14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

मेरे दोस्त को है एडवर्ड जेनर की तलाश

।। परवेज आलम ।। (प्रभात खबर, भागलपुर) मेरा शायर दोस्त इन दिनों एक मुसीबत में मुब्तला है. मुसीबत का ताल्लुक उसके ख्वाबों से है. उसके ज्यादातर ख्वाब गालिब, मीर व मोमिन जैसे शायरों से मुलाकात के इर्द–गिर्द घूमते रहते हैं. गाहे–बगाहे दिनकर, बाबा नागार्जुन वगैरह से भी मुलाकातें होती रहती हैं. हाल ही में तो […]

।। परवेज आलम ।।

(प्रभात खबर, भागलपुर)

मेरा शायर दोस्त इन दिनों एक मुसीबत में मुब्तला है. मुसीबत का ताल्लुक उसके ख्वाबों से है. उसके ज्यादातर ख्वाब गालिब, मीर मोमिन जैसे शायरों से मुलाकात के इर्दगिर्द घूमते रहते हैं.

गाहेबगाहे दिनकर, बाबा नागार्जुन वगैरह से भी मुलाकातें होती रहती हैं. हाल ही में तो उसने अदम गोंडवी साहब के साथ एक मुशायरे में भी शिरकत की थी. मैं ख्वाब में पेश आनेवाले ऐसे सारे वाकयात रोज सुनने को मजबूर हूं, क्योंकि शहर के चायखाने में हर शाम सजनेवाली हमारी मित्र मंडली का वह भी एक अहम सदस्य है. लेकिन कल शाम एक अजीब वाकया हुआ़ मेरा दोस्त महफिल में पहुंचा जरूर, लेकिन पूरे समय खामोश और मायूस ही रहा. मैंने उसकी खामोशी की वजह पूछी, तो उसने अपनी दाढ़ी खुजाते हुए कहामैं ख्वाब में जिन्हें ढूंढ़ रहा हूं, वह मिल नहीं रह़े बहुत कोशिश के बाद भी जेनर साहब से मुलाकात नहीं हो रही है.

शायरों, कवियों से मेरी भी थोड़ी बहुत वाकफियत है, लेकिन जेनर नाम का शायर पहली बार सुना था. अपनी अज्ञानता पर शर्मिदा होते हुए मैंने जेनर साहब की तफसील जाननी चाही तो दोस्त भड़क उठा, ‘‘अमां, तुम्हे इतना भी पता नहीं कि जेनर साहब विलायत के बहुत बड़े साइंसदां गुजरे हैं.’’.. अच्छा तो तुम एडवर्ड जेनर की बात कर रहे हो जिसने चेचक का टीका इजाद किया था... हां, मैं उसी जेनर साहब से मुलाकात चाह रहा हूं.. मैंने कहा, तुम तो ठहरे शायर, तुम्हें जेनर से मिल कर क्या मिलेगा. वह बोला, सारा ज्ञान विज्ञान तो तुम पत्रकारों के हिस्से में है! हमलोग निरे जाहिल ही सही, लेकिन फिलहाल मेरी जेनर साहब से मुलाकात जरूरी है.

मैंने मुलाकात का सबब पूछा. उसने संजीदगी से कहा, मुल्क में तेजी से फैल रही एक लाइलाज बीमारी की रोकथाम के लिए टीका इजाद करने की मिन्नत करनी है... अब ऐसी कौनसी बीमारी बच गयी है.

पोलियो भी खत्म होने को है. एड्स का टीका भी बस अबतब पर है. तुम किस बीमारी को लेकर फिक्रमंद हो?.. दोस्त ने कहा, मियां यह जातिवाद का रोग मेरी परेशानी का सबब है. हालात अजीब से अजीबतर होते जा रहे हैं. मुझे तो पक्का यकीन हो चला है कि यह कोई वायरल बीमारी है. बुद्धिजीवियों ने तो और भी बेड़ा गर्क कर रखा है. विभूतियों तक को जातियों में बांट कर जन्मदिवस, पुण्यतिथि मनाने लगे हैं.

जिले में जबजब कोई नया अफसर तबादला होकर आता है, तो उसकी जाति को लेकर अच्छे खासे पढ़ेलिखे लोगों में खुसरफुसर शुरू हो जाती है. यहां चायखाने में बैठ कर उसूलों की बात करते हो.. उस दिन तुम्हारा चेहरा कितना चमक रहा था, जब तुमने फलां साहब के एसपी बन कर आने की इत्तला दी थी. मैं सफाई देने ही वाला था कि वह फिर ख्वाबों में खो गया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें