आइएस का खतरा

दुनिया को अपना साम्राज्य बनाने पर तुले आतंकी संगठन इसलामिक स्टेट (आइएस) के भारत में संभावित खतरों को लेकर केंद्र सरकार गंभीर है.तभी तो गृह मंत्रालय द्वारा हाल में बुलायी गयी 12 राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस प्रमुखों की बैठक में आइएस के संबंध में विशेष चर्चा की गयी थी. अब एक इंटेलिजेंस एजेंसी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 2, 2015 12:24 AM

दुनिया को अपना साम्राज्य बनाने पर तुले आतंकी संगठन इसलामिक स्टेट (आइएस) के भारत में संभावित खतरों को लेकर केंद्र सरकार गंभीर है.तभी तो गृह मंत्रालय द्वारा हाल में बुलायी गयी 12 राज्यों के मुख्य सचिवों और पुलिस प्रमुखों की बैठक में आइएस के संबंध में विशेष चर्चा की गयी थी.

अब एक इंटेलिजेंस एजेंसी के सव्रे के हवाले से खबर आयी है कि देश के कुछ शहरों में इस खूंखार आतंकी संगठन की गतिविधियों को लेकर रुचि बढ़ रही है और इंटरनेट इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है.

श्रीनगर, गुवाहाटी, मुंबई, हावड़ा आदि बड़े शहरों ही नहीं, छिंदवाड़ (महाराष्ट्र) और उन्नाव (यूपी) जैसे कुछ छोटे शहरों में भी बड़ी संख्या में युवा इंटरनेट पर आइएस की गतिविधियों के बारे में जानकारी सर्च कर ही रहे हैं.

नेशनल सैंपल सर्वे के आंकड़े बताते हैं कि पहुंच और उपभोग के मामले में इंटरनेट के उपभोक्ता बड़े शहरों में ज्यादा हैं. इस लिहाज से देखें तो आइएस के प्रति छोटे शहरों के युवाओं की बढ़ती रुचि चौंकानेवाली है.

यूपी इस मामले में अन्य राज्यों की तुलना में आगे है, क्योंकि यहीं के सबसे ज्यादा छोटे शहरों में नौजवान फेसबुक, ट्वीटर या सर्च इंजन के जरिये ऐसी जानकारियां ले रहे हैं.

जनसंचार के अन्य माध्यमों की तुलना में इंटरनेट पर अंकुश कठिन है. साथ ही, इसके माध्यम से कहीं ज्यादा विस्तार और प्रभाव के साथ संदेश फैलाया जा सकता है. आइएस ने इंटरनेट के स्वभाव और मौजूदा मीडिया के चलन को समझते हुए उसका बड़ी चतुराई से इस्तेमाल किया है.

उसने सोशल मीडिया और अन्य वेबसाइटों के द्वारा दुनियाभर से बड़ी संख्या में नौजवानों को अपने खूंखार आतंकी विचारों के प्रति आकर्षित किया है. भयावह हिंसा से रंजित उसके वीडियो और फोटो इंटरनेट पर अपलोड होते ही खबरों की शक्ल में वायरल हो जाते हैं.

हाल में उसने सोने के सिक्के भी जारी किये हैं और इससे अमेरिकी डॉलर का मुकाबला करने का दावा किया है.

इसलामी राजत्व के पुराने दिन, कब्जाये हुए क्षेत्र, लड़ाई के दृश्य और मानवता के एक हिस्से के प्रति घृणा से भरे आइएस के संदेश कुछ नौजवानों को आकर्षित भी करते हैं और प्रभावित भी करते हैं. अच्छा है कि सरकार ने आइएस के संभावित खतरों का उच्च स्तर की बैठक में संज्ञान लिया है.

उम्मीद की जानी चाहिए कि सरकार भारत में प्रभाव बढ़ाने के आइएस के मंसूबों के लिए जमीन पैदा होने से पहले ही उसके पर कतर सकेगी. समाजशास्त्रियों को भी सोचना चाहिए कि ऐसे नकारात्मक विचारों से समाज को कैसे बचाया जाये.

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