डाकुओं की रेटिंग

आलोक पुराणिक व्यंग्यकार एक टैक्सी सर्विस की टैक्सी से उतरा, तो टैक्सी ड्राइवर ने मुझसे निवेदन किया- 5 स्टार देना रेटिंग में. फिर मैंने देखा, उसने भी मुझे 5 स्टार दिये रेटिंग में. मैं अच्छा बच्चा हूं, मुझे वेरी गुड मिला है- होमवर्क में, कुछ ऐसा फील आया. टैक्सीवाले भाई साहब किसी आइएएस को रेट […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 22, 2018 6:05 AM

आलोक पुराणिक

व्यंग्यकार

एक टैक्सी सर्विस की टैक्सी से उतरा, तो टैक्सी ड्राइवर ने मुझसे निवेदन किया- 5 स्टार देना रेटिंग में. फिर मैंने देखा, उसने भी मुझे 5 स्टार दिये रेटिंग में.

मैं अच्छा बच्चा हूं, मुझे वेरी गुड मिला है- होमवर्क में, कुछ ऐसा फील आया. टैक्सीवाले भाई साहब किसी आइएएस को रेट करते हैं. रेटिंग का लोकतंत्र है. आइएएस होकर खुद को परम न समझ लें, रेटिंग उसकी भी हो रही है और कोई टैक्सीवाले भाई साहब कर रहे हैं.

उस सड़क पे नाली के ऊपर वह गोलगप्पे खिलानेवाले भाई साहब गोलगप्पे खिलाकर ग्राहकों से आग्रह करते हैं- 5 स्टार रेटिंग देना उस वेबसाइट पर, जो खाने के ठिकानों के बारे में बताती है और उनकी रेटिंग भी करती है. गोलगप्पे वाले 8वीं पास हैं, उन्हें रेटिंग ठीक मिले, इसके लिए उन्होंने 5,000 रुपये प्रति माह पर एक नौजवान बिठा रखा है, जो लैपटॉप खोले बैठा रहता है साथ में. और हाथ के हाथ ग्राहकों को 5 स्टार रेटिंग देने में मदद करता है.

नौजवान ने नेशनल कैपिटल रीजन (एनसीआर) ग्रेटर नोएडा के किसी इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक किया हुआ और अपने तकनीकी ज्ञान को गोलगप्पों के उन्नयन में लगा रहा है. गोलगप्पे वाला भाई एक लाख कमाता है महीने में, बीटेक वाला भाई 5,000 कमा रहा है. इस मुल्क में कई इंजीनियरिंग कॉलेजों को बंद करके उनमें गोलगप्पा निर्माण प्रशिक्षण केंद्र खोल दिये जाने चाहिए.

टैक्सी को भी रेटिंग चाहिए और गोलगप्पों को भी रेटिंग चाहिए. रेटिंग से कई मसले हल हो सकते हैं. मेरे मुहल्ले में इधर विकट सेंधमारी हो रही है. सेंधमार आते हैं और दीवार में से पार होकर माल ले जाते हैं. पुलिस थाना कुछ नहीं कर पा रहा. एक ने दबे स्वर में बताया कि थानेदार का बेरोजगार साला सेंधमारी गैंग का चीफ है. थानेदार जहां जाते हैं, वहां अपने साले को रोजगार दिला देते हैं.

सेंधमारी कई थानेदारों के सालों के लिए मनरेगा रोजगार योजना की तरह है. हालांकि, यह बात अलग है कि मनरेगा में कई मामलों में अलग तरह से सेंधमारी हो रही है. थानेदार सेंधमारी खत्म नहीं कर सकते हैं, तो इतना तो हो जाना चाहिए कि सेंधमारों को रेटिंग देने का चलन चलाया जाये और कम लूटनेवाले सेंधमारों को प्रोत्साहन दिया जाये.

एक वेबसाइट खोली जाये, जिसमें इलाके के हर सेंधमार, डाकू, उचक्के का रिकॉर्ड हो और उसमें रेटिंग की व्यवस्था भी हो. 5 स्टार उस डाकू को मिलें, जो बिना पिटे ही लूटता हो. 5 स्टार उस उचक्के को मिलें, जो माल छीन के जाये, साथ में चाय की एक केतली और कप देकर जाये- चाय पीने का इंतजाम कर जाये.

जब हम डाकुओं को रोक नहीं सकते, तो उनमें से कुछ बेहतर डाकुओं की रेटिंग व्यवस्था क्यों न शुरू कर दी जाये. मैं उस दिन की प्रतीक्षा में हूं, जब डाकू माल लूटकर 20 परसेंट कैश बैक माल बैक देंगे और कहेंगे कि प्लीज हमें उस वेबसाइट पर 5 स्टार रेटिंग देना!

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