* राजनाथ का बयान
प्रधानमंत्री पद के लिए भाजपा की ओर से नरेंद्र मोदी की उम्मीदवारी का सवाल भारत के मौजूदा चुनावी बहस में बेहद अहम हो गया है. ऐसे वक्त में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह इशारों में मोदी की उम्मीदवारी का एलान करें, वह भी अमेरिका की धरती से, तो उसके निहितार्थ समझे जाने चाहिए.
अमेरिका में राजनाथ सिंह का यह कहना काफी मानीखेज है कि मोदी इस समय देश के सबसे लोकप्रिय नेता हैं और वे सिर्फ गुजरात में ही नहीं, बल्कि तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार में भी भीड़ जुटाने में समर्थ हैं. इसका पहला संदेश तो यही है कि भाजपा का एक बड़ा धड़ा मोदी को सबसे कद्दावर नेता मानता है और उनके नेतृत्व में चुनावी नैया पार कर लेने का उसे पूरा यकीन है.
दूसरी बात यह है कि भाजपा मोदी की दावेदारी के सवाल को सिर्फ भारत की धरती तक नहीं, बल्कि विदेशी धरती तक भी ले जाना चाहती है. भाजपा को संभवत: इस बात का एहसास है कि गुजरात दंगों के बाद भारत से बाहर मोदी को लेकर एक तरह से अस्पृश्यता की भावना उनकी चुनावी संभावनाओं पर नकारात्मक असर डाल सकती है.
शायद यही वजह है कि राजनाथ ने अमेरिका में न सिर्फ मोदी की शान में कसीदे पढ़े, बल्कि मोदी पर लगे वीजा प्रतिबंधों को हटाने की मांग भी की. ऐसा करते हुए राजनाथ विदेशों में रहनेवाले उस भारतीय डायस्पोरा को भी साधने की कोशिश कर रहे थे, जो वाइब्रेंट गुजरात जैसे आयोजनों में पहले ही मोदी पर अपना दुलार लुटाता आया है. राजनाथ के बयान में भाजपा की आक्रामकता को भी पढ़ा जा सकता है.
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि आनेवाले समय में कांग्रेस मोदी को घेरने की पूरी कोशिश करेगी. ऐसे में मोदी की उम्मीदवारी का ऐलान कर भाजपा कांग्रेस को किसी किस्म का बढ़त लेने से रोकना चाह रही है. उसकी मंशा मोदी की ओर उठनेवाली हर उंगली को ‘राजनीति से प्रेरित’ कह कर खारिज करने की हो सकती है.
अब यह लगभग तय है कि आनेवाले हफ्तों में देश की राजनीति ज्यादा से ज्यादा मोदी केंद्रित होती जायेगी. इसकी बड़ी वजह यह है कि भाजपा की तरह कांग्रेस को भी मोदी में आशा की एक किरण दिख रही है. कांग्रेस के लिए मोदी एक ऐसे शख्स हैं, जिनके इर्द-गिर्द चुनाव प्रचार को केंद्रित कर वह मुख्य बहस को अपनी असफलताओं से दूर धकेल सकती है.
ऐसे में मोदी की उम्मीदवारी असल में किसे फायदा पहुंचायेगी, यह तो आनेवाला वक्त ही बतायेगा. फिलहाल मोदी के नाम पर पसरे कुहासे को हटा कर राजनाथ ने जनता को चयन का स्पष्ट विकल्प देने का काम तो किया ही है.