कार्यान्वयन बनाम बुनियादी सुधार

डॉ भरत झुनझुनवाला अर्थशास्त्री मोदी सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में कार्यान्वयन में सुधार के लिए किये जा रहे प्रयासों का स्वागत है. परंतु, अर्थव्यवस्था की मौलिक समस्याओं का समाधान और बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकार को बुनियादी सुधारों को लागू करना चाहिए. ओबामा की भारत यात्रा से बाजार में उत्साह का माहौल बना है. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 3, 2015 5:55 AM

डॉ भरत झुनझुनवाला

अर्थशास्त्री

मोदी सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में कार्यान्वयन में सुधार के लिए किये जा रहे प्रयासों का स्वागत है. परंतु, अर्थव्यवस्था की मौलिक समस्याओं का समाधान और बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकार को बुनियादी सुधारों को लागू करना चाहिए.

ओबामा की भारत यात्रा से बाजार में उत्साह का माहौल बना है. सरकार तथा उद्यमियों को आशा है कि हमारे निर्यातों के लिए अमेरिकी बाजार खुलेगा और हमें विदेशी निवेश मिलेगा. विकसित देशों के संगठन ओइसीडी ने कुछ माह पूर्व हमारी विकास दर 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था, जिसे हाल में 6.6 प्रतिशत कर दिया है. लेकिन, साथ-साथ कहा है कि बुनियादी सुधारों के अभाव में विकास दर आठ प्रतिशत से ऊपर नहीं जा सकेगी.

फिच नामक अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी ने कहा है कि मोदी सरकार के कार्यकाल में बुनियादी सुधारों की गति धीमी है. एशियन डेवलपमेंट बैंक ने कहा है कि तीस वर्षो के बाद अकेले बहुमत प्राप्त करने के बावजूद मोदी सरकार ने बड़े सुधारों को नहीं बढ़ाया है.

अंतरराष्ट्रीय विश्लेषकों में सहमति है कि बुनियादी सुधारों को आगे बढ़ाने की जरूरत है. अत: एक क्षण ठहर कर बुनियादी प्रश्नों पर विचार करना चाहिए.

वर्तमान में दिख रहा सुधार बेहतर कार्यान्वयन के कारण हुआ है. सरकार त्वरित निर्णय ले रही है. दो दशकों से लटके तोप की खरीद के निर्णय को नये रक्षा मंत्री ने कार्यभार संभालने के बाद दो सप्ताह में ही ले लिया. इसी प्रकार के निर्णय ईरान से तेल के आयात के संबंध में लिये गये हैं. ये कदम सही दिशा में हैं, परंतु इनसे हम बहुत आगे नहीं जा सकेंगे. कार्यान्वयन और बुनियादी सुधारों में अंतर को समझना होगा. जैसे- कोई कर्मचारी अपनी कार से ऑफिस जाता है.

वह ग्रुप बना कर चार कर्मियों के साथ कार से ऑफिस जाये, तो यह कार्यान्वयन में सुधार हुआ. लेकिन, यदि कार के स्थान पर मेट्रो से ऑफिस जाने लगे, तो यह बुनियादी सुधार हुआ. ज्यादा बचत करनी हो तो उपकरण बदलना होगा.

मोदी सरकार ने कई क्षेत्रों में कार्यान्वयन में सुधार किया है. सरकारी कर्मचारियों के लिए बायोमेट्रिक अटेंडेंस लागू किया है. कर्मियों के कार्य के घंटे बढ़ाये जा सकते हैं. यह कार्यान्वयन में सुधार हुआ. इससे यह सुनिश्चित हुआ कि कर्मी आफिस आया. लेकिन, बुनियादी सुधार तब होगा, जब कार्यो के जनता पर प्रभाव का आकलन किया जायेगा, सरकारी कर्मियों की कार्यकुशलता का स्वतंत्र ऑडिट कराया जायेगा. मसलन सरकारी अध्यापक की अटेंडेंस बायोमेट्रिक मशीन से होने से यह सुनिश्चित हुआ कि वह स्कूल में उपस्थित हुआ. परंतु वह कक्षा में पढ़ाये नहीं, तो बच्चों की पढ़ाई नहीं सुधरेगी. बुनियादी सुधार होता, यदि अध्यापक के वेतन को छात्रों के रिजल्ट से जोड़ दिया जाता.

