14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अमेरिका-तालिबान वार्ता

।। अवधेश कुमार ।।(वरिष्ठ पत्रकार)अफगनिस्तान, अमेरिका और तालिबान केंद्रित दो ऐसे समाचार आये, जो केवल इन देशों के लिए ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं. लगभग साढ़े ग्यारह साल बाद अफगान में तैनात नाटो सैनिकों ने अफगानी सुरक्षा बलों के हाथों वहां की सुरक्षा सुपुर्द कर दी है. साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय […]

।। अवधेश कुमार ।।
(वरिष्ठ पत्रकार)
अफगनिस्तान, अमेरिका और तालिबान केंद्रित दो ऐसे समाचार आये, जो केवल इन देशों के लिए ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं. लगभग साढ़े ग्यारह साल बाद अफगान में तैनात नाटो सैनिकों ने अफगानी सुरक्षा बलों के हाथों वहां की सुरक्षा सुपुर्द कर दी है.

साथ ही अमेरिकी राष्ट्रपति कार्यालय व्हाइट हाउस ने तालिबान से सीधे शांति वार्ता करने की घोषणा की है. इनके बीच पहली बैठक कतर की राजधानी दोहा में शीघ्र ही होगी. दोहा वह पहली जगह है जहां 9/11 की घटना के बाद तालिबान ने कोई आधिकारिक कार्यालय खोला है और अपनी सार्वजनिक-राजनीतिक भूमिका की फिर से शुरुआत कर दी है.

तालिबान ने इस कार्यालय को पॉलिटिकल ब्यूरो ऑफ इस्लामिक इमरात ऑफ अफगानिस्तान कहा है. उसके अमीर मुल्ला उमर हैं. तालिबान ने कहा है कि यह कार्यालय उसे दुनिया से रिश्ता बनाने में मदद करेगा. इससे संयुक्त राष्ट्र, अन्य एजेंसियों और मीडिया से संपर्क करने में मदद मिलेगी.

इसकी कल्पना नहीं थी कि अमेरिका तालिबानियों से बात करेगा जो अलकायदा के साथ मिल कर आतंकी हमलों को अंजाम दे रहे हैं. इस बातचीत का भविष्य चाहे जो हो, पर यह एक भयानक दोधारी तलवार साबित हो सकती है. अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई ने बयान दिया है कि वे तालिबान के साथ बातचीत के लिए एक प्रतिनिधिमंडल दोहा भेजेंगे. गौर करें तो आतंकवाद विरोधी युद्घ के 11 वर्ष 8 महीने बाद का यह घटनाक्रम अमेरिका द्वारा 360 डिग्री मुड़ जाने जैसा है. अगर तालिबान ने समर्पण किया होता और स्वयं बातचीत की घोषणा की होती तो बात समझ में आ सकती थी. फिर अमेरिका ने अपने रुख में ऐसा बदलाव क्यों किया?

भारत ने स्पष्ट कहा है कि अमेरिका को इस मामले में काफी सोच-समझ कर कदम उठाना चाहिए. ठीक है कि आतंकवाद का अंत केवल सैनिक युद्घ से नहीं हो सकता. उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए उनका मानस परिवर्तन जरूरी है, किंतु ऐसा करते समय यह नहीं दिखना चाहिए कि उनके खिलाफ लोहा लेने का संकल्प करनेवाले मजबूर होकर बातचीत के लिए सामने बैठ रहे हैं. दुनिया भर के आतंकी समूहों के लिए अमेरिका उनका मुख्य दुश्मन रहा है. उनके बीच इससे यही संदेश जायेगा कि उन्होंने अमेरिका को बातचीत करने के लिए मजबूर कर दिया.

दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा ने 2014 तक अफगान से अपने सैनिकों की वापसी की घोषणा की हुई है. जिस समय अमेरिका की ओर से बातचीत की पुष्टि हुई, उसके कुछ ही घंटे के बाद अफगान के बगरम एयर बेस में आतंकियों के हमले में 4 अमेरिकियों की मौत हो गयी. बगरम एयर बेस अमेरिकी विमानों का एक प्रमुख केंद्र है. यही नहीं जिस समय करजई नाटो प्रमुख के साथ सुरक्षा सौंपने वाले समारोह को संबोधित कर रहे थे, उसी समय एक सांसद को निशाना बना कर किये गये हमले में तीन नागरिक मारे गये. एक ओर ये हमले और दूसरी ओर बातचीत के बीच सुसंगति ढूंढ़नी मुश्किल है.

अमेरिका एवं यूरोप आर्थिक तंगी में हैं. इतने बड़े सुरक्षा बोझ को उठाना उनके लिए कठिन हो रहा है. ध्यान रहे कि इस घोषणा के दिन ही आर्थिक समस्या के कारण ब्रिटेन ने अपने 4500 सैनिकों को छुट्टी देने की घोषणा कर दी. ब्रिटेन भी नाटो का एक सदस्य है. खुद अमेरिका में भी युद्घ खर्च को लेकर आवाजें उठती रही हैं. उसने जिन संगठनों को आतंकी मान कर प्रतिबंधित किया था, उसमें अलकायदा के बाद तालिबान दूसरे नंबर पर है. तो क्या अमेरिका ने अपनी नीति पलट दी है? क्या उसने संयुक्त राष्ट्र में बातचीत का प्रस्ताव पारित कराया है? क्या वह तालिबान लड़ाकों के सिर से इनाम हटायेगा?

अमेरिका ने कहा है बातचीत कुछ शर्तो पर हो रही है. मसलन, तालिबान हिंसा छोड़ेगा, अल-कायदा से संबंधों को तोड़ेगा, अफगानिस्तान के संविधान का आदर करेगा, महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करेगा, आदि.

क्या तालिबान ये सारी शर्ते मान लेगा? जो करजई और उनकी सरकार को वाशिंगटन का कठपुतली कहता रहा है, जो वहां के नवनिर्मित संविधान को इसलाम विरोधी करार देता रहा है, वह अचानक अपना रुख कैसे बदल सकता है? कहीं ऐसा न हो कि वह इस स्थिति का लाभ उठा कर अपनी शक्ति बढ़ाये और अमेरिकी सौनिकों की वापसी के बाद फिर से शरीयत शासन के तहत सत्ता पर कब्जा करने का युद्घ छेड़ दे. अमेरिका ने इस पहलू पर अवश्य विचार किया होगा. बावजूद इसके अगर वह बातचीत करने जा रहा है तो उसे इसके उल्टे परिणामों की भी जिम्मेवारी लेनी होगी.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें