23.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

आधुनिकता का दुष्प्रभाव है तलाक

एक नये कानून के अनुसार, तलाक होने पर पति की पैतृक संपत्ति में से महिला को पर्याप्त मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है. हालांकि इस सिफारिश को अभी संसद की मंजूरी नहीं मिली है. अगर मंजूरी मिल जाती है, तो इससे परिवार व समाज को क्या फायदा होगा? वर्तमान में, हम पश्चिमी देशों की […]

एक नये कानून के अनुसार, तलाक होने पर पति की पैतृक संपत्ति में से महिला को पर्याप्त मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है. हालांकि इस सिफारिश को अभी संसद की मंजूरी नहीं मिली है. अगर मंजूरी मिल जाती है, तो इससे परिवार समाज को क्या फायदा होगा? वर्तमान में, हम पश्चिमी देशों की चकाचौंध में इस तरह अपने आप को खत्म कर रहे हैं कि हम पतिपत्नी, परिवार के संबंध अपनेपन की भावना को भूल गये हैं. वो कैसा परिवार जो संवेदनाशून्य हो? जिसे अपने को खोने का गम ही नहीं? क्या हमें अपनी संस्कृति सभ्यता से मोहभंग हो गया है? जरा सी तूतू, मैंमैं हुई कि तलाक की नौबत जाती है.

आपसी संबंधों में सहनशीलता खत्म होती जा रही है. तलाक का मामला उन परिवारों में ज्यादा देखने को मिलता है, जो आजकल खुद को समाज में, विकसित समृद्ध कहने में कतई संकोच नहीं करते. जिन्हें सिर्फ खुद की परवाह और अपना स्टेटस नजर आता है. पतिपत्नी से परिवार बनता है. क्या सुखी, संपन्न खुशहाल परिवार की परिकल्पना बिना सबके साथ रहे संभव है?

।। रितेश कु दुबे ।।

(कतरास)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें