।। राजीव कुमार झा ।।
(प्रभात खबर, कोलकाता)
अब तक हमने संत कबीर की पंक्ति पढ़ी थी कि ‘ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय’. लेकिन मॉडर्न युग में इस पंक्ति ने भी नया लुक ले लिया है : ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो ग्रेजुएट होय. कोलकाता के प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय में तो इन दिनों छात्र यही पंक्ति गुनगुना रहे हैं. और गुनगुनाये भी क्यों न, अब उनके क्लासरूम में प्यार की पाठशाला जो लगेगी. कैंपस के कोने में चुपके–चुपके प्रेमालाप करने की जगह अब वे सरेआम प्रेम की परिभाषा रटते फिरेंगे. कैंपस में प्रेम की चर्चाएं होंगी, लव पर बहस करेंगे. और 50 नंबर की ‘प्रेम परीक्षा’ देनी होगी.
ऐसा है कि अंग्रेजों के जमाने का हिंदू कॉलेज, जो अब प्रेसिडेंसी विश्वविद्यालय है, वहां ग्रेजुएशन में ‘लव’ विषय पढ़ाने का फैसला किया गया है. नोबेल विजेता अमर्त्य सेन, ऑस्कर विजेता सत्यजीत रे जैसी सैकड़ों महान हस्तियों को बनानेवाले इस शिक्षा संस्थान को कुछ वर्ष पहले ही विवि का दर्जा मिला है. यहां विद्यार्थियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा देने की हर संभव कोशिश की जा रही है.
इसी क्रम में यह अनोखी पहल की गयी है. 2014 से लव विषय 50 अंकों का होगा, जो किसी विषय में ऑनर्स करनेवाले छात्र–छात्राएं पास पेपर के तौर पर ले सकेंगे. इस विषय का अध्ययन विद्यार्थियों के लिए रोचक तो होगा, पर उन्हें प्रेम को लेकर सदियों से चले आ रहे कई सवालों के जवाब भी खोजने होंगे. खैर, यह तो जान गये कि विश्वविद्यालय में प्रेम का पाठ पढ़ाया जायेगा. लेकिन सवाल यह है कि इसे पढ़ायेगा कौन? किस आधार पर इसके गुरु खोजे जायेंगे? और पढ़ाया क्या–क्या जायेगा? क्या इसके प्रैक्टिकल क्लासेस भी होंगे? क्या क्लास में बॉलीवुड की रोमांटिक फिल्में दिखायी जायेंगी? दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे और मुगल–ए–आजम? फिलहाल इन सवालों के जवाब स्पष्ट नहीं हैं.
पर एक बात तो तय है, इस विषय को पढ़ानेवाले लव गुरु हों ना हों, पुकारे तो ‘लव गुरु’ ही जायेंगे. अच्छा, कहीं ऐसा तो नहीं कि अध्यापक के लिए प्यार में होना या प्यार का अनुभव होना या प्रेम विवाह किये होना अनिवार्य होगा? इंटरव्यू में उनसे पूछा जायेगा कि आपने कभी प्यार किया है? अगर हां, तो प्यार का अपना अनुभव बतायें. या फिर प्यार की परिभाषा समझायें. वैसे मेरी निगाह में एक अध्यापक हैं, जो एकदम फिट बैठेंगे. वह इस विषय में पारंगत भी हैं और काफी चर्चित भी. जी हां, हम बिहार के मटुकनाथ जी की ही बात कर रहे हैं.
खैर, अब इस विषय की पढ़ाई की मांग जेएनयू में भी होने लगी है. वैसे लगता है कि प्रेसिडेंसी की सफलता के बाद दूसरे विवि भी इसे शामिल करेंगे. नहीं तो छात्र चुप थोड़े बैठेंगे. अरे, छात्र यूनियन किस आयेगी! अब देखना है, प्रेम का पाठ पढ़ कर गेजुएट होनेवाले दुनिया को क्या पाठ पढ़ाते हैं.