमें उन्होंने जिन 16 व्यक्तियों से प्रेरित-प्रभावित होने की बात कही है, वे सब संघ के सदस्य थे. गोलवलकर के निधन (1973) के समय मोदी संघ में थे.
भाजपा में वे बेहद बाद में भेजे गये. सावरकर ने हिंदुओं के प्रति समर्पित राजनीतिक दल की बात कही थी. ‘स्वराज्य’ का अर्थ उनके लिए ‘हिंदू राज्य’ था, ‘हिंदुत्व’ था. आंबेडकर ने सावरकर द्वारा विष-बीज बोने की ओर ध्यान दिलाया था. सावरकर का 1937 का हिंदू महसभा का अध्यक्षीय भाषण ‘हिंदू संगठन के गीता’ के रूप में ख्यात है.
प्रथम लोकसभा चुनाव के पहले भारतीय जनसंघ (21 अक्तूबर, 1951) की स्थापना हुई. यह दक्षिणपंथी राजनीतिक संगठन आरएसएस की राजनीतिक भुजा थी. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसकी स्थापना की थी. यह राजनीतिक पार्टी 1977 तक जीवित रही. भारतीय जनसंघ ने जनता पार्टी से अलग होकर अपना नाम बदला और भाजपा अस्तित्व में आयी. हिंदुत्व के मुद्दे को उठा कर इसने अपना विकास किया. अटलजी से कहीं बड़ी भूमिका आडवाणी की है.
2014 के चुनाव के बाद से भाजपा का रथ दौड़ रहा है. अटल-आडवाणी के बाद का समय मोदी और शाह का समय है, जो आगामी दिनों में मोदी-योगी का होगा. एजेंडा साफ है- हिंदू राष्ट्र का निर्माण. नरम हिंदुत्व और कट्टर हिंदुत्व की बात निरर्थक है. ‘हिंदुत्व’ सदैव कट्टर है, जो कट्टरता को बढ़ावा देता है. ‘हिंदुत्व’ मोदी के लिए पासवर्ड है और विकास का यूजर नेम है. मोदी के कार्यकाल में ही ‘हिंदुत्व’ का तीव्र गति से विकास हुआ है. मोदी के शब्द प्रयोगों, उनके संकेतार्थों, निहितार्थों और गूढ़ाशयों पर कम ध्यान दिया जाता है.
उन्होंने जिस ‘न्यू इंडिया’ की बात उत्तर प्रदेश में प्राप्त सफलता के बाद कही है, वह स्पष्ट नहीं, रहस्यात्मक है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद बांग्ला के जनप्रिय कवि जातो बंदोपाध्याय की ‘अभिशाप’ कविता को लेकर ‘हिंदू संस्कृति’ के एक युवा सदस्य ने उन पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाया. क्या नया भारत ‘भयग्रस्त भारत, हिंदू भारत’ होगा? क्या नये भारत में कवि-लेखक प्रताड़ित होंगे? जिस प्रकार हिंदू संगठन बढ़ रहे हैं, वे न्यू इंडिया की कैसी तस्वीर बनायेंगे?
अप्रैल 2002 में योगी आदित्यनाथ ने ‘हिंदू युवा वाहिनी’ का गठन किया था. उन्होंने जेएनयू को बंद करने की बात कही थी. राममंदिर निर्माण को अपना मिशन माना था. उनकी वेबसाइट के होमपेज पर यह कथन है – ‘हिंदू राष्ट्र पर प्रहार महाप्रलय को आमंत्रण है’.
उनकी छवि कट्टर हिंदू नेता की है. वे अपनी छवि बदलेंगे या उत्तर प्रदेश की? छात्र जीवन में अभाविप ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए टिकट नहीं दिया था. वे आरक्षण के पक्ष में नहीं हैं. महिला आरक्षण के पक्ष में नहीं थे. नरेंद्र मोदी ने कहा था- ‘उत्तर प्रदेश का चुनाव एक न्यू इंडिया की मांग कर रहा है’.
नेहरू ने आधुनिक भारत का निर्माण किया था. मोदी नये भारत के निर्माता होंगे. क्या संघ ‘हिंदू राष्ट्र’ की संकल्पना से भिन्न संकल्पना लेगा? क्या भाजपा ऐसा करेगी? और मोदी-योगी? इनकी राह कौन सी होगी?
आंबेडकर ने चेतावनी दी थी कि अगर हिंदू राष्ट्र बनता है, तो यह देश की सबसे बड़ी आपदा होगी. किसी भी कीमत पर हिंदू राष्ट्र बनने से रोका जाना चाहिए. क्या भारत के सभी राजनीतिक दल ऐसा सोचते हैं?

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