उफ्फ! इतनी शुभकामनाएं!

आलोक पुराणिक वरिष्ठ व्यंग्यकार शुभकामनाएं बहुत बरस चुकी होंगी. फेसबुक पर, व्हाॅट्सअप पर, ईमेल पर. शुभकामनाओं की संख्या बढ़ गयी है, पर शुभ उस स्पीड से न हुआ सबका. पर जो भी हो, शुभकामनाएं मिलती हैं, तो एक फर्जी फील तो यह आ जाता है कि देखो कितने लोग अपना शुभ चाहते हैं. जिस बैंक […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 1, 2018 6:42 AM
आलोक पुराणिक
वरिष्ठ व्यंग्यकार
शुभकामनाएं बहुत बरस चुकी होंगी. फेसबुक पर, व्हाॅट्सअप पर, ईमेल पर. शुभकामनाओं की संख्या बढ़ गयी है, पर शुभ उस स्पीड से न हुआ सबका. पर जो भी हो, शुभकामनाएं मिलती हैं, तो एक फर्जी फील तो यह आ जाता है कि देखो कितने लोग अपना शुभ चाहते हैं.
जिस बैंक से मैंने लोन लिया है, वह मेरा शुभ चाहता है, वह हैप्पी न्यू ईयर बोलता है. मैं सुखद कमाईपूर्ण जीवन व्यतीत करूं, इसी में उस बैंक का भी शुभ है. वरना मुझे दिया गया लोन डूबत कर्ज हो जायेगा.
हालांकि माल्या लंदन में अरबों का लोन लेकर फरार हैं, इसके पीछे उन बैंकरों की शुभकामनाएं हैं, जिन्होंने उनको बिना जांचे परखे लोन दिया है.
आम आदमी की एक भी किस्त मिस हो जाये, तो उसकी धरपकड़ हो जाती है. जिस इंश्योरेंस कंपनी से मैंने बीमा कराया है, वह तो मेरा शुभ चाहती है. वह चाहती है कि मैं उम्रदराज हो जाऊं, कभी किसी दुर्घटना का शिकार न होऊं. कभी भी कोई क्लेम उसे मेरा ना देना पड़े.
कौन किसका शुभ चाहता है- यह पता लगाना मुश्किल है, इसलिए शुभकामनाओं को दिल पे नहीं लेना चाहिए.
एक वरिष्ठ व्यंग्यकार नियम से मुझे शुभकामनाएं देते हैं और मेरा नाम नियम से हर जगह से कटवाते हैं. सिर्फ आदमी ही फर्जी न होते, शुभकामनाएं भी फर्जी होती हैं.
शुभकामनाएं भी कारोबार के तहत होती हैं कई बार. एक नेता मेरे मुहल्ले में शुभकामनाएं मचाये रहता था.हैप्पी स्वतंत्रता दिवस, हैप्पी दीवाली, हैप्पी रक्षाबंधन, जाने क्या-क्या हैप्पी करवाता था. वह मेरे इलाके में नगर निगम के चुनावों का संभावित प्रत्याशी था. बाद में उसका टिकट कट गया, तो उसने फिर शुभकामनाएं देना बंद कर दिया.
मैं भी बहुत डरता हूं किसी को शुभकामनाएं देते हुए. एक बार मैंने अपने डाॅक्टर को दिल से शुभकामनाएं दी थीं.उस साल मेरा मेडिकल बिल का और डाॅक्टर की गाड़ी का साइज एक साथ बढ़ गया. मेरी शुभकामनाएं फल गयीं. अब बताइए किसी लुटेरे अस्पताल के चीफ को शुभकामनाएं दें, तो क्या होगा. होगा यह कि उसके अस्पताल में ब्लड प्रेशर भी कोई पुरुष चेक कराने जायेगा, तो उसे कहा जायेगा कि उसे गर्भाशय कैंसर है. उसकी कामना तो यही होगी कि अस्पताल के सामने से गुजरनेवाले तक का बिल पांच लाख का बने.
वैसे चोर्टिस या खोर्टिस टाइप निजी अस्पताल सक्षम हैं, बिना किसी के बूते ही अपना शुभ कर लेते हैं. जिनमें बूता होता है, वह बिना किसी की शुभकामनाओं के शुभ कर लेते हैं. कुछ बरस पहले एक नेता ने पब्लिक पार्क कब्जा करके अपना राजनीतिक कैरियर शुरू किया था, आज शहर के आधे शाॅपिंग मालों पर उनका कब्जा है.
पब्लिक लाख कामना करे कि उनका कब्जा घटे, पर कब्जा घटता नहीं है. आम आदमी की शुभकामनाएं नेताओं की शुभकामनाएं आगे हार जाती हैं.

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