सचमुच अब मृतपाय है नाटो

साल 1949 में जब नाटो का गठन किया गया था, तब द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का समय था. लोग युद्ध की विभीषिका से उबरे भी नहीं थे. दुनिया दो खेमों में बंट गयी थी. साम्यवाद एवं लोकतांत्रिक पूंजीवाद. इसी प्रतिस्पर्धा के चलते, कुछ साम्यवादी देशों ने वारसा संधि 1955 में की. इस गठबंधन से […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 11, 2019 2:34 AM

साल 1949 में जब नाटो का गठन किया गया था, तब द्वितीय विश्व युद्ध के बाद का समय था. लोग युद्ध की विभीषिका से उबरे भी नहीं थे. दुनिया दो खेमों में बंट गयी थी. साम्यवाद एवं लोकतांत्रिक पूंजीवाद. इसी प्रतिस्पर्धा के चलते, कुछ साम्यवादी देशों ने वारसा संधि 1955 में की.

इस गठबंधन से दुनिया शीत युद्ध के आगोश में चला गयी. लेकिन साम्यवादी बेड़ियां जब टूटने लगीं, तो इसको भी 1991 में समाप्त कर दिया गया. ऐसे में नाटो को भी खत्म कर दिया जाना चाहिए था. अब फ्रांस के राष्ट्रपति ने सही कहा है कि नाटो मृतप्राय है.
क्योंकि अमेरिका और उसके नाटो सहयोगियों के बीच रणनीतिक फैसले लेने में कोई समन्वय नहीं है. एक प्रमुख सदस्य राष्ट्र तुर्की द्वारा सीरिया में एक पक्षीय कार्रवाई की गयी. लेकिन, किसी ने कुछ नहीं कहा. फ्रांस के राष्ट्रपति द्वारा नाटो पर उठाये गये सवाल से अगले महीने ब्रिटेन में होनेवाली शिखर बैठक जरूर प्रभावित होगी.
जग बहादुर सिंह, जमशेदपुर

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