एक जीवट उदाहरण हैं शेषन

कुछ लोग अपनी प्रतिबद्धता, जीवटता, कर्मठता, सत्यता और अपनी कर्तव्यपरायणता से ऐसी राह बनाते हैं, जिसे उनके जाने के बाद दुनिया उन्हें एक ‘देवदूत’ के रूप में याद करती है. मात्र 21 वर्ष की उम्र में आईएएस बननेवाले टीएन शेषन ने भारत में चुनाव को पारदर्शी बनाने के लिए मतदाताओं का चुनाव पहचान पत्र बनवाया. […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 14, 2019 7:19 AM
कुछ लोग अपनी प्रतिबद्धता, जीवटता, कर्मठता, सत्यता और अपनी कर्तव्यपरायणता से ऐसी राह बनाते हैं, जिसे उनके जाने के बाद दुनिया उन्हें एक ‘देवदूत’ के रूप में याद करती है. मात्र 21 वर्ष की उम्र में आईएएस बननेवाले टीएन शेषन ने भारत में चुनाव को पारदर्शी बनाने के लिए मतदाताओं का चुनाव पहचान पत्र बनवाया. केरल में जन्मे तिरूनेल्लेई नारायण अय्यर शेषन को सारा देश टीएन शेषन के नाम से जानता है.
भ्रष्ट राजनीति के उस दौर में शेषन चुनाव आयुक्त बने, जब बंदूकों के बल पर मतपेटियों को लूटने, सांप्रदायिक विद्वेष फैलाने तथा धनबल-बाहुबल और सत्ताबल का जमकर प्रयोग करने में जरा भी हिचक नहीं होती थी. इन बुराइयों के खिलाफ शेषन अकेले चट्टान की तरह खड़े रहे और चुनाव आयोग की शक्तियों के बल पर उक्त बुराइयों को जड़ से उखाड़ फेंका. हमारे देश में निष्पक्षतापूर्वक चुनाव करानेवाले शेषन पहले चुनाव आयुक्त थे.
निर्मल कुमार शर्मा, गाजियाबाद

Next Article

Exit mobile version