मैक्रॉन का गिरता ग्राफ

फ्रांस के राष्ट्रपति एम्मानुएल मैक्रॉन, जिन्हें सत्ता में आये अभी एक साल भी नहीं हुआ है, उनके खिलाफ देशव्यापी धरना-प्रदर्शन शुरू हो गया. शायद यूरोप क्या, विश्व के इतिहास में मैक्रॉन ऐसे पहले व्यक्ति हैं, जो अप्रैल 2016 में अपनी नयी पार्टी बनाते हैं और मई 2017 में 61% के करीब वोट लेकर चुनाव जीतते […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 25, 2018 6:04 AM
फ्रांस के राष्ट्रपति एम्मानुएल मैक्रॉन, जिन्हें सत्ता में आये अभी एक साल भी नहीं हुआ है, उनके खिलाफ देशव्यापी धरना-प्रदर्शन शुरू हो गया.
शायद यूरोप क्या, विश्व के इतिहास में मैक्रॉन ऐसे पहले व्यक्ति हैं, जो अप्रैल 2016 में अपनी नयी पार्टी बनाते हैं और मई 2017 में 61% के करीब वोट लेकर चुनाव जीतते हैं. आज विश्व में कोई भी सरकार या देश का मुखिया तब ही अपने काम को सफल एवं विकासोन्मुखी मानता है, जब वह व्यापारी वर्ग को अधिक सहूलियत दे, गरीबों की सामाजिक सुरक्षा के साधनों में कटौती करे, श्रम सुधार करके मजदूरों के अधिकार को सीमित करे.
मैक्रॉन यही कुछ करने लगे. परिणाम स्वरूप उनकी लोकप्रियता का ग्राफ तेजी से गिरना प्रारंभ हो गया. हालत यह है कि आज अगर फ्रांस में फिर से चुनाव हो जाये, तो इनका पत्ता साफ हो जायेगा.
जंग बहादुर सिंह, इमेल से

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