सत्ता लोलुपता की संस्कृति से लोकतंत्र को खतरा

आजादी के समय राष्ट्र निर्माताओं के समक्ष तीन प्रमुख चुनौतियां थीं. सबसे पहले सभी लोगों का विकास करने की, विशेष कर गरीब तबकों की, दूसरी लोकतंत्र स्थापित करने की व उसे व्यावहारिक रूप देने की तथा तीसरी चुनौतियां देश को एकता के सूत्र में बांधे रखने की. आजादी के 71 वर्ष के पश्चात भी उपरोक्त […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 21, 2018 5:52 AM
आजादी के समय राष्ट्र निर्माताओं के समक्ष तीन प्रमुख चुनौतियां थीं. सबसे पहले सभी लोगों का विकास करने की, विशेष कर गरीब तबकों की, दूसरी लोकतंत्र स्थापित करने की व उसे व्यावहारिक रूप देने की तथा तीसरी चुनौतियां देश को एकता के सूत्र में बांधे रखने की.
आजादी के 71 वर्ष के पश्चात भी उपरोक्त तीनों समस्याओं में कोई कमी नहीं आयी है, बल्कि समस्याओं में कई गुना इजाफा हो गया है. तरह-तरह की समस्याओं से आम जनता त्राहिमाम कर रही है, जो सरकार के लिए चुनौतियां बन रही हैं. आज भी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के सभी बिंदुओं का व्यावहारिक क्रियान्वयन नहीं हो पा रहा है. लोकतंत्र कायम रखने की चुनौती बरकरार है. वोट बैंक व सत्ता लोलुपता की संस्कृति से लोकतंत्र को खतरा पहुंच रहा है.
मिथिलेश कुमार, बलुआचक (भागलपुर)

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