महिलाओं के प्रति भेदभाव

सुप्रीम कोर्ट द्वारा जब से सबरीमाला मंदिर पर निर्णय दिया गया है, तब से ही वहां विभिन्न प्रकार के आंदोलन जारी हैं. महिलाओं के प्रवेश को लेकर दिये गये निर्णय की अलग-अलग व्याख्या की जा रही है. इसी बीच केरल की वामपंथी सरकार ने इस विषय पर जन आंदोलन की अनदेखी कर पुनर्विचार याचिका दाखिल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 18, 2018 6:15 AM
सुप्रीम कोर्ट द्वारा जब से सबरीमाला मंदिर पर निर्णय दिया गया है, तब से ही वहां विभिन्न प्रकार के आंदोलन जारी हैं. महिलाओं के प्रवेश को लेकर दिये गये निर्णय की अलग-अलग व्याख्या की जा रही है. इसी बीच केरल की वामपंथी सरकार ने इस विषय पर जन आंदोलन की अनदेखी कर पुनर्विचार याचिका दाखिल करने से मना कर दिया.
यह अलग बात है कि सरकार याचिका दाखिल करे या न करें, उसकी दलील भले ही महिलाओं के अधिकारों को लेकर हो जैसा कि सर्वोच्च न्यायालय का इस विषय पर आदेश था, लेकिन यह बात समझ से परे हैं कि यह वही सरकार है जिसने नन के बलात्कार के आरोपी पादरी को न्यायालय के आदेश के बाद भी काफी समय तक गिरफ्तार नहीं किया था.
सिद्धांत मिश्रा, पूरनपुर, उत्तर प्रदेश

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