मोदी सरकार ने ईरान से तेल आयात बढ़ाया है. ईरान का तेल सस्ता पड़ता है. यह कार्यान्वयन में सुधार हुआ. देश में ऊर्जा-सघन उद्योगों पर टैक्स लगा कर इन्हें छोटा करना; तथा ऊर्जा की खपत कम करनेवाले उद्योगों को छूट देकर बड़ा करना बुनियादी सुधार होता. तब हमारी ऊर्जा की खपत कम होती और हम आयात पर निर्भरता से मुक्त होते.

देश में पानी का संकट गहरा रहा है. भूमिगत जलस्तर निरंतर गिर रहा है. ऐसे में किसानों को ड्रिप या स्प्रिंकलर लगाने को प्रेरित करने से मूल समस्या का निदान नहीं होता है. ड्रिप के माध्यम से किसान खेती के क्षेत्रफल में वृद्घि करता है अथवा गेहूं के स्थान पर गन्ने की खेती करता है. इसके स्थान पर पानी का मूल्य वसूल करने से किसान द्वारा पानी का उपयोग कम होता और पानी की समस्या समाप्त हो जाती. किसान के नाम पर खाद्य पदार्थो पर काफी सब्सिडी दी जा रही है.

खाद्य सब्सिडी का उपयोग मुख्यत: फूड कॉरपोरेशन के भ्रष्टाचार एवं अकुशलता को पोषित करने में होता है. राशन की दुकानों पर बायोमेट्रिक मशीन लगा कर कार्यान्वयन में सुधार का प्रयास किया जा रहा है, परंतु इससे सब्सिडी देने का क्रम जारी रहेगा. किसान को बिजली, पानी तथा खरीद में सब्सिडी देने के स्थान पर यदि खाद्यान्नों के मूल्य में वृद्घि की जाये, तो यह जंजाल स्वत: समाप्त हो जाता. यह बुनियादी सुधार होता.

प्रतिवर्ष लगभग एक करोड़ युवा भारत के श्रम बाजार में प्रवेश कर रहे हैं, जबकि संगठित क्षेत्र में केवल पांच लाख रोजगार प्रतिवर्ष पैदा हो रहे हैं. शेष 95 लाख युवा छोटे-मोटे काम कर जीवन यापन कर रहे हैं. ऐसे में एम्पलायमेंट एक्सचेंज को कुशल बनाना अथवा नौकरियों का पोर्टल खोलना कार्यान्वयन में सुधार है.

इससे उपलब्ध नौकरियों को शीघ्र भरा जा सकेगा, लेकिन बेरोजगारी की समस्या पूर्ववत बनी रहेगी. इसकी तुलना में यदि उद्यमियों को रोजगार सब्सिडी दी जाये अथवा ज्यादा संख्या में रोजगार उत्पन्न करनेवाले उद्योगों को श्रम कानूनों से कुछ हद तक मुक्त कर दिया जाये तो बड़ी संख्या में रोजगार पैदा होंगे. यह बुनियादी सुधार होता.

मोदी सरकार द्वारा विभिन्न क्षेत्रों में कार्यान्वयन में सुधार के लिए किये जा रहे प्रयासों का स्वागत है. परंतु, अर्थव्यवस्था की मौलिक समस्याओं का समाधान और बेरोजगारी दूर करने के लिए सरकार को बुनियादी सुधारों को लागू करना चाहिए.

Next Article

Exit mobile version