आरबीआइ की स्वायत्तता
शशिकांत दास को ऐसे समय में भारतीय रिजर्व बैंक की कमान मिली है, जब उसकी स्वायत्तता को लेकर प्रश्न उठ रहे हैं. दास का यह बयान कि वह आरबीआइ की स्वायत्तता को बनाये रखेंगे, महत्वपूर्ण है. उर्जित पटेल के इस्तीफे के एक दिन के अंदर ही उनकी नियुक्ति का मतलब है कि सरकार रिजर्व बैंक […]
शशिकांत दास को ऐसे समय में भारतीय रिजर्व बैंक की कमान मिली है, जब उसकी स्वायत्तता को लेकर प्रश्न उठ रहे हैं. दास का यह बयान कि वह आरबीआइ की स्वायत्तता को बनाये रखेंगे, महत्वपूर्ण है. उर्जित पटेल के इस्तीफे के एक दिन के अंदर ही उनकी नियुक्ति का मतलब है कि सरकार रिजर्व बैंक को लेकर गंभीर है.
दास आर्थिक मामलों में सचिव तथा वित्त आयोग के सदस्य रह चुके है. जाहिर है, सरकार की आर्थिक व वित्तीय नीतियों का उन्हें पूरा अनुभव है. यूपीए सरकार में भी उनकी भूमिका अहम थी. नोटबंदी के समय सरकार और रिजर्व बैंक के बीच सेतु की भूमिका निभाकर उन्होंने स्थिति को तो संभाला ही था, जीएसटी पर भी राज्यों की सहमति बनाने में उनकी भूमिका अहम थी.
जीएसटी में जितने भी संशोधन हुए, दास सबसे जुड़े हुए थे. जो कुछ सामने आया है, उससे साफ है सरकार इस समय केंद्रीय बैंक के सुरक्षित कोष की समीक्षा इस लक्ष्य से करना चाहती है कि कितना उसमें रहना चाहिए एवं कितने का समुचित उपयोग किया जा सकता है.
सरकार लघु और मध्यम उद्योगों को कर्ज देने में उदारता चाहती है. यह तभी संभव होगा, जब बैंकों के पास पर्याप्त राशि रहे. अब देश को शशिकांत दास से उम्मीद है कि वह इन कसौटियों पर खरे उतरेंगे और विवाद समाप्त होंगे.
अभिजीत मेहरा, गोड्डा