रोजगार सृजन की आस

पिछले एक-डेढ़ दशक से सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) के आंकड़ों से झांकती भारत की तरक्की की रफ्तार भले आश्वस्त करती रही है कि हमारा देश तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन रोजगार से जुड़ी रिपोर्टें चिंताजनक तस्वीर पेश करती रही हैं. बीते ढाई दशकों से जारी नव-उदारवादी नीतियों की बड़ी आलोचना यही रही है कि […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 24, 2016 5:55 AM
पिछले एक-डेढ़ दशक से सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) के आंकड़ों से झांकती भारत की तरक्की की रफ्तार भले आश्वस्त करती रही है कि हमारा देश तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन रोजगार से जुड़ी रिपोर्टें चिंताजनक तस्वीर पेश करती रही हैं. बीते ढाई दशकों से जारी नव-उदारवादी नीतियों की बड़ी आलोचना यही रही है कि विकास के बावजूद देश में तेजी से बढ़ती युवा आबादी के लिए रोजगार के समुचित अवसर उपलब्ध नहीं हो पाये हैं. हालांकि, बीते दो वर्षों में मोदी सरकार ने कतिपय सुधारों और नीतिगत फैसलों के जरिये रोजगार सृजन के लिए पहलकदमियां तो कीं, लेकिन उनके उल्लेखनीय नतीजे अभी सामने नहीं आये हैं.
ऐसे में वस्त्र एवं परिधान क्षेत्र (टेक्सटाइल सेक्टर) के लिए छह हजार करोड़ रुपये के प्रोत्साहन पैकेज और नये उद्यम (स्टार्टअप) के लिए दस हजार करोड़ रुपये का ‘फंड ऑफ फंड्स’ बनाने का फैसला उम्मीद जगाता है. सरकार का आकलन है कि टेक्सटाइल सेक्टर में सुधार के उपायों से अगले तीन वर्षों में निर्यात में 30 अरब डॉलर की संचयी वृद्धि होगी, 74 हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा और एक करोड़ लोगों को रोजगार मिलेगा.
साथ ही परिधान निर्यात में भारत अपने प्रमुख प्रतिस्पर्धियों- बांग्लादेश और वियतनाम-से आगे निकल जायेगा. अर्थशास्त्री बताते रहे हैं कि देश के सतत विकास के लिए मैन्युफैक्चरिंग और ढांचागत निर्माण से जुड़े क्षेत्रों में तेजी से ग्रोथ जरूरी है, लेकिन ‘मेक इन इंडिया’ एवं अन्य महत्वाकांक्षी पहलों के जरिये सरकार ने टेक्सटाइल सहित जिन क्षेत्रों में रोजगार सृजन पर ध्यान देने की बात कही है, वहां पिछली छमाही में संभावनाओं में कमी ही दर्ज की गयी. ऐसे में यदि टेक्सटाइल सेक्टर को प्रोत्साहन देने से जुड़ा आकलन हकीकत में तब्दील होता है, तो यह रोजगार की तलाश में भटक रहे युवाओं के लिए एक बड़ा तोहफा होगा.
इसी तरह स्टार्टअप के लिए दस हजार करोड़ रुपये के ‘फंड ऑफ फंड्स’ की व्यवस्था, जिसे 2025 तक खर्च किया जाना है, से मोदी सरकार के महत्वाकांक्षी ‘स्टार्टअप इंडिया’ मिशन को गति मिलेगी. सरकार का आकलन है कि इससे स्टार्टअप्स में 60 हजार करोड़ रुपये का निवेश होगा और 18 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा.
इस समय देश में घरेलू जोखिम पूंजी की सीमित उपलब्धता, पारंपरिक बैंक वित्त की अड़चनें, सूचना एकत्रीकरण की असमर्थता और साख एजेंसियों के समर्थन का अभाव जैसी चुनौतियां स्टार्टअप की राह में बाधा उत्पन्न कर रही हैं. उम्मीद करनी चाहिए कि सरकार की नयी पहलकदमियों युवाओं के लिए बेहतर भविष्य की राह प्रशस्त करेंगी.

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