संकट में साथ

चीन कोरोना वायरस के भयावह कहर से जूझ रहा है. अब तक यह वायरस हजार से अधिक लोगों को अपना ग्रास बना चुका है और कई हजार बीमार अस्पतालों में हैं. ऐसी स्थिति में भारत ने सहानुभूति जताकर और सहायता देने का प्रस्ताव देकर अपने पड़ोसी होने का धर्म निभाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 12, 2020 7:45 AM

चीन कोरोना वायरस के भयावह कहर से जूझ रहा है. अब तक यह वायरस हजार से अधिक लोगों को अपना ग्रास बना चुका है और कई हजार बीमार अस्पतालों में हैं. ऐसी स्थिति में भारत ने सहानुभूति जताकर और सहायता देने का प्रस्ताव देकर अपने पड़ोसी होने का धर्म निभाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को पत्र लिखकर अपनी और देश की भावनाओं को प्रकट किया है. चीन ने भी इस पत्र को दोनों देशों की मित्रता का रेखांकन कहा है.

भारत ने सर्जिकल मास्क, दस्ताने और अन्य साजो-सामान के अपने उत्पादकों को निर्देश भी दिया है कि वे उपलब्ध मात्रा का विवरण तैयार करें ताकि इन चीजों को तुरंत चीन भेजा जा सके. ऐसी चीजों के निर्यात पर लगी रोक को भी हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी है. कुछ दिन पहले ही अपने देश में कोरोना वायरस के फैलने की आशंका को देखते हुए यह रोक लगायी गयी थी. केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, रसायन मंत्रालय के औषधि विभाग तथा विदेश मंत्रालय एक साथ मिलकर जरूरी तैयारी कर रहे हैं.

बीते दशक से चीन के साथ हमारे आर्थिक संबंध मजबूत तो हो ही रहे हैं, हाल के वर्षों में रणनीतिक व सुरक्षा से जुड़े मसलों पर भी सहकार की संभावनाएं पैदा हुई हैं. इसके साथ सीमा और वाणिज्य से संबंधित अनेक बिंदुओं पर तनाव और तकरार भी बरकरार हैं. परंतु मानवीय संकट के समय साथ खड़ा होना राजनीतिक और सामरिक मसलों पर आधारित नहीं हो सकता है.

ऐसे अवसर पर मदद के लिए हाथ बढ़ाना भारत की पुरानी परंपरा रही है. इसका एक बड़ा उदाहरण कई साल पहले पाकिस्तान के कुछ इलाकों और उसके कब्जेवाले कश्मीर में आये भयावह भूकंप के समय भारत की मदद है. ऐसा ही नेपाल की त्रासदी के समय भी हुआ था. दशकों पहले दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान स्वतंत्रता आंदोलन की अगुवाई कर रही कांग्रेस ने चिकित्सकों का एक दल चीन रवाना किया था. उसमें शामिल डॉ द्वारकानाथा कोटनीस तो वही रह गये थे और लंबे समय तक विपरीत परिस्थितियों में काम करने के कारण मात्र 32 साल की आयु में उनकी मृत्यु हो गयी थी.

उनकी मौत पर माओ ने कहा था, ‘चीनी सेना ने एक मददगार खो दिया और चीन ने एक दोस्त खो दिया. हमें उनकी अंतरराष्ट्रीयतावाद की भावना को हमेशा याद रखना चाहिए.’ कोरोना वायरस की चपेट में कई देश आ चुके हैं और भारत में भी अनेक संदिग्ध मामलों की जांच चल रही है.

विश्व व्यापार संगठन ने फिर चेतावनी दी है कि चीन के बाहर सामने आ रहे मामले किसी बड़ी आग की चिंगारी हो सकते हैं. ऐसे में चीन की ओर सहयोग का हाथ बढ़ाकर प्रधानमंत्री मोदी ने समूची दुनिया को यह परोक्ष संदेश भी दिया है कि ऐसी त्रासदियों का सामना सभी देशों को मिल-जुलकर किया जाना चाहिए और भविष्य के लिए एक बड़ा प्रतिमान खड़ा करना चाहिए.

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